सिंधु जल समझौते के मामले में भारत के हाथ एक बड़ी सफलता लगी है, वहीं हर बार की तरह पाकिस्तान को एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी है। वर्ल्ड बैंक ने भारत को झेलम और चिनाब नदी पर हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पावर प्लांट बनाने की मंजूरी दे दी है। अभी अभी: डोकलाम पर चीन ने जारी किया 15 पेज का बड़ा बयान…
वर्ल्ड बैंक का यह फैसला सेक्रेटरी स्तर की बैठक के बाद लिया गया, जो भारत और पाकिस्तान की ओर से बुलाई गई थी। गौरतलब है कि भारत झेलम और चिनाब नदी पर हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पावर प्लांट बना रहा है, जिस पर पाकिस्तान ने आपत्ति जाहिर की थी और सिंधु जल समझौते को लेकर वर्ल्ड बैंक सामने मामले में सुनवाई की अपील की थी।
वर्ल्ड बैंक ने कहा कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही सितंबर में वाशिंगटन में सिंधु जल समझौते पर चर्चा के तैयार हो गए हैं। इसके साथ ही वर्ल्ड बैंक ने भारत को 330 वॉट के किशनगंगा और 850 वॉट के रैटले हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट के निर्माण को मंजूरी दे दी है।
1960 में हुआ था समझौता
गौरलतब है कि पाकिस्तान ने दोनों ही हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट को लेकर आपत्ति जाहिर की थी और कहा था कि यह निर्माण सिंधु जल समझौता के विरूध है। बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में सिंधु जल समझौता हुआ था।
वर्ल्ड बैंक ने अपनी फैक्टशीट में कहा है कि भारत जिस प्लांट पर काम कर रहा है वह झेलम और चिनाब नदी पर है। इस संधि के तरत इन नदियों के साथ-साथ पाकिस्तान का पश्चिम की नदियों के पानी पर भी हक बनता है। इन सबेक बावजूद वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि भारत अपनी योजना को संधि तोड़े बीना पूरा कर सकता है।
गौरतलब है कि भारत पाक सीमा पर बढ़ते विवाद के सिंधु जल समझौते को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। कयास लगाए जा रहे थे कि भारत इस समझौते को खत्म कर सकता है। अपने भाषण के दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि पानी और खून एक साथ नहीं बह सकता है।