बेटियां आज समाज के हर वर्ग से कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। लड़के अगर देर रात तक सड़कों पर घूम सकते हैं तो लड़कियां भी घूम सकती हैं। उनके घूमने पर सवाल क्यूं उठाया जाता है। ऐसे लोगों को बताने का वक्त आ गया है कि महिलाएं कमजोर नहीं हैं।
महिलाओं को रोजाना हर जगह चाहे आफिस हो या घर, बाजार हो या कोई कार्यक्रम हर जगह ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। बस अब बहुत हुआ, ऐसे लोगों को सबक सिखाने के लिए अब एक आवाज उठी है और इसे हम बुलंद करके रहेंगे।
इस मार्च में मैं उन सभी के साथ हूं जो रोजाना इस तरह की घटनाओं की शिकार होती हैं। हमारी भी बहनें और परिवार की अन्य महिलाएं रोजाना घर से बाहर निकलती हैं। उन सभी को बेखौफ आजादी मिले, इसके लिए मैं इस मार्च को सपोर्ट करने आया हूं।
अब समय बदल चुका है। काफी कामकाजी महिलाएं रात के समय घर लौटती हैं। ऐसी स्थिति में उनके साथ होने वाली घटनाओं को रोकना आवश्यक है। आवश्यकता इस बात की भी है इस स्मार्ट सिटी की सड़कें अंधेरे में न डूबी रहें और ज्यादा से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे की हद में सिटी हो।
यह ‘बेखौफ आजादी मार्च’ महिलाओं की आजादी के लिए है। दिन हो या रात, महिलाओं के लिए आजादी हमेशा होनी चाहिए। हमारा मार्च इसीलिए था। चंडीगढ़ में क्राइम अचानक बढ़ने लगा है। क्राइम की उत्पत्ति को खत्म करना होगा। प्रभावशाली लोग इतनी आसानी से मामलों को दबा लेंगे, ऐसा नहीं हो सकता है।
महिलाओं के साथ कितना गलत हो रहा है सभी जानते हैं। वर्णिका का मामला हाईप्रोफाइल है और इसीलिए यह इतना हाईलाइट हो गया, पर न जाने कितने ऐसे मामले आते हैं जो दबे ही रह जाते हैं। जरा इन मामलों पर भी नजर डालनी चाहिए।
अब समय बदल चुका है। काफी कामकाजी महिलाएं रात के समय घर लौटती हैं। ऐसी स्थिति में उनके साथ होने वाली घटनाओं को रोकना आवश्यक है। आवश्यकता इस बात की भी है इस स्मार्ट सिटी की सड़कें अंधेरे में न डूबी रहें और ज्यादा से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे की हद में सिटी हो।