यूपी सरकार ने वादे के मुताबिक नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेस-वे इंडस्ट्रियल डवलपमेंट अथॉरिटी के साथ यूपी राज्य औद्योगिक विकास निगम (यूपीएसआईडीसी) की सीएजी से जांच (ऑडिट) कराने का फैसला किया है।
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जानकार बताते हैं कि सीएजी ने पिछली अखिलेश यादव सरकार में औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के ऑडिट की अनुमति मांगी थी, जो नहीं मिली।
विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तत्कालीन सपा सरकार पर भ्रष्टाचार को दबाने का आरोप लगाते हुए यह मामला उठाया था। उन्होंने भाजपा के प्रदेश की सत्ता में आने पर इंडस्ट्रियल डवलपमेंट अथॉरिटी में फैले भ्रष्टाचार की जांच कराने की बात भी कही थी।
सीएम योगी आदित्यनाथ
प्रमुख सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आलोक सिन्हा ने सीएजी कीअकाउंटेंट जनरल विनीता मिश्रा को पत्र लिखकर नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के साथ यूपी राज्य औद्योगिक विकास निगम की भी सीएजी जांच कराने के सरकार के निर्णय की जानकारी दे दी है। उन्होंने मिश्रा से ऑडिट कराने को कहा है।
सिन्हा ने सरकार के निर्णय की जानकारी सीईओ नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण व यूपीएसआईडीसी के एमडी को भी दे दी है।
भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं करेगी योगी सरकार
इस पर अवस्थापना व औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना का कहना है कि पिछली सपा सरकार ने भ्रष्टाचार को संरक्षण देने का काम किया था।
सीएजी ने ऑडिट कराने की अनुमति मांगी तो न सिर्फ अनुमति नहीं दी, बल्कि कोर्ट में इसका विरोध भी किया। यदि संस्थाओं में भ्रष्टाचार नहीं था तो फिर जांच से भगने का क्या औचित्य था?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेड़ी है। औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के साथ-साथ यूपीएसआईडीसी की सीएजी जांच इसी मुहिम का हिस्सा है। सरकार कहीं भी भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं करेगी।