बाजार नियामक सेबी ने माल्या को शेयर मार्केट में लिस्टेड किसी भी कंपनी का निदेशक होने पर रोक लगा दी थी। सेबी ने अपना फैसला तब लिया था जब एसबीआई द्वारा बनाए गए बैंकों के कंशोर्सियम ने माल्या को सभी लिस्टेड कंपनियों के निदेशक, चेयरमैन आदि पद से हटाने का आग्रह किया था।
सीवाई पाल को बनाया एक्टिंग चेयरमैन
SFIO ने यह भी पाया है कि जेट उस वक्त खरीदा गया था जब कंपनी की हालत ठीक नहीं थी लेकिन जेट यह कहकर खरीदा गया कि इससे होने वाली कमाई से कंपनी के दिन सुधर सकते हैं।
SFIO की रिपोर्ट से पता लगा है कि किंगफिशर कंपनी (KFAL) ने फरवरी 2006 में इस जेट के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय में अप्लाई किया था। कंपनी को जेट को इंपोर्ट करने के लिए NOC चाहिए थी।
इसी के साथ एक और NOC मांगी गई थी जिसमें लिखा था कि इस जेट का यूज माल्या, कंपनी के वीवीआईपी टूरिज्म के लिए होना है, इसमें विश्व की विभिन्न जगहों के लिए उड़ान भरने की इजाजत मांगी गई थी। सर्टिफिकेट मिलने के बाद जेट को VT-VJM से रजिस्टर करवा लिया गया था।
SFIO ने बाकी कई मामलों की भी छानबीन की, जिसके बाद माल्या, UBHL और किंगफिशर पर सेक्शन 542 के तहत बिजनेस में धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया है। VT-VJM को फिलहाल सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट ने जब्त किया हुआ है।
400 करोड़ के टैक्स बकाया मामले में दिसंबर 2013 में जेट को जब्त किया गया था। बॉम्बे हाईकोर्ट ने उसको नीलाम करने के लिए कहा था लेकिन किसी ने सही बोली नहीं लगाई।