घरों में एलईडी लाइट का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है. केंद्र सरकार भी लगातार एलईडी लाइट्स के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही है, लेकिन एक रिपोर्ट आपको इसका यूज करने से रोक सकती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में बिकने वाली एक चौथाई एलईडी लाइट्स सुरक्षा मानकों पर खरी नहीं हैं.अभी-अभी: RBI ने दी बड़ी खुशखबरी, दिसंबर में सस्ती हो जाएंगी आपके लोन की EMI
नील्सन की रिपोर्ट
मार्केट रिसर्च फर्म नील्सन ने यह रिपोर्ट जारी की है. इसके मुताबिक भारत में बिकने वाले एलईडी लाइट्स में से एक चौथाई सुरक्षा मानकों पर खरा नहीं उतरती हैं. रिपोर्ट के मुताबिक ये उन मानकों पर खरे नहीं हैं, जो ग्राहक सुरक्षा के लिए देश में तय किए गए हैं.
दिल्ली में सबसे ज्यादा फर्जी एलईडी लाइट
नील्सन ने 200 इलेक्ट्रिकल रिटेल आउटलेट्स का अध्ययन कर यह रिपोर्ट तैयार की है. यह अध्ययन मुंबई, हैदराबाद, अहमदाबाद और नई दिल्ली में किया गया. अध्ययन में सामने आया कि कई एलईडी लाइट्स फर्जी और अधोमानक हैं. फर्जी एलईडी बल्बों की सबसे ज्यादा संख्या दिल्ली में है.
मेक इन इंडिया के लिए भी खतरा
नील्सन ने रिपोर्ट में कहा कि फर्जी और अधोमानक एलईडी लाइट्स से न सिर्फ सच्चे कारोबारियों के लिए एक खतरा है ,बल्कि यह केंद्र सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ प्रोग्राम के लिए भी बड़ा खतरा साबित होगा.
चीनी एलईडी लाइट की घुसपैठ
ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडडर्स (बीआईएस) ने अगस्त महीने में एलईडी मेकर्स से कहा है कि वे अपने उत्पाद बीआईएस के साथ रजिस्टर करें, ताकि उन्हें सुरक्षा मानकों के लिए जांचा जा सके. भारत में एलईडी लाइट्स का मार्केट 10 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा का है, लेकिन इसमें चीनी एलईडी लाइट्स की घुसपैठ भी काफी बड़े स्तर पर है.
क्वालिटी कंट्रोल पर है फोकस
भारत सरकार अब क्वालिटी कंट्रोल को लेकर कड़ी निगरानी बरत रही है. वह ग्राहकों के इस्तेमाल में आने वाले अलग-अलग उत्पादों के निर्यात पर कड़ी नजर रखे हुए है. इसी के तहत केंद्र सरकार ने चीन से आने वाले कई उत्पादों पर इंपोर्ट ड्यूटी और एंटी-डम्पिंग ड्यूटी भी बढ़ा दी है.
सरकार की आय पर भी पड़ रहा असर
नील्सन ने रिपोर्ट में कहा है कि नकली उत्पाद न सिर्फ सरकार के राजस्व को प्रभावित करते हैं, बल्कि ये देश में व्यापार की सुगमता के सिद्धांत के लिए भी खतरा साबित होते हैं.