पंजाब में आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा है। दरअसल, एचएस फुलका ने नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ दिया है और इसके पीछे बड़ी वजह बताई जा रही है। आप के विधायक एचएस फूलका ने सिख दंगे मामले की अदालत में अपनी पैरवी जारी रखने के लिए विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ने का फैसला किया है। इसकी जानकारी उन्होंने आप संयोजक अरविंद केजरीवाल को दे दी है।अभी अभी: पूर्व भारतीय राजदूत नरेश चंद्रा का हुआ निधन, गोवा में ली अंतिम सांस…
फूलका ने केजरीवाल से कहा है कि दस दिन के भीतर पार्टी के नए नेता प्रतिपक्ष का चयन कर लें। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील एचएस फूलका ने कुछ दिन पहले ही संकेत दिया था कि पीड़ितों की ओर से अदालत में पेश होने के लिए विपक्ष के नेता के तौर पर राज्य में मिल रहे कैबिनेट मंत्री के दर्जे को छोड़ सकते हैं। फूलका का कहना है कि दिल्ली बार काउंसिल ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार और अन्य के खिलाफ कई मामलों में पीड़ितों की तरफ से पेश होने की इजाजत नहीं दी थी।
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बार काउंसिल का कहना है कि नेता प्रतिपक्ष का पद लाभ का पद है। ऐसे में वह कोर्ट में किसी मामले की पैरवी नहीं कर सकते। फूलका ने कहा कि ऐसी हालत में उन्होंने पंजाब विधानसभा में नेता विपक्ष के पद छोड़ने का फैसला किया है। इसकी जानकारी पार्टी के संयोजक को दे दी है। पंजाब के दाखा से विधायक फूलका के मुताबिक, सुखपाल खैरा, कंवर संधू और अमन अरोड़ा वरिष्ठ नेता व विधायक हैं। इनके नाम की सिफारिश भी पार्टी आलाकमान से कर दी है। दस दिन के भीतर नए नेता प्रतिपक्ष के चयन की बात भी उन्होंने की है।
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फूलका का कहना है कि उन्होंने दिल्ली बार काउंसिल से गुजारिश की थी कि अदालत में सिख दंगा मामले की वह नि:शुल्क पैरवी कर रहे हैं। ऐसे में कोर्ट में पेश होने की इजाजत मिलनी चाहिए। लेकिन बार काउंसिल ने उनकी गुजारिश को स्वीकार नहीं किया। ऐसी हालत में नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ने का फैसला किया है।