सात वर्षीय छात्र प्रद्युम्न की टॉयलेट में हुई निर्मम हत्या में हत्यारा एक बार में गला काटने में सफल नहीं हुआ था। दो बार में हत्यारे ने गला काटा था। जिससे प्रद्युम्न को गहरा कट लगने के बाद तेजी से खून का बहाव हुआ और अधिक खून बहने के कारण ही उसकी मौत हो गई। हालांकि शरीर के किसी हिस्से में चोट के कोई निशान नहीं मिले हैं। यह दावा है कि प्रद्युम्न का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर दीपक माथुर का।
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डॉ. माथुर कहते हैं एक बार में प्रद्युम्न का गला नहीं कटा था। एक बार में थोड़ा हल्का कट लगा था, लेकिन यह कट उसके गले के नस तक नहीं पहुंचा। जबकि दूसरी बार में चाकू को एक तरफ दबाकर काटा गया। जिससे उसके गले के निचले में अधिक गहरा कट हो गया और इससे उसके गले की नस कट गई, जिसकी वजह से गले से आवाज नहीं निकल पाई।
प्रद्युमन के गले पर दूसरी बार अधिक ताकत के साथ गले पर वार किया गया था। जिसमें उसके नीचे का हिस्सा में गहरा कट हो गया। यहां नस कटने से अधिक खून बहने लगा। इस नस कटने से तत्काल मौत नहीं हुई। थोड़ी देर तक उसकी सांसे चली होगी। गले में अधिक गहरा कट होने और नस कटने से खून बहने का बहाव तेज हो गया और अधिक खून बहने के कारण उसकी मौत हो गई।
हालांकि डॉक्टर का दावा है कि शरीर में चोट के कोई निशान नहीं है और न ही उसके साथ कोई यौन उत्पीडन हुआ है। डॉक्टर का कहना है कि यदि यौन उत्पीडन की कोशिश होती तो कपड़े पर वीर्य जरूर मिलता, लेकिन कपड़े पर कोई वीर्य नहीं मिला है और न ही जनांगों के साथ कोई छेडख़ानी हुई है। ऐसे में यौन उत्पीडन की बात नहीं कही जा सकती है। इतना जरूर है कि दूसरी बार जब चाकू से वार किया गया होगा तो जरूर मुंह दबाया होगा। इसकी वजह से चीख उस समय बाहर नहीं निकली होगी।
बता दें कि पुलिस का दावा है कि आरोपी ने प्रद्युम्न के साथ यौन उत्पीडन की कोशिश की थी और इसमें असफल होने के बाद उसकी हत्या कर दी थी। ऐसे में पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद एक बार फिर पुलिस की थ्योरी पर फिर से सवाल उठ गए हैं।