सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द करने का फैसला बरकरार रखने के बाद यूपी सरकार की तरफ से उन्हें थोड़ी राहत दी गई है। बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव राजप्रताप सिंह ने कहा कि 1.32 लाख सहायक अध्यापक पुन: शिक्षामित्र बन गए हैं। लेकिन, सरकार किसी को हटाएगी नहीं।भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकर अजीत डोभाल गुरुवार को पहुंच रहे हैं बीजिंग, होगी डोकलाम विवाद पर बात
वहीं, समायोजन रद्द करने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से प्रभावित शिक्षामित्रों ने बुधवार को प्रदेश भर में प्रदर्शन कर सरकार से भाजपा के संकल्प पत्र का वादा पूरा कर उनकी समस्या का समाधान करने की मांग की।
शिक्षामित्रों का कहना था कि सहायक अध्यापक पद पर समायोजन रद्द होने से 1.32 लाख शिक्षामित्रों को प्रति महीने बड़ा आर्थिक नुकसान होगा। अभी तक जो शिक्षामित्र बतौर सहायक अध्यापक 39 हजार रुपये महीना वेतन ले रहे थे, वे अब पुन: 3500 रुपये महीना मानदेय पर आ जाएंगे। उनके परिवार के भरण-पोषण का संकट आ जाएगा।
समायोजन नहीं तो काम नहीं का लगाया नारा
वाराणसी में शिक्षामित्रों ने कार्य का बहिष्कार कर भारत माता मंदिर पर प्रदर्शन किया। इटावा में ‘समायोजन नहीं तो काम नहीं’ का नारा लगा रहे शिक्षामित्रों ने कहा कि वे न तो खुद पढ़ाएंगे न किसी को पढ़ाने देंगे। देवरिया में शिक्षामित्रों ने बीएसए दफ्तर पर धरना देकर प्रदर्शन किया। प्रतापगढ़ में शिक्षामित्रों ने रोड जाम कर अंबेडकर चौराहा पर धरना दिया। मैनपुरी में प्रदर्शन कर रहे शिक्षामित्रों ने नौकरी नहीं तो फांसी की सजा देने की मांग की।
शिक्षामित्रों ने सुप्रीम कोर्ट में पुन: विचार याचिका दायर करने, शिक्षामित्रों को गैर शैक्षणिक पदों पर समायोजित करने और भाजपा से सकंल्प पत्र में किया वादा पूरा करने की मांग की। उन्होंने कहा कि केंद्र व प्रदेश में भाजपा की सरकार है, ऐसे में टेट की अनिवार्यता समाप्त करने के लिए सरकार अध्यादेश लेकर आए।
वहीं, बहराइच में विरोध-प्रदर्शन कर रहे शिक्षामित्रों से मिलने पहुंचीं बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जायसवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अध्ययन किया जा रहा है। सरकार शिक्षामित्रों के साथ सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाएगी। वहीं, बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव राजप्रताप सिंह ने बुधवार शाम विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर विभिन्न विकल्पों पर चर्चा की।
सवाल- शिक्षामित्रों को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर सरकार क्या कार्रवाई कर रही है?
जवाब- सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का अध्ययन किया गया है। हमारा पहला दायित्व सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करना है।
सवाल – 1.32 लाख शिक्षामित्रों को आर्थिक नुकसान होगा, इतनी बड़ी संख्या में परिवार प्रभावित होंगे?
जवाब – इनके साथ हमारी भी सहानुभूति है। हम शिक्षामित्रों के हितों की रक्षा के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।
सवाल – 65 हजार सरप्लस शिक्षक हैं, 1.32 लाख शिक्षामित्र हैं। इनके भविष्य पर क्या असर होगा?
जवाब – सुप्रीम कोर्ट के आदेश से 1.32 लाख सहायक अध्यापक पुन: शिक्षामित्र बन गए हैं। सरकार किसी को हटाएगी नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें नियुक्ति में प्राथमिकता और टीईटी के दो मौके देने को कहा है, सरकार उन्हें प्रदान करेगी।
सवाल – समायोजन रद्द होने के बाद अब शिक्षामित्रों को जुलाई का वेतन कैसे मिलेगा?
