इस सम्मेलन में भारत की चीन से होने वाली बातचीत पर भी सभी की नजरें लगी हुई हैं। चीन पहले ही कह चुका है भारत की एनएसजी और मसूद अजहर के मुद्दे पर उसका स्टैंड पहले की तरह रहेगा। चीन, भारत की एनएसजी मेंबरशिप को लेकर लगातार विरोध कर रहा है। वहीं, चीन यूएन में जैश-ए-मोहम्मद चीफ मसूद अजहर को आतंकी घोषित करने का विरोध किया था।
अजहर वही आतंकी है, जिसे 1999 में कंधार हाईजैक केस में यात्रियों की रिहाई के बदले छोड़ा गया था। पठानकोट एयरबेस और उड़ी आर्मी कैम्प पर हमले में जैश का ही हाथ था। चीन साफ कर चुका है कि वो भारत के राजनीतिक फायदे के लिए ऐसी किसी भी कोशिश का सपोर्ट नहीं कर सकता। प्रधानमंत्री मोदी की यह भी कोशिश है कि इस बैठक के जरिए मंदी से जूझ रहे सदस्य देशों का हौसला बढ़ाया जाए।
वहीं, भारत रूस के साथ एस-400 एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम की डील साइन करने जा रहा है। यह डील 5 अरब डॉलर यानी 33000 करोड़ रुपये की है जिस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन साइन करेंगे। इस मिसाइल को खरीदने वाला भारत दुनिया का दूसरा देश होगा।
इस अहम डील के साथ ही भारत की कोशिश वायुसेना के लिए मध्यम क्षमता के 48 कोमोव हेलीकॉप्टर खरीदने की भी है। अब तक भारत ट्रांसपोर्ट हेलीकॉप्टरों के रूप में एमआई-17 हेलीकॉप्टरों पर ही निर्भर है। वहीं, सशस्त्र बलों को ले जाने के लिए 100 के करीब इन्फैंट्री कॉम्बैट वेहिकल्स की खरीदारी भी होनी है। यही नहीं डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन्स के अलावा भारत रूस से परमाणु संपन्न सबमरीन लीज पर लेने की तैयारी में भी है। इससे हिंद महासागर में भी भारत का दबदबा बढ़ेगा और वो चीन की चुनौती का सामना करने के लिए तैयार होगा।