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RJD लालू परिवार के खिलाफ छापेमारी पर क्या है CM नीतीश की चुप्पी का राज?

RJD लालू परिवार के खिलाफ छापेमारी पर क्या है CM नीतीश की चुप्पी का राज?

कभी बिहार पर राज करने वाले RJD प्रमुख लालू यादव की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। एक समय था जब लालूू यादव की इच्छा के बिना बिहार में एक पत्ता भी नहीं हिलता था, लेकिन आज बिहार के इस लोकप्रिय नेता के सितारे गर्दिश में हैं। एक प्राचीन कहावत है कि जब सितारे गर्दिश में होते हैं तो जिगरी दोस्त भी साथ छोड़ जाते हैं। कुछ ऐसा ही लालू यादव के साथ भी हुआ है। हर रोज उन पर आरोप और जांच की तलवार लटक रही है ,लेकिन बिहार के सीएम नीतीश कुमार चुप्पी साधे हुए हैं। RJD लालू परिवार के खिलाफ छापेमारी पर क्या है CM नीतीश की चुप्पी का राज?…जब एक ही ट्रैक पर आमने-सामने आ गईं दो मोनो रेल, तो हुआ ये भयानक…

शायद नीतीश को इस बात का इंतजार है कि कब लालू पर केंद्र कार्रवाई करे। वो खुद लालू के बेटों पर कार्रवाई करके अपनी राह में कांटा नहीं बोना चाहते। लेकिन कांटा तो बोया जा चुका है। लालू और उनके परिवार के ऊपर गिरी गाज और उस पर नीतीश कुमार का मौनव्रत एक अलग कहानी बयां कर रहा है। लालू यादव और उनका परिवार पहले ही कई आरोपों से परेशान है। आज सुबह एक और छापे ने लालू की मुश्किलों को और बढ़ा दिया।

CBI ने आज सुबह लालू के पटना वाले घर के अलावा दिल्ली, पुरी, रांची, गुड़गांव समेत 12 ठिकानों पर छापे मारे। CBI ने लालू पर रेलमंत्री रहते हुए टेंडर में हेराफेरी करने का मामला दर्ज किया है। हेराफेरी मामले में सीबीआई ने लालू यादव, राबड़ी यादव, तेजस्‍वी यादव और सरला यादव के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। लेकिन नीतीश कुमार ने इस मसले पर चुप्पी साध ली है। तमाम तरह की राजनीतिक बयानबाजियों के बाद भी नीतीश कुमार का मौनव्रत टूटा नहीं है।

16 मई 2017 को लालू यादव के परिवार से जुड़ी कथित संपत्ति पर इनकम टैक्स विभाग ने 22 ठिकानों पर छापे मारे थे। ये छापेमारी एक हजार करोड़ की बेनामी संपत्ति के मामले में हुई थी। इतनी बड़ी संख्या में पड़े छापे ने राजनीति जगत में हड़कंप मचा दिया था। लेकिन नीतीश कुमार ने इन छापों पर भी कोई कमेंट नहीं किया और न हीं लालू और उनके परिवार को बचाने में कोई दिलचस्पी दिखाई। शायद ये नीतीश कुमार का डर था कि इस मामले में हाथ डालने से उनकी छवि न खराब हो जाए। 

लगातार पड़ रहे छापों से लालू यादव बौखला गए थे। उनके प्रिय मित्र नीतीश कुमार ने उनसे दूरी बना ली थी। जिसके बाद लालू ने ट्वीट करके कहा था कि बीजेपी को अपना नया साथी मुबारक हो। लालू के इस ट्वीट के बाद बिहार के सियासी समीकरणों पर बदलाव की आहट सुनाई देने लगी थी। इतना सब हो जाने के बावजूद नीतीश कुमार ने अपनी जुबान नहीं खोली।  

नीतीश कुमार की चुप्पी सभी को हैरान कर रही है। लालू यादव की पार्टी के साथ उनका गठबंधन है और लालू के दोनों बेटे बिहार सरकार में मंत्री हैं। जिसके बावजूद नीतीश कुमार लालू और उनके परिवार पर हो रही कार्रवाई पर अपना मुंह नहीं खोल रहे। नीतीश कुमार को इस बात का डर सता रहा है कि अगर उन्होंने लालू और उनके बेटों का साथ दिया, और उसके बाद लालू दोषी पाए गए, तो उनकी खुद की छवि भी खराब हो जाएगी। और यह बात बिहार का हर राजनैतिक योद्धा जानता है कि नीतीश कुमार अपनी छवि को लेकर कितना संवेदनशील हैं। 

नीतीश कुमार को मंझा हुआ नेता माना जाता है। वो जितना अपनी साफ छवि के लिए जाने जाते हैं उतना ही अपनी राजनैतिक कूटनीति के लिए भी प्रसिद्ध हैं। नीतीश कभी नहीं चाहेंगे कि लालू और उनके परिवार पर लगे आरोपों के छीटें उनके दामन पर भी पड़ें इसलिए वो इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि खुद केंद्र लालू पर कार्रवाई करे जिससे उनका दामन भी बचा रहे और वो लालू की नजर में भी न खटकें। लेकिन नीतीश कुमार का यह दांव उल्टा पड़ता नजर आ रहा है क्योंकि नीतीश के मौनव्रत ने लालू के मन में उनके लिए संदेह की स्थिति पैदा कर दी है। 

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