छत्तीसगढ़ कांग्रेस बड़े आर्थिक संकट से गुजर रही है. इसके चलते पार्टी के सभी विंग के दफ्तरों में होने वाले खर्च पर बड़ी कटौती की गई है. यही नहीं आर्थिक संकट के चलते कांग्रेस का प्रदेश मुख्यालय भी आधा-अधूरा है. लगातार तीन बार बीजेपी से पटखनी खाने के बाद अब कांग्रेस भी आर्थिक रूप से चारों खाने चित्त हो गई है. पार्टी प्रदेश प्रभारी वी.के. हरिप्रसाद के समक्ष कई कांग्रेसी नेताओं ने आर्थिक तंगी का रोना रोया.
प्रदेश के कांग्रेसी नेताओं ने शिकायत भी की है कि केंद्रीय कार्यालय दिल्ली से किसी भी तरह की आर्थिक मदद नहीं मिलने से ना तो वे प्रदेश कांग्रेस का मुख्यालय बना पा रहे हैं और ना ही बीजेपी के खिलाफ किसी बड़े आंदोलन का शंखनाद. कार्यकर्ताओं के मुताबिक बीजेपी के खिलाफ किसी भी तरह के आंदोलन के लिए उन्हें अपनी जेब ढीली करनी पड़ती है. वरना ना तो उनके कार्यकलापों को मीडिया में सुर्खियां मिलती हैं और ना ही जमीनी समर्थन.
छत्तीसगढ़ में अगले साल यानी 2018 में विधानसभा चुनाव होने हैं. लिहाजा प्रदेश कांग्रेस कमिटी अपनी आर्थिक जड़ें मजबूत करने में जुटी हुई है. इसके लिए स्थानीय कांग्रेसी नेताओं से लेकर प्रदेश स्तरीय नेताओं को सक्रिय किया जा रहा है. लगातार तीन बार सत्ता तक पहुंची बीजेपी को पछाड़ने के लिए इस बार कांग्रेस आर्थिक रूप से खुद को संपन्न बनाने में जुटी हुई है. कांग्रेस को सबसे पहले अपना पार्टी मुख्यालय तैयार करना है. सालों से नए मुख्यालय का भवन आधा-अधूरा पड़ा है.
रायपुर शहर के पॉश इलाके शंकर नगर के मुख्य मार्ग पर पार्टी मुख्यालय की आधी-अधूरी बिल्डिंग का जायजा लेने छत्तीसगढ़ प्रदेश प्रभारी वी.के. हरिप्रसाद पहुंचे. उनके साथ कांग्रेस के कई नेता मौजूद थे. आधे-अधूरे भवन और निर्माण कार्यों को लेकर जब बहस छिड़ी तो हर किसी ने आर्थिक संकट का हवाला दिया. कई कार्यकर्त्ता ये कहने से नहीं चुके कि यदि पार्टी के कोष में रकम नहीं आई तो इस बार भी बीजेपी को बाजी मारने में कोई नहीं रोक सकता.