नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल के निकट मंजूरी के बिना निर्माणाधीन मल्टीलेवल पार्किंग और हजारों पेड़ काटने की इजाजत मांगने को लेकर तल्ख टिप्पणी की है। चार हफ्ते के अंदर पार्किंग ढहाने का आदेश देते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐतिहासिक धरोहर के पास निर्माण व पेड़ों की कटाई की इजाजत देने के लिए क्यों न ताजमहल को ही कहीं शिफ्ट कर दिया जाए।
न्यायाधीश न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ का यह फैसला ऐसे समय आया है जब दो दिन बाद ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पर्यटन योजनाओं की समीक्षा के लिए ताजमहल का दौरा करने वाले हैं।
पीठ ने आगरा प्रशासन को 17वीं शताब्दी की धरोहर के एक किलोमीटर के दायरे में पर्यटकों के लिए ओरिएंटेशन सेंटर के तहत निर्माणाधीन पार्किंग को चार हफ्ते के अंदर ढहाने का आदेश दिया। पीठ ने यूपी सरकार के वकील की अनुपस्थिति पर भी नाराजगी जताई। बाद में यूपी सरकार की एडिशनल एडवोकेट जनरल ऐश्वर्य भाटी ने पीठ से गुहार की कि इस आदेश पर रोक लगाई जाए लेकिन पीठ ने फिलहाल इस पर रोक लगाने से इनकार किया।
पीठ ने उनसे कहा कि वह इस संबंध में याचिका दाखिल करें। याचिका दायर करने के बाद इस पर विचार किया जाएगा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एएसआई के वकील एडीएन राव ने पीठ को बताया कि बिना मंजूरी के पार्किंग का निर्माण किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि इसके निर्माण से पूर्व न तो पर्यावरण मंजूरी ली गई और न ही सीईसी से ओर क्लीयरेंस लिया गया। पर्यावरणविद एमसी मेहता की याचिका पर गौर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ताजमहल क्षेत्र में विकास कार्य की निगरानी कर रहा है। मेहता ने अपनी याचिका में ताज को प्रदूषित गैसों और आसपास हो रही पेड़ों की कटाई के दुष्प्रभावों से बचाने की गुहार लगाई थी।