माखनलाल चतुर्वेदी ने लिया बड़ा फैसला: अब पत्रकारिता एवं विश्वविद्यालय के कैंपस में बनेगी गौशाला

माखनलाल चतुर्वेदी ने लिया बड़ा फैसला: अब पत्रकारिता एवं विश्वविद्यालय के कैंपस में बनेगी गौशाला

संचार मानव समाज की केवल अनिवार्यता ही नहीं है बल्कि जीवन के सर्वांगीण उत्थान का भी साधन है और इसी तरह का उत्थान मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय करता आया है। अब इस विश्वविद्यालय ने पत्रकारिता की पढ़ाई के साथ-साथ गौशाला भी शुरु करने का फैसला लिया है।
माखनलाल चतुर्वेदी ने लिया बड़ा फैसला: अब पत्रकारिता एवं विश्वविद्यालय के कैंपस में बनेगी गौशालाएक ऐसी क्वीन जो 10 साल की उम्र में हुई थी दर्जनो बार बलात्कार की शिकार

विश्वविद्यालय के कुलपति बी के कुठियाला ने बताया कि हमारे पास 50 एकड़ के कैंपस हैं जिसमें से दो एकड़ में गौशाला बनाई जाएगी। कुलपति ने यह भी बताया कि इस गौशाला से छात्रावास में रहने वाले विद्यार्थियों को दूध, मक्खन और घी भी मिलेगा।

साथ ही उन्होंने कहा कि गाय के गोबर से बायो गैस भी बनाई जाएगी, जो छात्रावास में ईंधन के रुप में काम आएगी। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि परिसर में ऑर्गेनिक खेती भी की जाएगी, जिसमें गाय का गोबर खाद के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा। उन्होंने आउटसोर्स करने और बायो गैस प्लांट लगाने की भी बात कही। 

हालांकि, इस मामले में विश्वविद्यालय के कुलाधिसचिव लाजपत आहूजा से भी पूछा गया तो उन्होंने भी वही कहा कि नए कैंपस में लगभग पांच एकड़ जमीन खाली हैं, जिसमें से दो एकड़ में गौशाला बनाई जाएगी और बाकी में सब्जी उगाने का काम किया जाएगा। 

उन्होंने यह भी बताया कि इससे विश्वविद्यालय के छात्रों, स्टाफ और अध्ययन से कोई लेना देना नहीं है। दोनों काम आउटसोर्स के जरिए कराए जाने की योजना है।  वहीं, विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार दीपक शर्मा ने कहा कि यह एक नया प्रयोग ‘गौशाला’ लगभग 2 एकड़ जमीन पर होगा। इसके लिए यूजीसी की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है।

विश्वविद्यालय के इस फैसले पर कई पार्टी के लोगों ने सवाल उठाया। फैसले की निंदा करते हुए कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि कुलपति अपने आरएसएस के गुरुओं को खुश करने का प्रयास कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि पत्रकारिता विश्वविद्यालय में गौशाला बनाने का क्या मतलब है। छात्र विश्वविद्यालय में पत्रकारिता सीखने के लिए आएंगे या गौसेवा करने। वहीं, इस फैसले पर मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने भी सवाल उठाए हैं।

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