बिहार मे चल रहे सियासी घमासान के बीच शुक्रवार को लालू ने राबड़ी आवास पर इफ्तार पार्टी का आयोजन किया। इसमें राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात हुई।फिल्म नीरजा की हिस्सेदारी का हो रहा है विवाद, अब हाईकोर्ट में की याचिका दायर..
बिहार में चल रही सियासी हलचल के बीच आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने राबड़ी आवास, 10 सर्कुलर रोड में इफ्तार पार्टी का आयोजन किया। इसमें महागठबंधन के तमाम नेता पहुंचे, लेकिन दरार की दीवार गहरी होती दिखी।
सीएम नीतीश कुमार के पहुंचने पर जहां सभी ने उ्नका जोरदार स्वागत किया, दावत की सभी खास चीजें प्लेट में परोसी गईं लेकिन दिल की मिठास कहीं नहीं दिखी। नीतीश कुमार बैठे तो लालू की बगल में थे लेकिन बातें लगातार अशोक चौधरी से करते रहे। दिलों की खटास अब जगजाहिर हो चुकी है।
यह पार्टी इसलिए सबसे खास रही, क्योंकि एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को बुधवार को अपने समर्थन का ऐलान करने के बाद नीतीश की लालू से यह पहली मुलाकात थी। लेकिन दावत ए इफ्तार के सभी व्यंजन फीके रहे।
एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को अपने समर्थन का एलान और अपने उस फैसले पर दृढ़ता से टिके हुए नीतीश से लालू नाराज दिखे। महागठबंधन में नाराजगी साफ तौर पर झलक गई। इससे पहले लालू ने दिल्ली से लौटने के क्रम में भी कहा था कि वे पटना पहुंचकर नीतीश को समझाएंगे कि वे अपने फैसले पर एक बार फिर सोचें।
एेसे में सबकी निगाहें इफ्तार के बहाने सीएम नीतीश और लालू की मुलाकात पर टिकी रही। लेकिन, इफ्तार में राष्ट्रपति चुनाव के मुद्दे पर चर्चा न के बराबर हुई। बाद में नीतीश ने अपने फैसले पर अडिग रहने की बात दुहराते हुए यहां तक कह दिया कि विपक्ष ने मीरा कुमार को हारने के लिए राष्ट्रपति प्रत्याशी बनाया है। इसके जवाब में लालू प्रसाद के पुत्र तेजस्वी यादव ने कहा कि राजद के लोग अपनी विचारधारा से समझौता नहीं करते।
बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने ऐलान किया है कि वह राष्ट्रपति चुनाव के दौरान वह एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को अपना समर्थन देगा। इसके बाद बिहार की राजनीति में एक बार फिर यह चर्चा गर्म हो गई है कि क्या नीतीश एनडीए में अपनी वापसी के रास्ते तलाश रहे हैं? हालांकि, नीतीश कुमार ने इससे इन्कार किया है।
दूसरा सबसे बड़ा प्रश्न यह खड़ा हो गया है कि क्या राजद बिहार में महागठबंधन में रहेगा? भाजपा सहित राजग के नेता इस आशंका काे हवा दे रहे हैं। हालांकि, लालू प्रसाद पहले ही साफ कर चुके हैं कि वे महागठबंधन तोउ़ने नहीं जा रहे। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी कहा है कि महागठबंधन में कोई दरार नहीं है, यह चलता रहेगा। जदयू ने भी कहा है कि वैचारिक भिन्नता अलग बात है, इससे महागठबंधन पर प्रभाव नहीं पड़ने जा रहा।
लेकिन, इसके विपरीत इस मुद्दे को लेकर राजद नेताओं की नाराजगी भी देखने को मिली है। भाई वीरेंद्र और राजद के उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने तो यहां तक कहा कि नीतीश को बीजेपी से इतना ही प्रेम है तो चले क्यों नहीं जाते? सबको धोखा क्यों दे रहे हैं? वहीं प्रदेश कांग्रेस के नेता भी नीतीश के इस फैसले से खुश नहीं हैं।