मध्यप्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री और सीएम शिवराज सिंह चौहान के बेहद करीबी नरोत्तम मिश्रा को चुनाव आयोग ने अयोग्य करार दिया है। विधानसभ सभा चुनाव के दौरान मिश्रा पर पेड न्यूज के आरोप लगे थे। चुनाव आयोग ने पूरे मामले की जांच और सुनवाई के बाद मिश्रा की विधायकी को रद्द कर उनका चुनाव शून्य घोषित कर दिया है। साथ ही अगले तीन सालों तक उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है। देखिए देश की पहली सिख बेटी कनाडा में बनी जज…
बता दें कि शिवराज सरकार में मिश्रा का स्थान दूसरे नंबर पर आता है। मिश्रा मध्यप्रदेश के जल संसाधन, जनसंपर्क एवं संसदीय कार्य मंत्री हैं। 2008 के विधानसभा चुनाव के दौरान उन पर पेड न्यूज और करप्ट प्रैक्टिस की शिकायत चुनाव से की गई थी।
आयोग ने मिश्रा से चुनाव के दौरान पेड न्यूज पर खर्च की गई रकम का ब्योरा मांगा था। जिसे उन्होंने उपलब्ध नहीं कराया। कांग्रेस के पूर्व विधायक राजेंद्र भारती ने अप्रैल 2009 में आयोग से इस संबंध में शिकायत की थी। इसके बाद चुनाव आयोग ने जनवरी 2013 में मिश्रा से जवाब तलब किया था।
उन्होंने इस मामले को हाइकोर्ट में चुनौती भी दी थी, जिस पर शुरू में उन्हें स्टे मिल गया था। बाद में आयोग की दलील पर स्टे ऑर्डर वापस ले लिया गया था। इसके बाद मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी, जहां से उन्हें कोई राहत नहीं मिली।
क्या है पूरा मामला
मध्यप्रदेश के मंत्री नरोत्तम मिश्रा पर 2008 के विधानसभा चुनावों के दौरान प्रदेश के अखबारों में 42 बार पेड न्यूज छपवाने का आरोप है। कांग्रेस नेता राजेंद्र भारती का आरोप है कि ऐसा करके उन्होंने मतदान तथा मतदाताओं को प्रभावित किया है। उनकी शिकायत पर हुई जांच के बाद केंद्रीय चुनाव आयोग ने मिश्रा की विधानसभा सदस्यता रद कर दिया और उनके निर्वाचन को शून्य घोषित कर दिया।
गौरतलब है कि यदि कोई निर्वाचित जनप्रतिनिधि चुनाव के दौरान किए गए खर्च का ब्योरा तय समय में देने में असफल रहता है और उस पर पेड न्यूज का आरोप साबित होता है। तो चुनाव आयोग अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए संबंधित चुनाव को शून्य घोषित कर सकता है और आरोपी पर चुनाव न लड़ने का प्रतिबंध लगा सकता है।