राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने बृहस्पतिवार को श्री श्री रविशंकर के आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन(एओएल) को फटकार लगाई है। एनजीटी ने कहा है कि मार्च 2016 में आयोजित वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल ही यमुना तट के प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है। एनजीटी ने डीडीए को आदेश दिया है कि एओएल से वसूले गए 5 करोड़ रुपयों से यमुना तट पर बायोडायवर्सिटी पार्क का निर्माण कराया जाए।5 Exit Polls: कौन पहुंचेगा बहुमत के जादुई आंकड़े तक, देखिए पांच अलग-अलग आपिनियन पोल!
एनजीटी ने कहा है कि समिति द्वारा दी गई रिपोर्ट में इस बात की पुष्टी हुई है कि यमुना के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र को जो नुकसान हुआ उसके लिए श्री श्री रविशंकर की संस्था एओएल ही जिम्मेदार है।
एनजीटी ने भले ही इस संस्था को जिम्मेदार ठहराया है लेकिन उसपर अतिरिक्त जुर्माना लगाने से इनकार कर दिया है। एनजीटी ने कहा है कि पहले जो 5 करोड़ रुपये संस्था द्वारा जमा किए थे उसी से यमुना के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र पर काम किया जाएगा।
इस कार्य में 42.02 करोड़ रुपये लगने का दावा किया गया है। साथ ही यह भी कहा गया कि अगर इस कार्य में 5 करोड़ से ज्यादा रुपये लगते हैं तो उसकी वसूली भी एओएल से की जानी चाहिए। साथ ही साथ इस काम में यदि 5 करोड़ से कम की लागत आती है तो बाकी बची रकम को एओएल को वापसस कर दिया जाएगा।
हालांकि एओएल ने कहा है कि वह इस फैसले से खुश नहीं है और इसके खिलाफ सुप्रीन कोर्ट भी जाएंगे। उन्हें उम्मीद है कि न्याय जरूर मिलेगा। उनके मुताबिक उन्होंने कोई प्रदूषण नहीं फैलाया है।