दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को उस जनहित याचिका पर आप सरकार का रुख पूछा जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में हर घर को 20 हजार लीटर प्रति माह मुफ्त पानी मुहैया कराने की उसकी योजना का विरोध किया गया है. मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने दिल्ली सरकार, दिल्ली जल बोर्ड को नोटिस जारी करके उनसे सुनवाई की अगली तारीख 19 नवंबर तक जवाब देने को कहा.
याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा कि जल तेजी से घटता संसाधन है और इसे इतनी बड़ी मात्रा में मुफ्त में नहीं दिया जाना चाहिए, खासकर ऐसे समय जब शहर के कई इलाकों में पानी की पाइपलाइनें नहीं हैं और आपूर्ति टैंकरों पर निर्भर है.
अधिवक्ताओं ताजिंदर सिंह और अनुराग चौहान ने दिल्ली सरकार के 25 फरवरी 2015 के उस फैसले को निरस्त करने की मांग की जिसमें शहर में हर घर को 20 हजार लीटर मुफ्त पानी देने का निर्णय किया गया था.
वहीं दिल्ली पुलिस ने गत फरवरी में दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश पर कथित हमले के सिलसिले में सोमवार को एक अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया और इसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को आरोपी के रूप में नामजद किया गया है. आरोपपत्र में जिन अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया है उसमें आप के 11 विधायक अमानतुल्लाह खान, प्रकाश जारवाल, नितिन त्यागी, रितुराज गोविंद, संजीव झा, अजय दत्त, राजेश ऋषि, राजेश गुप्ता, मदन लाल, प्रवीण कुमार और दिनेश मोहनिया शामिल हैं.
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल के समक्ष अंतिम रिपोर्ट दायर की गई जिन्होंने मामले पर सुनवाई की तारीख 25 अगस्त निर्धारित की. दिल्ली पुलिस ने प्रकाश पर कथित हमले के सिलसिले में 18 मई को केजरीवाल से तीन घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी.
प्रकाश ने आरोप लगाया था कि केजरीवाल के सरकारी आवास पर 19 फरवरी को एक बैठक के दौरान उन पर हमला किया गया. पुलिस ने कहा कि जिस समय कथित हमला हुआ उस समय मुख्यमंत्री उपस्थित थे. पुलिस ने बैठक के दौरान मुख्यमंत्री के आवास पर मौजूद आप के 11 विधायकों से भी पूछताछ की थी. इस मामले के सिलसिले में पार्टी के दो विधायकों अमानतुल्ला खान और प्रकाश जारवाल को गिरफ्तार किया गया था.
मुख्य सचिव पर कथित हमले के कारण दिल्ली सरकार और इसके नौकरशाहों के बीच टकराव पैदा हो गया था.