जवाब – इस पर कानूनी राय ली जाएगी। अभी हमारी प्राथमिकता शिक्षामित्रों की समस्या का समाधान करना है। विभिन्न विकल्पों पर विधिक राय लेकर जो भी प्रस्ताव होगा, उसे कैबिनेट में प्रस्तुत किया जाएगा।
– सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पुन: विचार याचिका दायर करे।
– 1.37 लाख शिक्षामित्रों में से 30 हजार शिक्षामित्र टीईटी उत्तीर्ण हैं। उन्हें नई भर्ती निकालकर तुरंत समायोजित किया जा सकता है।
– सुप्रीम कोर्ट ने त्रिपुरा में भी शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द किया, लेकिन त्रिपुरा सरकार अब उन्हें गैर शैक्षणिक पदों पर समायोजित करने जा रही है। उत्तर प्रदेश में भी विभिन्न विभागों में दो लाख से अधिक पद रिक्त हैं, शिक्षामित्रों को उन गैर शैक्षणिक पदों पर समायोजित किया जा सकता है।
– शिक्षामित्रों को वर्तमान में मिल रहे वेतन पर ही पदनाम बदलकर स्कूलों में पढ़ाने का मौका दिया जा सकता है।
– शिक्षामित्रों के पढ़ाने के अनुभव को देखते हुए उनके लिए टीईटी की अनिवार्यता खत्म करने के लिए केंद्र सरकार अध्यादेश लाए।
बीटीसी दूरस्थ शिक्षामित्र संघ की ओर से बृहस्पतिवार को गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर शिक्षामित्रों को गैर शैक्षणिक पदों पर समायोजित करने की मांग की जाएगी।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि गोरखपुर और बस्ती मंडल के आठ जिलों के शिक्षामित्र गोरखनाथ मंदिर में मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे। बनारस और इलाहाबाद मंडल के शिक्षामित्र बृहस्पतिवार को बनारस स्थित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कैम्प कार्यालय पर धरना देंगे।
पुनर्विचार याचिका दायर करे सरकार
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देकर सरकार से सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने की मांग की है।
संघ के प्रदेश संरक्षक शिव कुमार शुक्ला, प्रदेश अध्यक्ष गाजी इनाम आला ने पुनर्विचार याचिका पर निर्णय होने तक 16 वर्र्षों से प्राथमिक शिक्षा में सेवाएं दे रहे शिक्षामित्रों को समायोजित पदों पर कार्यरत रखने की मांग की। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रदेश मंत्री कौशल कुमार सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में विभिन्न विभागों में दो लाख से अधिक पद रिक्त हैं। त्रिपुरा की तरह शिक्षामित्रों को उन पदों पर समायोजित किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनारस में हुई वार्ता में कहा था कि शिक्षामित्रों की समस्या उनकी समस्या है, उसका समाधान किया जाएगा। शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द करने के हाईकोर्ट के आदेश को लेकर शिक्षामित्रों ने बनारस में उन्हें ज्ञापन दिया था।
अब भाजपा का संकल्प कैसे पूरा होगा
भाजपा ने लोक कल्याण संकल्प पत्र में शिक्षामित्रों की रोजगार की समस्या को तीन महीने में न्यायोचित तरीके से सुलझाने की बात कही थी। सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द कर दिया है। अब इस संकल्प को पूरा कर डेढ़ लाख परिवारों की समस्या का समाधान करना भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण होगा।
मंत्री को नहीं मिला सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सर्वोच्च न्यायालय से शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द होने से बेसिक शिक्षा विभाग सहित प्रदेश में हड़कंप मचा हुआ है, लेकिन विभाग की ओर से बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जायसवाल को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के प्रति उपलब्ध नहीं कराई गई। जायसवाल ने बुधवार को बहराइच में कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति मंगवाई है, उसका अध्ययन करेंगी।