हिमाचल प्रदेश के कुछ शहर पर्यटकों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। शिमला, मनाली, धर्मशाला इनमें खास हैं। शिमला को ‘लॉन्ग मून नाइट्स’ यानी ‘लंबी चांदनी रातों का मौसम’ भी कहा जाता है। वहीं बर्फ से ढके पहाड़ों की खूबसूरती देखनी हो तो मनाली बेस्ट ऑप्शन है। ट्रैकर्स के लिए मनाली स्वर्ग से कम नहीं। जिन्हें सुकून की तलाश है, वो धर्मशाला की ओर रुख करते हैं। मठों, मंदिरों और नदियों वाले इस हिल स्टेशन को तिब्बती गुरु दलाई लामा ने अपना निवास बनाया हुआ है। पांच पहाडिय़ों का संगम डलहौजी भी पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है। सर्पीली सड़कें, झरनों का संगीत और आकर्षक घर इस हिल स्टेशन को खास बनाते हैं। वहीं सोलन की खूबियां भी कुछ कम नहीं। कहा जाता है कि कोई भी किसी भी प्रकार का रोगी हो वो एक बार सोलन के प्रदुषण रहित वातावरण में आकर एक दम सही हो जाता है, लेकिन हिमाचल बस इतना ही नहीं है। कई ऐसी जगहें हैं, जो बहुत निराली हैं। प्रचार-प्रसार के अभाव में लोग वहां कम ही पहुंचते हैं, चलिए आज ऐसी ही एक जगह चलते हैं, कसोल। लोग इसे मिनी इस्राइल भी कहते हैं।
हर मोड़ पर दिखते हैं इस्राइली
मनाली के पास स्थित इस इलाके को मिनी इस्राइल भी कहा जाता है क्योंकि हर गली, हर मोड़ पर आपको कोई न कोई इस्राइली दिख ही जाएगाा। यहां के रेस्तरां में सारे मैन्यू हिब्रू भाषा में हैं, नमस्कार की जगह आपको ‘शलोम’ सुनाई पड़ेगा। यहां खबद हाउस यानी यहूदियों का सांस्कृतिक स्थल भी दिखता है।
इस्राइलियों ने यहां करीब दो-ढाई दशक पहले आना शुरू किया था। पहले पुराना मनाली उनका पसंदीदा ठिकाना हुआ करता था। अपने देश में अनिवार्य सैन्य प्रशिक्षण और सेवा के बाद वे यहां की पहाडिय़ों में मौज-मस्ती करने आया करते थे। पुराने मनाली में जब पर्यटकों की बाढ़ आने लगी और शांति भंग होने लगी तो इस्राइलियों ने पार्वती नदी के किनारे बसी इस छोटी और खूबसूरत घाटी कसोल की ओर रुख कर लिया।
इस्राइलियों को लगता है कि जंगल के बीच इस खूबसूरत जगह को उन्होंने ढूंढा है, इसलिए उनका हक है इस पर, वे अपनी आजादी में खलल नहीं चाहते। अगर आपको भी ऐसी जगह जाना पसंद है, जहां आपकी आजादी में काई खलल न दे, तो कसोल आपके इंतजार में है।
हरियाली और कल-कल बहती पार्वती नदी कसोल को खास बनाती है। यहां के कैंपिंग पॉइंट्स एडवेंचर पसंद करने वाले लोगों का लुभाते हैं। पार्वती नदी के किनारे बने टेंट्स में स्टे करना यंगस्टर्स को खूब लुभाता है। कसोल से खीरगंगा और तोश तक ट्रेकिंग का एक्सपीरियंस लिया जा सकता है। कसोल से पांच किलोमीटर दूर मणिकर्ण में बने मशहूर गुरुद्वारे में भी आप घूमने जा सकते हैं। यहां स्थित गर्म पानी के प्राकृतिक झरने के बारे में कहा जाता है कि यहां स्नान करने से कई तरह की बीमारियां ठीक हो जाती हैं।
ट्रैकिंग की ख्वाहिश है तो
ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए बेस कैम्प यानी आधार शिविर का काम करता है कसोल। यहां से शुरू होकर आप चन्द्रखनी दर्रे (13000 फुट) या सरपास दर्रे (14000 फुट) तक जाकर उन्हें छूने का रोमांच महसूस कर सकते हैं।
चल रहा है बेस्ट सीजन
यूं तो कसोल कभी भी जा सकते हैं, लेकिन वन्य जीवन के अध्ययन में रुचि रखने वालों के लिए अक्टूबर से मार्च का समय बेस्ट है, क्योंकि इस दौरान उन्हें अधिकांश वन्य जीव एक साथ देखने को मिल जाते हैं। इस क्षेत्र में ट्रैकिंग के लिए गर्मियों का मौसम ज्यादा उपयुक्त है।
यहां दिखेगा राज्य पक्षी मोनाल
वन्य जीवन में दिलचस्पी है, तो कसोल जरूर जाएं। यहां राज्य के वन्य विभाग की ओर से ‘कनवार वन्य जीवन अभयारण्य’ (सेंचुरी) विकसित किया गया है। कसोल से ग्राहण की ओर पैदल चलेंगे तो राह में ही आपको लम्बी पूंछ वाली कई रंग-बिरंगी पहाड़ी चिडिय़ां मिलेंगी और दिखेगा हिमाचल प्रदेश का राज्य पक्षी मोनाल।