महाराष्ट्र में दलितों की ऐतिहासिक जीत के 200वें साल के जश्न में जिग्नेश मेवाणी भी हिस्सा लेंगे. गुजरात की वडगाम सीट से कांग्रेस के समर्थन से नवनिर्वाचित निर्दलीय विधायक जिग्नेश इस साल भीमा कोरेगांव की लड़ाई के जश्न के मौके पर भाषण देते नजर आएंगे. साल के आखिरी दिन और नए साल के पहले दिन भीमा कोरेगांव की लड़ाई को जश्न के तौर पर मनाया जाता है, जहां जिग्नेश को आमंत्रित किया गया है.
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बता दें कि भीमा कोरेगांव की लड़ाई 1 जनवरी 1818 को पुणे स्थित कोरेगांव में भीमा नदी के पास उत्तर-पू्र्व में हुई थी. यह लड़ाई महार और पेशवा सैनिकों के बीच लड़ी गई थी. अंग्रेजों की तरफ 500 लड़ाके, जिनमें 450 महार सैनिक थे और पेशवा बाजीराव द्वितीय के 28,000 पेशवा सैनिक थे, मात्र 500 महार सैनिकों ने पेशवा की शक्तिशाली 28 हजार मराठा फौज को हरा दिया था.
महार सैनिकों को उनकी वीरता और साहस के लिए सम्मानित किया गया और उनके सम्मान में भीमा कोरेगांव में स्मारक भी बनवाया, जिन पर महारों के नाम लिखे गए. इसके बाद से पिछले कई दशकों से भीमा कोरेगांव की इस लड़ाई का महाराष्ट्र के दलित जश्न मनाते आ रहे हैं.
हर साल नए साल के मौके पर महाराष्ट्र और अन्य जगहों से हजारों की संख्या में पुणे के परने गांव में दलित पहुंचते हैं, यहीं वो जयस्तंभ स्थित है जिसे अंग्रेजों ने उन सैनिकों की याद में बनवाया था, जिन्होंने इस लड़ाई में अपनी जान गंवाई थी. कहा जाता है कि साल 1927 में डॉ. भीमराव अंबेडकर इस मेमोरियल पर पहुंचे थे, जिसके बाद से अंबेडकर में विश्वास रखने वाले इसे प्रेरणा स्त्रोत के तौर पर देखते हैं.
इस साल यह मौका और भी खास है क्योंकि इस लड़ाई के 200 साल पूरे हो रहे हैं और इस मौके पर उम्मीद की जा रही है कि यहां बड़ी संख्या में दलित पहुंचेंगे. माना जा रहा है कि देशभर ये यहां लगभग 4 से 5 लाख दलित पहुंचेंगे और पिछले कुछ समय में यह दलितों का सबसे बड़ा जुटाव होगा.
जिग्नेश मेवाणी 31 दिसंबर को पुणे के शनिवार वाडा में पहुंचकर एल्गार परिषद पर बोलेंगे. इसके साथ ही हजारों कार्यकर्ताओं के साथ मेवाणी जयस्तंभ तक 30 किलोमीटर लंबा मार्च भी कर सकते हैं. एल्गार परिषद में केवल मेवाणी ही नहीं बल्कि उमर खालिद, छत्तीसगढ़ की एक्टिविस्ट सोनी सोरी, विनय रतन सिंह और भीम आर्मी के अध्यक्ष भी पहुंचेंगे.