दिल्ली के मैक्स अस्पताल का लाइसेंस रद्द करने का फैसला यहां पहले से भर्ती मरीजों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. अस्पताल प्रशासन ने पहले से भर्ती मरीजों का इलाज करने से मना कर दिया है, जिसके बाद मरीज दिल्ली सरकार और सीएम अरविंद केजरीवाल से मदद की गुहार लगा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट का बड़ा निर्देश: ताज संरक्षण के लिए 200 सालों तक की योजना बने
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा निर्देश: ताज संरक्षण के लिए 200 सालों तक की योजना बने
एक जिंदा बच्चे को मृत घोषित करने के बाद दिल्ली सरकार ने अस्पताल का लाइसेंस रद्द कर दिया था. अस्पताल ने इस फैसले को कठोर और अनुचित बताया है. अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि ऐसे फैसले से मरीजों के इलाज के अवसर सीमित होंगे. अब इस फैसले के बाद कई साल अस्पताल में भर्ती मरीजों को भी इलाज नहीं मिल पा रहा है.
सरकार के फैसले के मुताबिक रद्द लाइसेंस के बाद अस्पताल किसी नए मरीज को भर्ती नहीं कर सकता. लेकिन फैसले की मार उन मरीजों और लोगों पर भी पड़ रही है जिनका इलाज यहां कई साल से चल रहा है. अब अस्पताल ने पहले से भर्ती मरीजों का इलाज करने से भी इनकार कर दिया है.
मरीजों की CM से गुहार
मैक्स अस्पताल का दौरा करने पर पता चला कि यहां कई लोग ऐसे हैं जिनके परिजन अस्पताल में भर्ती हैं लेकिन डॉक्टर उनका इलाज करने को तैयार नहीं. एक ऐसी ही महिला ने बताया कि उनके पति अस्पताल में भर्ती है और करीब 6 साल से उनका इलाज चल रहा है. लेकिन दिल्ली सरकार के फैसले के बाद अब डॉक्टरों ने महिला के पति का डायलिसिस करने से मना कर दिया और यहां से चले जाने का कहा है.
अस्पताल में बीमार पति का इलाज कराने आई महिला का कहना है कि उनके पति को ऑक्सीज़न दी जा रही है, लेकिन अब वो उन्हें लेकर कहां जाए, वो अकेली हैं और अब कैसे अपने पति का इलाज कराएंगी. उन्होंने सीएम केजरीवाल से सीधे सवाल पूछाहै कि अगर उनके पति को कुछ हो तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा. महिला का कहना है कि सरकार दोषियों पर कार्रवाई करे, लेकिन बेकसूर इसकी सजा क्यों भुगतें.
मैक्स अस्पताल में ऐसी ही समस्या से जूझती एक लड़की भी मिली, जो अपने पिता के इलाज के लिए यहां आई थी. उनका कहना है कि पिता का इलाज इसी अस्पताल में चल रहा है, लेकिन अब डॉक्टर उन्हें ले जाने के लिए कह रहे हैं. इसके अलावा यहां और भी कई लोग है जो इलाज ना मिलने की वजह से परेशान हैं.
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