वैसे तो हर माह दो एकादशी का व्रत पड़ता है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित रखते हुए रखा जाता है। इस दिन कुछ लोग चावल का सेवन नहीं करते हैं। ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले व्रत और त्योहारों में इस एकादशी का काफी महत्व होता है। इसे अपरा एकादशी भी कहते हैं। यह व्रत कठिन व्रत में से एक व्रत होता है। इसमें महिलाएं व्रत करती हैं। एकादशी के व्रत में क्या खास सावधानी बरतें और यह कैसे करें, आइए जानते हैं।

माह में दो बार पड़ता है एकादशी
एकादशी का व्रत एक महीने में दो बार मनाया जाता है। यह दोनों ही कृष्ण और शुक्ल पक्ष में पड़ती है
और दोनों का ही अपना महत्व है। ज्येष्ठ माह में जो एकादशी पड़ती है वह अभी कृष्ण पक्ष की पड़ने जा रही है। इसे अपरा एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी 26 मई को गुरुवार के दिन मनाई जा रही है। इस बार यह गुरुवार पड़ने से काफी शुभ है। इसको अचला एकादशी के नाम से भी लोग जानते हैं। इसमें माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इसको मोक्षदायिनी एकादशी भी कहते हैं।
कैसे करें पूजा
एकादशी के व्रत और पूजा में खास ध्यान रखना चाहिए। इसमें किसी प्रकार की कमी और गलती नहीं करनी चाहिए। वैसे तो विष्णु की पूजा में लोग कई बातों का ध्यान रखते हैं लेकिन इस व्रत में भी कुछ ध्यान रखना जरूरी है। जैसे व्रत में खाने पीने का ध्यान रखें। कहा जाता है कि इस दिन चावल, गोभी, नमक, अचार, मांस, मसूर, गाजर, उड़द, चना, पालन नहीं खाना चाहिए। साबुन से न नहाएं और न ही कपड़े और बाल धोएं। नाखून न काटें। गुस्सा नहीं करना चाहिए, यह अच्छा नहीं माना जाता है। इसके अलावा सात्विक का पालन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें। तुलसी का पत्ता भगवान विष्णु को चढ़ाएं और तुलसी दल न तोड़ें। एक दिन पहले तोड़कर रख लें। सफाई भी घर की एक दिन पहले करें, इस दिन न करें।
GB Singh
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