दरअसल नेतृत्व को इस बात का भी डर है कि थोक में टिकट काटने पर इस बार कहीं ऐसे विधायक बगावत का रास्ता न अपना लें। खासतौर पर अगर टिकट काटने के कारण पाटीदार बिरादरी के विधायकों ने विरोध किया तो मुश्किलें बढ़ सकती हैं। गौरतलब है कि बीते तीन विधानसभा चुनाव में थोक के भाव विधायकों का टिकट काट कर सरकार के प्रति नाराजगी को दूर करने में सफलता हासिल की थी।
दरअसल टिकट काटने केलिए पार्टी नेतृत्व ने राज्य की सभी सीटों का बीते डेढ़ साल में 5 बार सर्वे कराया था। इसके आधार पर योग्य उम्मीदवारों की सूची तैयार की थी। मगर बुधवार की बैठक में राज्य इकाई द्वारा तैयार उम्मीदवारों के पैनल में सर्वे के आधार पर तैयार की गई सूची में शामिल कई नाम शामिल ही नहीं थे। इसके बाद सूची को अंतिम रूप देने से पहले शीर्ष स्तर पर विमर्श की सहमति बनी।