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पहली पत्नी से धर्मेंद्र के दो बेटे सन्नी और बॉबी देओल हैं। उनकी दूसरी पत्नी हेमा मालिनी से धर्मेंद्र को बेटियां ऐशा और अहाना हैं। धर्मेंद्र ने अपनी पहली पत्नी को तलाक नहीं दिया है। वह अब मुंबई में हेमा मालिनी के साथ रहते हैं, पर उनके संबंध अपनी पहली बीवी और बेटों के साथ भी मधुर हैं।
धर्मेंद्र राजनीति से भी जुड़े। धर्मेद्र 2004 से 2009 तक बीजेपी की तरफ से बीकानेर के सांसद रहे, लेकिन उन्हें राजनीति रास नहीं आई. फिल्मों में काम करने से पहले धर्मेंद्र रेलवे में क्लर्क थे और उन्हें सवा सौ रुपए सैलरी मिलती थी।
धर्मेन्द्र ने अभिनय कहीं से सीखा नहीं था। फिल्मफेयर की तरफ से आयोजित टैलेंट हंट प्रतियोगिता में धर्मेद्र ने कई प्रतिभाशाली लोगों को पीछे छोड़कर जीत हासिल की। टैलेंट हंट जीतकर धर्मेंद्र मुंबई आ गए, लेकिन के लिए फिल्मों की राह आसान नहीं थी।
फिल्मों ने आने के लिए धर्मेंद्र ने कड़ा संघर्ष किया। फिल्म निर्माताओं के दफ्तर में चक्कर लगाने के लिए वे मीलों पैदल चलते थे ताकि पैसे बचा सके और उससे कुछ खा सके। कई बार वह चने खाकर बेंच पर सो जाते और कभी-कभी तो चना भी नसीब नहीं होता।
धर्मेंद्र ने 1960 में दिल भी तेरा हम भी तेरे फिल्म से अभिनय की शुरूआत की। आकर्षक धर्मेद्र अर्जुन हिंगोरानी को भा गए थे और उन्हें महज 51 रुपये देकर फिल्म ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ (1960) में नायिका कुमकुम के साथ हीरो की भूमिका के लिए साइन कर लिया।
धर्मेद्र को फिल्म ‘फूल और पत्थर’ से पहचान मिली। यह उनके करियर की पहली हिट फिल्म थी। धर्मेंद्र एक ऐसे कलाकार है जिन्होंने फिल्मों में निभाई गई अपनी भूमिकाओं की विविधता से दर्शकों को सुखद आश्चर्य में डाला है।
‘शोले’ फिल्म में बसंती को कच्चे आम तोड़ते सिखाते धर्मेंद्र अलग हैं, ‘चुपके-चुपके’ फिल्म में प्रोफेसर परिमल त्रिपाठी बने धर्मेंद्र अलग हैं, ‘मेरा गांव मेरा देश’ में डाकुओं से जूझते धर्मेंद्र अलग हैं और ‘सत्यकाम’ में ईमानदारी में जीने वाले जूनियर इंजीनियर धर्मेंद्र अलग हैं।
धर्मेंद्र अभिनय का एक लंबा अनुभव समेटे हुए हैं। धर्मेंद्र ने लगभग हर बड़े निर्माता-निर्देशक के साथ काम किया है। धर्मेंद्र ऐसे कलाकार हैं, जिन्होंने पिछले 50 साल में हुए इंडस्ट्री के बदलाव को देखा ही नहीं, बल्कि भोगा है।
धर्मेंद्र अपने एक्शन के लिए जाने जाते हैं। ‘सीता और गीता’, ‘चरस’, ‘हकीकत’, ‘लोफर’, ‘कयामत’, ‘यकीन’, ‘द बर्निंग ट्रेन’, ‘चुपके चुपके’, ‘दोस्त’, ‘दिल्लगी’, ‘आए दिन बहार के’, ‘आया सावन झूम के’, ‘पत्थर और पायल’, ‘सत्यकाम’ और ‘शोले’ जैसी फिल्में धर्मेंद के करियर की बेहतरीन फिल्में हैं।
धर्मेंद्र के साथ खूबी यह रही कि उनके साथ हर अदाकारा की जोड़ी शूट करती थी। फिर वह चाहे हेमा मालिनी हों या उनके उलटे मिजाज शर्मिला टैगोर। धर्मेंद्र ने अपने फिल्मी करियर में लगभग 250 फिल्में की हैं। यह भी अपने तरीके का रिकॉर्ड ही है।
2000 के बाद धर्मेंद्र की तीसरी पारी भी शुरू हुई। ‘किस किस की किस्मत’, ‘अपने’ और ‘जॉनी गद्दार’ फिल्मों में धर्मेंद्र अलग-अलग भूमिकाओं में दिखे। 2011 में रिलीज हुईं दो फिल्मों ‘यमला पगला दीवाना’ और ‘टेल मी ओ खुदा’ में धमेंद्र ने बड़ी भूमिकाएं निभाई।
एक प्रोड्यूसर के रूप में भी धर्मेंद्र ने प्रयोग किए हैं। ‘घायल’, ‘बरसात’, ‘इंडियन’, ’23 मार्च 1931 शहीद’, ‘सोचा न था’ और ‘अपने’ फिल्म को धर्मेंद्र ने प्रोड्यूस भी किया। इन फिल्मों में देओल परिवार के सदस्य ही मुख्य भूमिकओं में रहे हैं।