लोकतंत्र में विरोध-प्रदर्शन का बहुत महत्व होता है और इसी का पर्याय बन चुका राजधानी दिल्ली का जंतर-मंतर आज से शांत हो जाएगा।
….तो इस वजह से किन्नर गुलशन को मिला अयोध्या में सपा का साथ
जंतर-मंतर को खाली किए जाने के एनजीटी के आदेश के बाद पुलिस और स्थानीय निकाय अधिकारियों ने सोमवार को उन तंबुओं तथा अस्थायी ढांचों को हटा दिया जिन्हें पूर्व सैन्यकर्मियों ने वन रैंक-वन पेंशन योजना लागू करने की मांग को लेकर यहां प्रदर्शन के लिए स्थापित किया था।
बता दें कि वन रैंक वन पेंशन की मांग कर रहे पूर्व सैन्यकर्मी यहां पिछले दो साल से प्रदर्शन कर रहे हैं। पुलिस के अनुसार 5 अक्टूबर को राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने जंतर-मंतर पर किसी भी तरह के धरना-प्रदर्शन पर रोक लगा दी थी जिसके बाद ये कार्रवाई की गई है।
इसके साथ ही पुलिस ने ये भी जानकारी दी कि इन लोगों को जंतर-मंतर खाली करने को पहले ही बता दिया गया था। उनसे ये भी कहा गया था कि या तो जगह खाली करें या अदालत से स्टे ऑर्डर लेकर आएं।
हमारी आवाज दबाने की है कोशिश
प्रदर्शनकारियों की दलील है कि अगर किसी अधिकरण से कोई आदेश आता भी है तो चीजों को करने का एक तरीका होता है। और उन्होंने जो किया है वह पूरी तरह से गलत और अन्यायपूर्ण है।
सिंह ने कहा कि जिस समय यह अभियान चलाया गया उस समय एक पूर्व सैन्यकर्मी की पत्नी तंबू में थी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि किसी को कोई चोट नहीं आई। पुलिस ने किसी तरह के बल प्रयोग से इंकार किया है।
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