क्रिकेट की दुनिया में ऐसा कोई भी शख्स नहीं है जो अपने क्रिकेट करियर का अंत उसी मैदान पर करना चाहता है जहां से उसने करियर की शुरुआत की। हालांकि ऐसा मौका कुछ खिलाड़ियों को मिलता है और कुछ की ये हसरत अधूरी रह जाती है। जिस तरह मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने साल 2013 में करियर का 200वां टेस्ट खेलने के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा उसके बाद कुछ ऐसी विदाई टीम इंडिया के ग्रैंड ओल्ड मैन या सहवाग के शब्दों में कहें तो भारतीय क्रिकेट के पितामह आशीष नेहरा को मिलने जा रही है। अभी-अभी: श्रीलंकाई कप्तान चांदीमल ने दिया बड़ा बयान, कहा- जादू-टोने की बदौलत जीती पाक के खिलाफ टेस्ट सीरीज
बुधवार को दिल्ली के फिरोज शाह कोटला मैदान पर 39 वर्षीय नेहरा न्यूजीलैंड के खिलाफ करियर का आखिरी मैच खेलने जा रहे हैं। ये मौका नेहरा के 18 साल लंबे अंतराष्ट्रीय क्रिकेट करियर को पीछे मुड़कर देखने और प्रशंसकों के साथ उसके कुछ रोचक पलों को साझा करने का है। आईए आपको नेहरा के करियर की एक ऐसी घटना के बारे में बताते हैं जो गेंदबाजी से नहीं बल्लेबाजी से जुड़़ी है। नेहरा ने इस घटना के दौरान क्रिकेट का मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स क्रिकेट मैदान पर वो कारनामा कर दिखाया जो सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग जैसे धाकड़ बल्लेबाज भी नहीं कर पाए।
यह घटना है साल 2002 की। टीम इंडिया इंग्लैंड के दौरे पर गई थी। इस दौरे में लॉर्ड्स में खेले गए टेस्ट मैच में टीम इंडिया को हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन इसी टेस्ट की चौथी पारी में अजीत आगरकर ने अपने टेस्ट करियर का इकलौता शतक जड़ा था। उनकी इस पारी के दौरान 9 विकेट गिर गए थे। आगरकर 67 रन पर खेल रहे थे। दसवें विकेट के लिए उनका साथ देने आशीष नेहरा आए। नेहरा ने आगरकर के साथ दसवें विकेट के लिए 60 रन की साझेदारी की थी। उन्होंने 54 गेंद पर 19 रन बनाए थे। नेहरा ने इस दौरान 2 चौके और एक छक्का भी जड़ा। उनका ये छक्का हमेशा के लिए यादगार बन गया।
नेहरा ने लॉर्ड्स में एंड्रर्यू फ्लिंटाफ की गेंद पर जो छक्का जड़ा वो सीधे मैदान से बाहर चला गया। ऐसा लॉर्ड्स के टेस्ट इतिहास में केवल दो बार हुआ है। पहली बार इस ऐतिहासिक मैदान पर ये कारनामा वेस्टइंडीज के महान बल्लेबाज विवियन रिचर्ड्स ने किया था। उसके बाद नेहरा ही गेंद को मैदान से बाहर पहुंचाने में सफल रहे।
नेहरा ने इस घटना के बारे में हाल ही में एक इंटरव्यू में बताते हुए कहा, जब मैं बल्लेबाजी करने आया तब आगरकर 67 रन पर खेल रहा था। मैंने उसके शतक तक डिफेंस करते हुए इंतजार किया शतक तक उसका साथ दिया। लेकिन जब उसने शतक पूरा कर लिया तो मैंने उससे कहा, अब इस तरफ(स्ट्राइक) पर अइयो तू, बहुत हो गया डिफेंस-डिफेंस एक दो लप्पे-शप्पे मार लेन दे मुझे, दिल खुश हो जाएगा। फ्लिंटॉफ गेंदबाजी कर रहा था मैंने उसकी गेंद पर लप्पा घुमाया। उसकी किस्मत इतनी खराब थी कि गेंद बल्ले से कनेक्ट हो गई और सीधे मैदान के बाहर चली गई।
नेहरा ने आगे बताया कि, हम मैच हार रहे थे लेकिन बालकनी पर पूरी टीम खड़ी थी और सब हंस रहे थे। ल़ॉर्ड्स की बालकनी में वीवीएस लक्ष्मण सहित और खिलाड़ी बैठे थे, लेकिन मेरा ये शॉट देखकर सब ताली बजा रहे थे जैसे कि हम ये टेस्ट जीत गए हों। ऐसा देखा है कभी। इसके बाद मेरा बैट ऊपर नहीं गया दिल तो बहुत हो रहा था लेकिन मुझे शर्म आ गई।