सरकार का इरादा पांच साल में 40 लाख पर्यटकों को क्रूज टूरिज्म की तरफ आकर्षति करने का है. पिछलें साल यह आंकड़ा 1.80 लाख रहा है. केन्द्रीय सडक परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने यह जानकारी दी. समुद्री क्षेत्र में बड़े बड़े आलीशान जलपोतों में यात्रा करना क्रूज टूरिज्म कहलाता है. हालांकि, क्रूज टूरिज्म उद्योग भारत में माल एवं सेवाकर जीएसटी लगाये जाने को लेकर आशंकित है.RBI ने सभी बैंकों को दी बड़ी सलाह, कहा- सुरक्षित कर ले अपने बैंक लॉकर
सडक परिवहन एवं नौवहन मंत्री ने यहां क्रूज टूरिज्म पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि यदि सही दिशा में कदम बढ़ाये जायें तो भारत में पर्यटकों को लेकर आने वाले जहाजों की संख्या मौजूदा 158 से बढ़कर सालाना 955 तक पहुंच सकती है. गडकरी ने कहा कि जल-विहार के पर्यटकों की संख्या बढ़ने से राजस्व लाभ 2022 तक 35,500 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है. पिछले साल यह आंकड़ा 700 करोड़ रुपये था.
कार्नविल यूके के चेयरमैन डेविड डिंगल ने कराधान और बंदरगाह शुल्क जैसी कुछ चिंताओं को उठाया. उन्होंने कहा कि विकसित देशों के मुकाबले यह शुल्क यहां 50 प्रतिशत तक अधिक हैं. यूके कार्नविल दुनिया में क्रूज टूरिज्म का 42 प्रतिशत हिस्सा नियंत्रित करता है. डिंगल ने कहा, भारत में क्रूज टूरिज्म से जुड़ी किसी भी गतिविधि पर कोई जीएसटी नहीं लगना चाहिये.
यह केवल धन की बात नहीं है बल्कि सैद्धांतिक तौर पर क्रूज टूरिज्म को टिकट के दाम और यात्रा के दौरान क्रूज जहाज में होने वाली बिक्री पर जीएसटी लागू नहीं होना चाहिये. इस उद्योग में ऐसा नहीं हो सकता हॉ. यह समझाने की बात है कि क्रूज टूरिज्म अंतरराष्ट्रीय समुद्री क्षेत्र में संचालित होता है. इसमें खपत का स्थान महत्वपूर्ण है, जो कि गहरा समुद्री क्षेत्र है, इसलिये इस पर जीएसटी नहीं लगना चाहिये.
गडकरी ने कहा कि उनके मंत्रालय ने इस संबंध में जीएसटी पर विचार नहीं किया है लेकिन डिंगल को आश्वस्त किया कि वह इस मुद्दे को पर्यटन मंत्रालय के साथ साथ वित्त मंत्रालय के समक्ष उठायेंगे. जहाजरानी मंत्रालय इस मुद्दे को पहले ही जीएसटी परिषद के समक्ष रख चुका है. जीएसटी परिषद जीएसटी के मामले में सबसे शीर्ष नीति निर्माता और निर्णय करने वाली संस्था है.