
नूर के पास डीजीपी चैंबर, आईजी कश्मीर के चैंबर, पुलिस मुख्यालय, सरकारी दफ्तरों की जानकारी, सेना की अलग-अलग रेजीमेंट की जानकारी, दिल्ली में सुरक्षा एजेंसियों के ठिकानों की जानकारी थी। नूर पुलिस को आतंकियों की सूचना देता था, लेकिन पुलिस की जानकारियां भी आतंकियों तक पहुंचाता था।
कहीं बनाया न हो नक्शा
नूर के पास पुलिस, सेना और अन्य सुरक्षा एजेंसियों की इतनी जानकारियां थीं कि सुरक्षा एजेंसियों को आशंका है कि उसने कहीं एक नक्शा बनाकर जैश-ए-मोहम्मद को न दिया हो। इस नक्शे के आधार पर जैश कई हमलों को अंजाम दे सकता है।
यदि यह नक्शा नहीं बना तो नूर के जिंदा रहने पर वह ऐसा कर सकता था। फिलहाल दोनों ही पहलुओं पर मंथन किया जा रहा है।
यही नहीं, वह बुरहान वानी के मारे जाने के बाद पुलवामा को ही अपना गढ़ बनाए हुए था। एक तरफ जहां आतंकियों ने हाजिन को अपना सेफ हाउस बना रखा, दूसरी तरफ नूर पुलवामा में ही रह रहा था।
2018 से पहले ही काम तमाम
सुरक्षाबलों की आपरेशन आल आउट के तहत 2018 में टाप 10 मोस्ट वांटेड कमांडरों की लिस्ट में नूर त्राली भी शामिल था, लेकिन 2018 से पहले ही सुरक्षाबलों ने नूर का काम तमाम कर दिया।
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