अब भोजन सिर्फ पेट भरने के लिए नहीं होगा बल्कि भविष्य में ऐसा भोजन लोगों को मिल सकता है जो पेट भरने के साथ-साथ बीमारियों से भी लोगों को बचाए. केंद्र सरकार नई परियोजना ‘फूड इज़ मेडिसिन’ मिशन की रूपरेखा तैयार कर रही है. इसका मकसद लोगों की थाली में ऐसे खाद्यान्न पहुंचाना है जो पेट भरते के साथ-साथ बीमारियों से भी बचाएं. बीजीआर-34 जैसे मधुमेहरोधी आयुर्वेदिक फार्मूले और भारतीय मसाले इस कार्यक्रम का अहम हिस्सा बनेंगे.
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‘फूड इज़ मेडिसिन’ मिशन का प्रारूप वैज्ञानिक एवं औद्यौगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने तैयार किया है. सीएसआईआर इस कार्यक्रम में आयुर्वेदिक फार्मूलों, अपनी प्रयोगशालाओं द्वारा विकसित पोषक खाद्य तकनीकों और परंपरागत मसालों को शामिल करने जा रहा है. लेकिन वैज्ञानिक तय करेंगे कि कौन सा आयुर्वेदिक फार्मूला, कौन से मसाले और कौन सा उसके द्वारा विकसित उत्पाद किस प्रकार की बीमारियों को बचाने में कारगर है. इन्हें खाने की मात्रा भी वैज्ञानिक ही तय करेंगे.
सीएसआईआर की अपनी कई तकनीकें पर काम कर रहा है जिनमें से कई बाजार में हैं और कई लांच होने वाली हैं. इनके उत्पाद भी कार्यक्रम का हिस्सा बनेंगे. इनमें आयुर्वेदिक फार्मूला बीजीआर-34 जो मधुमेह रोधी गुणों से भरपूर है, यह उन लोगों के लिए भी फायदेमंद है जो मधुमेह के मुहाने पर हैं. जिन लोगों को मधुमेह हो चुका है, उनके लिए यह रामबाण है. यह बीमारी ठीक करने, बचाव के साथ-साथ शरीर को पौष्टिक तत्व भी प्रदान करती है. इसमें एंटी ऑक्सीडेंट भी मौजूद हैं. इसी प्रकार सीएसआईआई द्वारा विकसित फलों का कार्बनीकृत पेय, एंटी ऑक्सीडेंट हर्बल चाय, कीड़ाजड़ी आदि उत्पाद शामिल हैं जो लोगों को कई किस्म की बीमारियों से बचा सकते हैं.
सीएसआईआर के आला अधिकारियों के अनुसार मसालों में भी औषधीय गुण हैं लेकिन उनका सही इस्तेमाल नहीं होने से लोगों को इनका उचित फायदा नहीं मिल रहा है. मसालों का अध्ययन कर उनके गुणों को चिह्नित किया जाएगा और उनकी मात्रा तय होगी. उदाहरण के तौर पर लहसुन में मौजूद एलिसिन नामक तत्व हाई ब्लड प्रेशर को सामान्य करने में मददगार है. एलिसिन खून के थक्के नहीं जमने देता, जिसकी वजह से दिल तक खून पहुंचने में कोई रुकावट नहीं आती. यानी अब थाली, दवाई से ज़्यादा सेहतमंद होगी. दवाई गोली बीमारी से बाद का उपाय है जबकि थाली बीमारी को पास ही नहीं फटकने देगी.
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