साल 2013 केदारनाथ में तबाही मचाने वाले चौराबाड़ी ताल को लेकर वैज्ञानिकों ने एक और खुलासा किया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अब तक यह ताल केदारनाथ के लिए बेहद खतरनाक बना हुआ था।
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लेकिन अब यह ताल कहर नहीं बरपा सकेगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि आपदा के दौरान मुहाना क्षतिग्रस्त हो जाने से चौराबाड़ी ताल (झील) में पानी नहीं रुक रहा है। इसलिए आने वाले कई वर्षों तक केदारघाटी समेत पूरे निचले इलाकों के लिए चौराबाड़ी अब खतरा नहीं है।
यह खुलासा वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने किया है। उनका कहना है कि केदारनाथ से चार किलोमीटर पहले स्थित गांधी सरोवर पर अब अध्यक्ष किया जा रहा है।
इससे सामने आया है कि आपदा के समय चौराबाड़ी ताल का मुहाना 8 से 10 मीटर क्षतिग्रस्त हो गया था। इसलिए ताल में अब पानी नहीं ठहर रहा है। इसके बाद से अब वह ताल नहीं मैदान जैसा हो गया है। इसलिए निकट भविष्य में ऐसी संभावना नहीं है।
उनका कहना है कि सितम्बर अक्टूबर में चौराबाड़ी क्षेत्र में होने वाली हर हलचल और यहां की वास्तविक स्थिति की जानकारी हाई एल्टीट्यूट में लगे उपकरणों से ली जाती है।
उनका कहना है कि चौराबाड़ी ताल में अब जो पानी है, वह ग्लेश्यिर और बरसात का है और वह सीधे बहकर जा रहा है। इसलिए केदारनाथ धाम समेत पूरे निचले इलाकों के लिए अब कोई खतरा नहीं है।