अल्जाइमर, डायबिटीज और हाइपरटेंशन जैसी खतरनाक बीमारियों की दवाओं की कीमतों में 10 पर्सेंट का इजाफा हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार की ओर से करीब 100 दवाइयों को जरूरी दवाओं की राष्ट्रीय सूची में से हटा दिया गया है।
– सरकार का यह फैसला ग्राहकों पर विपरीत असर डाल सकता है, लेकिन इससे दवा निर्माता कंपनियों को राहत मिल सकती है।
– ड्रग प्राइस रेग्युलेटर के पुराने आदेश को रद्द करते हुए सरकार ने कंपनियों को इन दवाओं के दाम बढ़ाने की अनुमति दे दी है। ये दवाएं अब जरूरी वस्तुओं की राष्ट्रीय सूची में शामिल नहीं होंगी। इससे पहले देश में दवा की कीमतों पर निगरानी रखने वाली संस्था नैशनल फार्सास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी ने इस तरह की दवाओं की कीमतों में एक साल तक इजाफे पर रोक लगा दी थी।
– कई दवा कंपनियों ने इस फैसले पर रोक लगाने की मांग करते हुए सरकार से संपर्क किया था। बीते डेढ़ साल में ऐसा पहली बार है, जब केंद्र सरकार ने बड़ी संख्या में दवाओं की कीमतों में इजाफे की अनुमति दी है। सरकार उन दवाओं की कीमतों पर सीधे नियंत्रण रखती है, जिन्हें राष्ट्रीय आवश्यक दवा सूची में शामिल किया जाता है।