हरिद्वार में बारिश ने जमकर कहर बरपाया। मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो पिछले सात सालों में पहली बार इतनी बारिश हुई है। वहीं वे इसे बादल फटने से जोड़ रहे हैं। इसे चलते शहर में चारों और पानी ने तबाही मचाई। तस्वीरों में देखें…राष्ट्रपति कोविंद के अंगरक्षकों के लिए जाट और राजपूत की ही की जाएगी भर्ती, SC/ST कोटे वाले ना करें अप्लाई
बृहस्पतिवार की सुबह हुई आसमान से बारिश के रूप में ऐसी आफत बरसी की शहर से देहात तक लोगों का जीवन पटरी से उतर गया। शहर में जगह-जगह लोगों के घरों में पानी घुसने से लाखों रुपये का सामान खराब हो गया। नगर निगम क्षेत्र में कई स्थानों पर सड़कें बह गई। पहाड़ से बहकर आई सिल्ट बाजार की सड़कों पर फैल गई। शहर में जलभराव से दिनभर ट्रैफिक व्यवस्था पटरी से उतरी रही और लोग जाम में फंसे रहे।
सिडकुल, बहादराबाद, श्यामपुर और पथरी क्षेत्र के गांव में भी बारिश ने भारी नुकसान पहुंचा। सुबह करीब पांच बजे हरिद्वार और आसपास के क्षेत्रों में हल्की बारिश शुरू हो गई थी। करीब तीन घंटे तक हल्की बारिश ही होती रही, लेकिन आठ बजे से मूसलाधार बारिश होने लगी। थोड़ी देर में ही पूरा शहर लबालब हो गया। शहर के भगत सिंह चौक पर पांच से छह फीट तक पानी भर गया।
कनखल के कृष्णानगर, लाटोवाली, ज्वालापुर के पीठ बाजार, कटहरा बाजार पावधोई, विष्णुलोक कालोनी, के साथ ही बहादराबाद सिडकुल से सटे जमालपुर खुर्द, रावली महदूद आदि गांव में बनी नई कालोनियों में भी जलमग्न हो गई। कृष्णानगर में छोटी नहर के ओवर फलो होने से सौ से ज्यादा घरों में दो से तीन फीट तक पानी भर गया। लोगों के डबल बेड, कुर्सी, मेज, और अन्य सामान पानी में तैर रहा था।
खाने पीने का सामान खराब हो गया। कपड़े और अन्य सामान भी नहीं बच पाया। पूरे शहर की सीवर लाइन चौक होने से सीवर का गंदा पानी भी घरों में भर गया। शहर का ऐसा कोई चौक नहीं था, जहां तीन से चार फीट तक पानी नहीं था। विकास कॉलोनी निवासी कांग्रेसी नेता सोम त्यागी के गैराज पर आकाशीय बिजली गिरने से दीवारें क्षतिग्रस्त हो गई।
पानी का ऐसा सैलाब आया कि गैराज में खड़ी दो गाड़ियां तेज बहाव में बहकर एसएमजेएन कॉलेज के खेल मैदान में तक पहुंच गई। दोपहिया वाहन क्षतिग्रस्त हो गए। गनीमत यह रही कि गैराज से सटे आवास में रह रहे लोगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा।
चंद्राचार्च चौक, शंकर आश्रम, रेलवे रोड, ज्वालापुर, शिवमूर्ति चौक, ललतौराव पुल आदि पर वाहन पानी में बहते देखे गए। ज्वालापुर और हरिद्वार की सभी सड़के तालाब नजर आ रही थी।