दुनिया के कई देशों के विरोध के बाद भी उत्तर कोरिया परमाणु क्षमता वाली मिसाइलों के परीक्षण के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्विटर पर अपनी निराशा प्रकट की. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरिया के मुद्दे पर चीन को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि वह उत्तर कोरिया के मसले पर कुछ नहीं कर रहा है. इसके साथ ही ट्रंप ने इस स्थिति को बदल देने का संकल्प लिया है. ट्रंप ने कहा कि उन्हें चीन से बेहद निराशा हुई है. हमारे पिछले नेता उन्हें व्यापार में करोड़ों डॉलर कमाने की छूट देते रहे हैं और वे उत्तर कोरिया के मसले पर अमेरिका के लिए कुछ नहीं करते. ट्रंप ने कहा कि ये बहुत ज्यादा दिन तक नहीं चल सकता. चीन इस समस्या को आसानी से हल कर सकता है.
अब चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने इसका जवाब दिया है. यहां यह बता दें कि अभी आधिकारिक बयान नहीं आया है. लेकिन ग्लोबल टाइम्स के एक लेख में कहा गया है कि इस ट्वीट से ट्रंप के मूड का पता चलता है. माना जा रहा है कि उत्तर कोरिया ने अंतर महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया है, जो अमेरिका तक पहुंच सकता है. ट्रंप के लिए यह शर्मिंदगी का विषय बन गया है, जिन्होंने उत्तर कोरिया के न्यूक्लियर और मिसाइल कार्यक्रमों को अपनी डिप्लोमेटिक प्राथमिकताओं में बहुत ऊपर रखा है.
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लेख में कहा गया है कि चीन ने प्योंगयांग पर न्यूक्लियर और मिसाइल गतिविधियों को लेकर जबरदस्त दबाव बनाया है. यूएन सुरक्षा काउंसिल के प्रावधानों को लागू कराने के लिए चीन ने काफी मेहनत की. उत्तर कोरिया पर कोयले के आयात को लेकर बैन लगाया गया है. चीन के प्रतिबंधों के चलते दोनों देशों के संबंधों में ठहराव आ गया है. अपने पड़ोसी देश के साथ डील करने में चीन को सबसे ज्यादा कीमत चुकानी पड़ी है.
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ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक कि ट्रंप का ये कहना कि चीन इस समस्या को आसानी से हल कर सकता है, ये बताता है कि ऐसा बयान सिर्फ नया अमेरिकी राष्ट्रपति ही दे सकता है, जिसे उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम के बारे में कुछ खास पता नहीं है. प्योंगयांग इस बात पर दृढ़ निश्चय है कि उसे अपना परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम विकसित करना है और उसे अमेरिका-चीन की सैन्य धमकियों से कोई फर्क नहीं पड़ता. ऐसे में चीन के प्रतिबंधों से उस पर क्या प्रभाव पड़ेगा?