ऊपरी सदन में दिल्ली से संबंधित एक बिल पर चर्चा के दौरान विपक्ष के एक सदस्य ने मेट्रो के मजेंटा लाइन के उद्घाटन समारोह में दिल्ली के सीएम केजरीवाल को नहीं बुलाने का मुद्दा उठाया।
इसके बाद कई सदस्यों ने सीएम और एलजी के बीच टकराव का मुद्दा उठाया। इस पर उप सभापति ने पुरी ने कहा कि वे दोनों के बीच जारी टकराव को दूर करने के लिए कदम उठाएं।
पुरी ने उप सभापति से कहा, ‘चार दशक के सेवा काल में मैंने बहुत सी चुनौतियों का सामना किया है। मैंने आतंकियों से वार्ता की है। मौजूदा चुनौती इन सबसे कठिन है, लेकिन मैं इस चुनौती को स्वीकार करता हूं और मैं समस्या को सुलझाने का प्रयास करूंगा। मैं दोनों लोगों को लंच पर आमंत्रित करूंगा और टकराव को दूर करने की कोशिश करूंगा।’
इससे पहले चर्चा के दौरान पुरी ने कहा कि दिल्ली के सीएम को इसलिए आमंत्रित नहीं किया गया कि मेट्रो लाइन का वह हिस्सा उत्तर प्रदेश में था। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर केजरीवाल मेट्रो को लेकर इतने ही उत्सुक होते तो वे दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण को मंजूरी दे चुके होते, जो अभी दिल्ली सरकार के पास लंबित है।
इससे पूर्व एक बिल पर चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री विजय गोयल द्वारा अनधिकृत कालोनियों को नियमित न करने को लेकर आप सरकार पर हमला बोला। इस पर समाजवादी पार्टी सांसद नरेश अग्रवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार को काम नहीं करने दिया जा रहा है और एलजी ‘दिल्ली के सीएम से चपरासी जैसा व्यवहार’ कर रहे हैं। अग्रवाल ने कहा कि दिल्ली की सरकार एक चुनी हुई सरकार है उसे शासन करने का अधिकार है।