भाला फेंक में अन्नू नहीं कर पाईं क्वालीफाई, ऐसे मिला ओलंपिक टिकट

इन दिनों टोक्यो ओलंपिक काफी चर्चा का विषय है। इस साल टोक्यो ओलंपिक 23 जुलाई से होने हैं। ओलंपिक में इस साल भारत के कई दिग्गज खिलाड़ी पदक ला कर देश का नाम रौशन करने के लिए अपनी-अपनी कमर कस चुके हैं। ऐसी ही एक खिलाड़ी हैं अन्नू रानी। अन्नू रानी भारत की ओर से ओलंपिक में भाला फेंक प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाली हैं। खास बात ये है कि वे ओलंपिक के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाई थीं इसके बावजूद उन्हें ओलंपिक में खेलने के लिए भारत की ओर से टिकट मिला है। तो चलिए जानते हैं कि उनको क्वालीफायर में आउट होने के बावजूद कैसे मिला भारत की ओर से ओलंपिक का टिकट।
इस तरह बिना ओलंपिक क्वालीफाई किए मिला टिकट
मेरठ के एक गांव की रहने वाली अन्नू रानी इस साल ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। अन्नू को जब से ओलंपिक में जाने का टिकट मिला है तब से उनके परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं है। खास बात ये है कि वे 12 सालों से इस एक पल का इंतजार कर रही थीं। उनका परिवार आर्थिक समस्याओं से जूझ रहा है। उनके पिता एक किसान हैं और उन्होंने खेतों में ही भाला फेंक-फेंक कर प्रैक्टिस की है। बता दें कि हाल ही में उन्होंने 63.24 मीटर भाला फेंक कर नेशनल रिकॉर्ड बनाया था। इसके साथ ही उस प्रतियोगिता में उन्होंने स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। वहीं ओलंपिक क्वालीफायर राउंड में वे 77 मीटर से क्वालीफाई करने से रह गई थीं। हालांकि फिर भी उन्हें ओलंपिक में जाने का टिकट मिल गया। उन्हें वर्ल्ड रैंकिंग के आधार पर ओलंपिक में भाला फेंक प्रतियोगिता में भारत की ओर से प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है।
पिता किसान हैं और आर्थिक हालत भी ठीक नहीं
अन्नू के पिता एक किसान हैं। अन्नू का जन्म 28 अगस्त 1992 को हुआ था। उन्हें मिला कर उनके पांच भाई-बहन हैं। बता दें कि अन्नू के पिता खुद शॉटपुट खिलाड़ी रह चुके हैं। वहीं उनके भाई एक मेधावी धावक रहे हैं। इसके अलावा उनके पिता के भतीजे भी शानदार धावक रहे हैं। बता दें कि अन्नू गांव की चकरोड व अपने कॉलेज के शुरुआती दौर में गोला फेंक, भाला फेंक व चक्का फेंक सभी खेलों की प्रैक्टिस किया करती थीं। आखिरकार उन्होंने भाला फेंक में अपना करियर बनाया।
सबसे पहले 2010 में भाला फेंक की प्रतिभा पहचानी
वहीं अब उन्हें देश का नाम रौशन करने का एक सुनहरा मौका ओलंपिक के रूप में मिला है। उनके परिजनों को उन पर पूरा भरोसा है कि वो भारत के लिए स्वर्ण पदक ले कर ही लौटेंगी। बता दें कि गुरुकुल प्रभात आश्रम के स्वामी ने सबसे पहले उनकी भाला फेंक प्रतिभा को पहचाना था। उन्होंने साल 2010 में अन्नू को सबकुछ छोड़ कर भाला फेंक पर फोकस करने को कहा था। इसके बाद से अन्नू की दुनिया ही बदल गई। उन्होंने भाला फेंक में अनेक उपलब्धियां हासिल की और अब ओलंपिक में जाने को तैयार हैं।
ऋषभ वर्मा
English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com