बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि आज दुनिया भर में प्रकृति के साथ छेड़छाड़ के दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं. पूरी दिल्ली फॉग से परेशान है. बीजिंग में अमेरिकी राष्ट्रपति के पहुंचने पर विशेष अभियान चलाकर फॉग को हटाने का काम किया गया. मनुष्य को इस बात का भ्रम हो गया है कि प्रकृति पर हम काबू पा लेंगे, यह संभव नहीं है. हमारा हमेशा से मानना है कि प्रकृति के साथ छेड़छाड़ नहीं करना चाहिए बल्कि प्रकृति के अनुरुप ही चलना चाहिए.चाचा जी अपनी जरूरत के मुताबिक प्रयोग कर दगा देते हैं: तेजस्वी प्रसाद यादव
नीतीश कुमार देश के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अब्दुल कलाम आजाद के जन्मदिवस पर पटना में आयोजित शिक्षा दिवस पर बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि गांधी जी ने हमेशा पर्यावरण पर जोर दिया था. उनका कहना था कि यह पृथ्वी मनुष्य की जरुरतों को पूरा करने में सक्षम है, लालच को नहीं. अपनी सुविधा और अपने लालच के लिए प्रकृति के साथ छेड़छाड़ आत्मघाती होगा. गंगा की अविरलता और इसकी निर्मलता की हालत आज क्या हो गई है ? आज से पचास वर्ष पहले बचपन में मैं खुद गंगा में स्नान करता था और पीने के लिए पानी भी घर लेकर जाता था. प्रकृति के साथ छेड़छाड़ से होने वाले दुष्परिणाम हमारी आने वाली पीढ़ी के साथ अन्याय है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक तरीके से ही बच्चों को शिक्षित कर उनके अंदर की प्रतिभा को उभारा जा सकता है. देश में 125 करोड़ की आबादी है, जिसमें बिहार की आबादी 12 करोड़ है. उसमें ढाई करोड़ हमारे स्कूली बच्चे हैं. उनको कैसे शिक्षित करें, शिक्षा का प्रसार कैसे हो, इस दिशा में कैसे आगे बढ़ें? उन्होंने कहा कि जैसा कि प्रो एचसी वर्मा ने कानपुर में शिक्षा का एक मॉडल बनाकर एक स्कूल चला रहे हैं. आप बिहार के हैं, यहां भी एक मॉडल चलाइये, राज्य सरकार इसमें पूरा सहयोग करेगी.
उन्होंने कहा कि शिक्षा का मतलब सबकी शिक्षा है. पहले नारी शिक्षा की स्थिति खराब रही है. गरीबी के कारण, पोशाक की कमी के कारण हमारे यहां अभिभावक अपनी लड़कियों को स्कूल नहीं भेजते थे. हमने इसके समाधान के लिए बालिका पोशाक योजना, साइकिल योजना चलायी. जिसके कारण मिडिल स्कूलों में लड़कियों की संख्या आज लड़कों से ज्यादा हो गई है. पहले 9वीं क्लास में 1 लाख 70 हजार लड़कियों की उपस्थिति थी जो इन योजनाओं के लागू होने के बाद 9 लाख से भी ज्यादा हो गई है. मैट्रिक में आज इनकी संख्या 49 प्रतिशत हो गई है.
सीएम ने कहा कि साइकिल योजना लड़कों के लिए भी चलायी गई. पहले शहरों में लड़कियां साइकिल चलाते हुये नहीं देखी जाती थी, गांवों में तो यह संभव ही नहीं था. आज जब स्कूल के लिए लड़कियां झूंड में साइकिल चलाते हुए निकलती हैं तो लोगों के चेहरे पर प्रसन्नता आ जाती है. इससे लड़कियों के अरमानों को पंख लग गए और उनकी इच्छा जाग गई है. हमलोग लड़के और लड़कियों को एक साथ पढ़ाने के लिए को-एजुकेशन प्रणाली को अपना रहे हैं. अभी शिक्षा के क्षेत्र में बहुत कुछ करना बाकी है. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए अभी और काम करना है, आदर्श स्थिति को प्राप्त करना है. हमलोग नए प्रयोग करने को तैयार हैं.
चम्पारण सत्याग्रह के शताब्दी समारोह एक अवसर पर अभी आगे भी 20 नवंबर 2017 को भितिहरवा में कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा. गांधी जी ने चंपारण सत्याग्रह के दौरान न सिर्फ किसानों को उनका हक दिलाया बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता पर भी विशेष काम किया. सामाजिक भेदभाव, छुआछूत, जाति प्रथा उन्मूलन के लिए भी काम किया. गांधी जी ने चंपारण में छह स्कूल खुलवाए, जिसमें बड़हरवा-लखनसेन, भितिहरवा के स्कूल शामिल हैं, जहां कस्तुरबा गांधी जी भी गई थीं.