बिहार के ट्रांसपोर्टर हड़ताल में चले गए हैं. हालांकि उन्हें ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट से कोई शिकायत नहीं है. उन्हें शिकायत है खनन विभाग से क्योंकि खनन विभाग ने ऐसा कानून बनाया है जिससे ट्रांसपोर्टर को मुश्किल हो सकती है. बिहार सरकार ने राज्य में अवैध बालू खनन रोकने के लिए नया खनिज अधिनियम बनाया है. इसमें शराबबंदी की तरह ही सख्त सजा प्रावधान है.चिराग से नाराज लोजपा सिवान जिलाध्यक्ष समेत पूरी कमेटी ने दिया इस्तीफा
बिहार ट्रांसपोर्टर असोसिएशन के अध्यक्ष उदय सिंह का कहना है कि इस कानून में दूसरे राज्य से भी बालू गिट्टी लाने से गाड़ी के मालिक और ड्राईवर को जेल जाना पड़ सकता है. पिछले चार महीने से अवैध बालू खनन को रोकने के लिए सारे टेंडर रद्द कर दिए गए हैं. इस दौरान बिहार में बालू की भारी कमी हो गई है.
ट्रांसपोर्टर दूसरे राज्यों से लाकर ऊंची कीमतों पर बालू बेच रहे थे या फिर अवैध खनन कर बालू की सप्लाई हो रही थी. सरकार अब बालू का कॉरपोरेशन बनाकर बालू बेचेगी. ट्रांसपोर्टरों को उसी कॉरपोरेशन के तहत चलना होगा. किराया भी फिक्स रहेगा और सभी गाड़ियों पर जीपीएस लगा होगा. असोसिएशन का कहना है कि ऐसा काला कानून किसी राज्य में नहीं हैं. उनका ये भी कहना कि यह अधिनियम उस पर लागू होना चाहिए जो बालू की अवैध खनन कर रहा है. हालांकि इस कानून से सभी ट्रांसपोर्टरों को दिक्कत हो रही है.
ऐसे में अब बिहार के एक लाख 35 हजार कमर्शल वाहन हड़ताल पर हैं. बिहार राज्य ट्रांसपोर्टर असोशिएशन के प्रेसिडेंट उदय सिंह कहते हैं कि अगर सरकार की मंशा है कि खनिज अधिनियम के तहत गाड़ी और ट्रक चले तो वह खुद वैल्यूएशन कर ले और खुद चलवाए. पहले बालू बेचने की छूट थी, अब बालू सरकार बेचेगी और हमें बालू गिराने के 1 किलोमीटर पर 45 रुपए भाड़ा मिलना है. ऐसे में 100 किलोमीटर चलना है तो 4500 रुपया ही भाड़ा मिलेगा. इसमें ट्रांसपोर्टर क्या खाएगा क्या बचाएगा क्या घर ले जाएगा?
ट्रांसपोर्टरों के इस अनिश्चितकालिन हड़ताल से आने वाले दिनों में बिहार में जरूरी सामानों की किल्लत हो सकती है. साथ ही बालू और गिट्टी की कमी से शौचालय निर्माण और इंदिरा आवास जैसे सरकारी योजनाएं तो प्रभावित होंगे ही जो लोग अपना घर बनवा रहें है उन्हें और भी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.
आपको बता दें कि बिहार सरकार की नई खनिज नियमावली और पथ परिवहन तथा सुरक्षा विधेयक का विरोध करते हुए राज्य के सभी मालवाहक वाहन 15 नवंबर की रात 12 बजे से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे.
इस दौरान राज्य में रजिस्टर 1 लाख 30 हजार ट्रक और 50 हजार बड़े मालवाहक वाहनों का परिचालन पूरी तरीके से ठप रहेगा. राज्य सरकार के इस नए नियमावली का विरोध करते हुए बिहार राज्य मोटर ट्रांसपोर्ट फेडरेशन और अन्य संगठनों ने इस चक्का जाम का आह्वान किया है.
ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि नई खनिज नियमावली के अलावा परमिट शुल्क, सेवा शुल्क तथा लाइसेंस शुल्क में हुई भारी बढ़ोतरी से भी ट्रांसपोर्टरों का धंधा चौपट हो गया है. अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के परिवहन मंत्री को ज्ञापन सौंपा है.