विवादित दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती सैन्य मौजूदगी के बीच भारत, अमेरिका और जापान की नौसेनाओं की संलिप्तता वाला मालाबार नौसैन्य अभ्यास 10 जुलाई को बंगाल की खाड़ी में शुरू होने जा रहा है. सालाना अभ्यास में बड़ी संख्या में तीनों देशों के विमान, नौसेना की परमाणु पनडुब्बियां और नौसैन्य पोत हिस्सा लेंगे.
बता दें कि यह सैन्य अभ्यास ऐसे समय हो रहा है जब सिक्किम क्षेत्र में भारत और चीन की सेनाओं के बीच तनातनी जारी है. दूसरी ओर दक्षिण चीन सागर में बीजिंग अपनी नौ सैन्य मौजूदगी को बढ़ा रहा है. मालाबार सैन्य अभ्यास का लक्ष्य सामरिक रूप से महत्वपूर्ण भारत प्रशांत क्षेत्र में तीनों नौ सेनाओं के बीच गहरे सैन्य संबंध स्थापित करना है. भारत और अमेरिका साल 1992 के बाद से नियमित रूप से वार्षिक अभ्यास कर रहे हैं.
पहली बार शामिल होंगे तीन एयरक्राफ्ट करियर
तीनों देशों के बीच यह अब तक का सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास है. इस बार के युद्धाभ्यास में पहली बार ऐसा होगा कि तीन एयरक्राफ्ट करियर हिस्सा लेंगे. इसमें अमेरिका का निमित्ज, भारत का आईएनएस विक्रमादित्य और जापान का इजूमो एयरक्राफ्ट करियर शामिल होगा.
साथ ही इस युद्धाभ्यास में सबसे बड़े एंटी सबमरीन हथियार भी शामिल होंगे, ताकि हिंद महासागर में ‘दुश्मन’ का पता लगाया जा सके. दूसरी ओर अमेरिका इस युद्धाभ्यास में न्यूक्लियर सबमरीन लेकर आ रहा है.
बैकवॉटर (अप्रवाही जल) में चीनी सबमरीन और जहाजों का पता लगाने में P8Is की भूमिका महत्वपूर्ण है और यह गेमचेंजर एयरक्राफ्ट है, जो मालाबार युद्धाभ्यास में शामिल होगा. मालाबार युद्धाभ्यास में इस बात का भी पता चलेगा कि चीन को काउंटर करने के लिए अमेरिकी गॉर्डियन ड्रोन की क्या भूमिका होगी.
मालाबार युद्धाभ्यास पर है चीन की नजर
बीजिंग मालाबार अभ्यास के मकसद को संदेह की नजर से देखता है क्योंकि उसे लगता है कि यह अभ्यास भारत द्वारा प्रशांत क्षेत्र में उसके प्रभाव को रोकने की कोशिश है. इस अभ्यास में समुद्री गश्त एवं टोह अभियान, सतह एवं पनडुब्बी रोधी युद्ध जैसी गतिविधियां शामिल होंगी. इसमें चिकित्सकीय अभियान, नुकसान को नियंत्रित करना, विशेष बल अभियान, विस्फोटक आयुध निपटान और हेलिकॉप्टर अभियान भी शामिल होंगे.