अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा येरूशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता देने के बाद हिंसा शुरू हो गई है. गुरुवार को ही गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक के पास कई फिलीस्तीन प्रदर्शनकारियों ने अपना विरोध जताया, और ट्रंप के पोस्टर भी जलाए. प्रदर्शनकारियों की इजरायली सेना के साथ झड़प में करीब 16 लोगों के घायल होने की खबर है.अभी-अभी: अमेरिका के एक स्कूल में हुई गोलीबारी, दो छात्रों की मौत
गाजा का प्रशासन चला रहे उग्रवादी संगठन हमास के नेता ने बड़े पैमाने पर गुस्से का इजहार करने के लिए नए सैन्य आंदोलन का आह्वान किया. प्रदर्शनकारियों ने अमेरिकी और इजरायली झंडे भी जलाए. पश्चिमी तट में प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने टायरों में आग लगा दी और इजरायली जवानों पर पथराव किया. बेथलहम में जवानों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछार की और आंसू गैस के गोले छोड़े.
एक जनसभा को संबोधित करते हुए हमास के प्रमुख इस्माइल हानिए ने कहा, “शुक्रवार को सार्वजनिक क्रोध का दिन होगा और यह आंदोलन जेरुसलम की स्वतंत्रता के लिए जन विद्रोह (इंतिफादा) के नाम से शुरू होगा.”
सिन्हुआ की रिपोर्ट में कहा गया कि उन्होंने कहा कि शुक्रवार से ‘नए आंदोलन की शुरुआत होगी’, जो इजरायल के वेस्ट बैंक और जेरुसलम को हथियाने की योजना से लड़ने के लिए होगी. हानिए ने कहा, “ट्रंप को इस निर्णय पर अफसोस होगा.” उन्होंने वर्तमान स्थिति पर चर्चा करने और फिलिस्तीन की भविष्य की राजनीति को लेकर एक समझौते पर पहुंचने के लिए एक आम फिलिस्तीनी बैठक का आह्वान किया.
ट्रंप द्वारा दी गई मान्यता को ‘फिलिस्तीनी मुद्दे के इतिहास में एक मोड़’ करार देते हुए हमास के नेता ने जोर देकर कहा कि येरूशलम ‘हमेशा जीत का उद्गम, क्रांतियों की शुरुआत और जन आंदोलन का शुरुआती बिंदु रहा है’. उन्होंने दोहराया कि हमास फिलिस्तीनी क्षेत्रों पर इजरायल के कब्जे की वैधता को कभी मान्यता नहीं देगा.
आपको बता दें कि ट्रंप ने बुधवार को आधिकारिक रूप से जेरुसलम को इजराइल की राजधानी के घोषित किया था और अमेरिकी दूतावास को तेल अवीव से इस प्राचीन शहर में ले जाने का इरादा जाहिर किया था.
कहीं समर्थन, कहीं विरोध
वहीं, इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने डोनाल्ड ट्रंप की तारीफ करते हुए इसे ऐतिहासिक फैसला बताया और दूसरे देशों से भी इसका अनुसरण करने को कहा. फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने कहा कि ट्रंप का यह कदम अमेरिका को पश्चिम एशिया में शांति स्थापित करने की पारंपरिक भूमिका के लिए अयोग्य बनाता है. सऊदी अरब ने ट्रंप के इस कदम को अनुचित और गैर जिम्मेदाराना करार दिया है.
ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरीजा मे ने कहा कि वह इस घोषणा और अमेरिकी दूतावास को वहां स्थानांतरित करने के कदम से सहमत नहीं है. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में शांति की संभावनाएं तलाशने की दिशा में यह मददगार साबित नहीं होगा. इसके अलावा जर्मनी ने कहा कि वह ट्रंप के इस फैसले का समर्थन नहीं करता.
उधर, ट्रंप की घोषणा के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने शुक्रवार को एक बैठक बुलाई है. सुरक्षा परिषद के 15 में से कम से कम आठ सदस्यों ने वैश्विक निकाय से एक विशेष बैठक बुलाने की मांग की. बैठक की मांग करने वाले देशों में दो स्थायी सदस्य ब्रिटेन और फ्रांस तथा बोलीविया, मिस्र, इटली, सेनेगल, स्वीडन, ब्रिटेन और उरुग्वे जैसे अस्थायी सदस्य शामिल हैं.