लखनऊ: बकरीद के मौके पर जानवरों की कुर्बानी को लेकर आरएसएस के मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने कड़ा विरोध किया है। कुर्बानी को लेकर मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने अपने विचार आज विश्व संवाद केन्द्र ने एक प्रेस वार्ता के दौराने रखे। इस प्रेस वार्ता में मंच के पदाधिकारियों ने कहा कि बकरीद में कुर्बानी को लेकर समाज में अंधविश्वास फैला है।
मुसलमान अपने आपको ईमान वाला तो कहता है लेकिन वास्तव में अल्लाह की राह पर चलने से भ्रमित हो गया है। कुर्बानी का विरोध करते हुए प्रश्न उठाया कि कुर्बानी जायज नही है तो फिर जानवरों की कुर्बानी क्यों दी जा रही है। इसी प्रकार आज आयोध्या के विवादित ढॅाचे पर नजर दौड़ाये तो कुरान के अनुसार जहॉ फसाद हो वहॉ नमाज अदा नही की जा सकती है तो फिर विवादित ढॉचे की जगह मस्जिद कैसे बनायी जा सकती है।
बकरीद में जानवरो की कुर्बानी के नाम पर जानवरो का कत्ल है कुर्बानी नही। रसूल ने फरमाया है पेड़, पौधे, पशु,पक्षी अल्लाह की रहमत हैए उन पर तुम रहम करोंग, अल्लाह की तुम पर रहमत बरसेगी। संयोजक अवध प्रान्तए यूपी के सै. हसन कौसर ने गाय की कुर्बानी को हराम बताते हुए कहा कि रसूल ने फरमाया है कि गाय का दूध शिफा है और मॉस बीमारी है। कुर्बानी के नाम पर गाय के मॉस को खाना रसूल के आदेशो की ना फरमानी है।
कौसर ने कहा तीन तलाक की भॉति ही बकरीद के मौके पर जानवरो की कुर्बानी एक कुरीति है। हम सब 21 वीं शदी में प्रवेश करने जा रहे है। समाज को बुरी कुरीतियों से निकालना होगा। तालीम को हासिल करना खुदा और रसूल दोनों ने इस दुनियॉ में इंसान का पहला कर्तव्य कहा है। जो अच्छी तालीम लेगा, वही कुरॉन की बातों को समझेगा और कुरीतियों से खुद ब खुद निकलकर बाहर आ जायेगा।
जो लोग बकरीद के मौके पर जानवरो की कुर्बानी को जायज बताते है और समाज में बकरीद के मौके पर जानवरों की कुर्बानी देने की प्रेरणा दे रहे है वह सब रसूल की बताये गये रास्तो के खिलाफ है और सुन्दर इस्लाम को खराब बनाने के लिये प्रयासरत है। लोगो को इनका बहिष्कार करना चाहिए। इस मौके पर मौजूद मुस्लिम राष्टï्रीय मंच के लोगों ने बकरीद में जानवर की कुर्बानी देना हराम बताया।