देश भर में ट्रिपल तलाक और लव जिहाद जैसे मामलों के ठंडा पड़ने के बाद अब उत्तर प्रदेश में शादियों के रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य किए जाने के बाद नए सिरे से बहस छिड़ सकती है. मंगलवार को योगी सरकार ने अपने कैबिनेट फैसले में सभी शादियों के सरकारी रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य कर दिया और एक साल के भीतर सभी नए व पुराने दंपत्तियों को अपनी शादी का पंजीकरण कराने की सीमा भी तय कर दी है.
योगी सरकार के इस फैसले को अमलीजामा पहनाने के लिए सबसे पहले अल्पसंख्यक राज्यमंत्री मोहसिन रजा सामने आए हैं. वे अपनी सालों पुराने निकाहनामे को रजिस्ट्री ऑफिस जाकर पंजीकृत कराएंगे. गुरुवार सुबह मोहसिन रजा अपनी पत्नी के साथ रजिस्ट्री ऑफिस जाकर इसका पंजीकरण कराएंगे.
मोहसिन रजा के निकाह के पंजीकरण के साथ ही इस मुद्दे पर नई बहस भी तेज होने की संभावना है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि सरकार की इस नई पहल के तहत दो पत्नियों का पंजीकरण नहीं हो सकता. ऐसी स्थिति में जब अल्पसंख्यक समुदाय के भीतर बहुविवाह अवैध नहीं है तो इसलिए इस मुद्दे पर बहस होना तय माना जा रहा है.
सुन्नी उलेमा फिरंगी महली ने सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि सरकार को ऐसा फैसला लेने के पहले मौलानाओं और उलेमाओं से राय मशविरा करना चाहिए था. योगी सरकार ने शादियों के पंजीकरण को तमाम सरकारी योजनाओं से लिंक करने का फैसला किया है ताकि सभी सरकारी योजनाओं में पति-पत्नी और परिवार का पूरा विवरण सरकार के पास रहे. सरकार ने यह भी तय किया है कि सिर्फ 10 रुपये में शादियों का रजिस्ट्रेशन होगा और एक साल के भीतर सभी नए पुराने दंपत्तियों को चाहे वे किसी भी मजहब को मानने वाले हों उन्हें अपनी शादी का पंजीकरण करवाना होगा. जो ऐसा नहीं करेंगे वे तमाम सरकारी योजनाओं से अलग होंगे.