कानपुर में आईआईटी प्रशासन और छात्र व प्रोफेसरों के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। यहां के छात्रों-प्रोफेसरों ने तानाशाही का आरोप लगाते हुए संस्थान प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सोशल मीडिया पर छात्र और प्रोफेसर संस्थान प्रशासन की जमकर खिंचाई कर रहे हैं। फेसबुक पर कुछ पोस्ट में संस्थान प्रशासन के रवैये को कैंपस में अभिव्यक्ति की आजादी पर खतरा बताया गया है। बाढ़ का प्रभाव: मृतकों के परिजनों को 72 लाख, घर के लिए बांटे 25 लाख
पुलिस से बातचीत करते आईआईटी के प्रोफेसर
बताया अभिव्यक्ति की आजादी का खतरा
शिक्षकों का आरोप है कि उन्हें कैंपस गेट और परिसर में बार-बार आई कार्ड दिखाने के लिए कहा जाता है। सिक्योरिटी कर्मचारी लगातार फैकल्टी मेंबर्स और छात्रों को परेशान करते हैं। छात्रों के पोस्टर लगाने तक पर रोक लगा दी गई है। यह अभिव्यक्ति की आजादी का हनन है। एक शिक्षक ने अपने फेसबुक पोस्ट पर लिखा है कि हमसे हमारी आजादी कोई नहीं छीन सकता। एक अन्य शिक्षक ने इसे अघोषित इमरजेंसी बताया। यू-ट्यूब पर आईआईटी कानपुर फोरम फॉर क्रिटिकल थिंकिंग अकाउंट से अपलोड वीडियो का कैप्शन भी तंज कस रहा है। कैप्शन है ‘डेमोक्रेसी एट इट्स इंड प्वाइंट इन आईआईटी कानपुर’।
ई-मेल के जरिये की शिकायत
शिक्षकों ने ई-मेल के जरिये आईआईटी प्रशासन से इसकी शिकायत की है। तय किया है कि वह कैंपस के शिक्षकों और छात्रों के साथ पीस बैठक कर इस मसले पर चर्चा कर आगे की रणनीति तैयार करेंगे।
यह है विजिटर हॉस्टल मामला
पिछले दिनों विजिटर हॉस्टल (गेस्ट हाउस) के कॉन्ट्रैक्टर को बदल दिया गया है। इसमें काम कर रहे 74 में से 72 कर्मचारियों को बाहर कर दिया गया। कई प्रोफेसर व छात्र प्रशासन के इस रवैये से नाराज हैं। वह कॉन्ट्रैक्ट देने के नियमों का हवाला देते हुए इसे गलत बता रहे हैं। इसी बात को लेकर प्रोफेसरों ने बैठक बुलाई थी। इसमें छात्र बिजली, पानी समेत कुछ मुद्दे अपने स्तर से भी उठाने वाले थे।
आईआईटी कानपुर के रजिस्ट्रार केके तिवारी का कहना है ‘ओपन बैठक के लिए सिर्फ इंस्टीट्यूट के प्रोफेसरों और छात्रों को अनुमति दी गई थी। जानकारी के मुताबिक बैठक में जा रहे छात्रों और प्रोफेसरों से उनका आई कार्ड मांगा गया था। इसे लेकर एक छात्र नाराज हो गया और बहस करने लगा। इसकी कोई लिखित शिकायत मुझे नहीं मिली है। आजादी पर प्रतिबंध लगाने और पोस्टर लगाने पर रोक की बात गलत है। इंस्टीट्यूट में हर कोई अपनी बात रखने के लिए स्वतंत्र है।