नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से कहा है कि अगर लोगों के पास 1000-500 के पुराने नोट जमा ना कर पाने की सही वजह है तो उन्हें दोबारा डिपॉजिट की इजाजत मिलनी चाहिए।SC ने केंद्र को इस मामले पर विचार के लिए दो हफ्तों का वक्त दिया है। केंद्र ने SC से कहा कि वो इस मामले में एक एफिडेविट फाइल करेगा। इस मामले की अगली सुनवाई 18 जुलाई को होगी।
केंद्र से पूछा सवाल…
– SC डिवीजन बेंच ने कहा, “जो लोग 500-1000 के नोट जमा नहीं कर पाए हैं, उन्हें ये नोट डिपॉजिट करने के लिए फिर से विंडो खोली जा सकती है?”
– “केंद्र इस ऑप्शन पर विचार करे कि जो लोग सही कारणों के चलते 500-1000 के पुराने नोट नहीं जमा कर पाए हैं, उनके लिए दोबारा विंडो ओपन की जाए।”
पिटीशन में SC से मांगा था निर्देश
– SC ने कहा, “अगर लोगों के पास सही वजहें हैं तो उन्हें परेशान होने नहीं दिया जा सकता है। उन्हें पुराने नोट जमा करने की इजाजत मिलनी चाहिए।”
– सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट सुधा मिश्रा और दूसरे लोगों की पिटीशन पर सुनवाई कर रही थी, जिनमें SC से पुराने नोटों को डिपॉजिट करने के संबंध में निर्देश मांगे गए हैं।
4 घंटे में 15 लाख करोड़ की करंसी बाहर हो गई थी
– 8 नवंबर को मोदी ने रात 8 बजे राष्ट्र के नाम संबोधन में 500 और 1000 रुपए के नोट आधी रात से बंद करने का एलान किया। यानी महज 4 घंटे में देश की इकोनॉमी से 15 लाख करोड़ रुपए की करंसी बाहर हो गई। केंद्र ने पुराने नोट जमा करने के लिए 30 दिसंबर तक का वक्त दिया था।
– 1000 रुपए के नोट समेत हाई वैल्यू वाले कई नोटों को पहली बार जनवरी 1946 में बंद किया गया था। फिर 1978 में इन्हें दोबारा बंद किया गया था।
– पांच सौ का नोट अक्टूबर 1987 में निकाला गया था। जबकि एक हजार रुपए का नोट नवंबर 2000 में वापस लौटा था।
– 1000 रुपए के नोट समेत हाई वैल्यू वाले कई नोटों को पहली बार जनवरी 1946 में बंद किया गया था। फिर 1978 में इन्हें दोबारा बंद किया गया था।
– पांच सौ का नोट अक्टूबर 1987 में निकाला गया था। जबकि एक हजार रुपए का नोट नवंबर 2000 में वापस लौटा था।
क्यों लिया था नोटबंदी का फैसला?
– नोटबंदी का मकसद डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देना यानी नकदी रहित अर्थव्यवस्था खड़ी करना था। साथ ही, मार्केट से फेक करंसी को बाहर करना, कालाधन वापस लाना और करप्शन पर रोक लगाना भी इसका मकसद था। टेरर फंडिंग रुकने की भी उम्मीद की गई थी।