नई दिल्ली: मोदी सरकार ने रक्षा अधिकारियों के स्टेटस में कमी करने का फैसला लिया है। यह कमी उनके समकक्ष सिविल सेवा अधिकारियों की तुलना में की गई है।

इसको लेकर सरकार ने एक आदेश जारी किया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार इसे अमल में ला रही है। हालांकि मोदी सरकार के इस फैसले से सेना में नाराजगी है।
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क्या होगा बदलाव
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, एक सिविलयन प्रिंसिपल डायरेक्टर, जो कि एक ब्रिगेडियर के बराबर था, अब टू स्टार जनरल के बराबर कर दिया गया है। एक डायरेक्टर रैंक का ऑफिसर ब्रिगेडियर के बराबर और एक जॉइंट डायरेक्टर कर्नल के बराबर है।
पहले ऐसे थे रैंक
अब तक एक कर्नल एक निर्देशक और एक संयुक्त निदेशक के एक लेफ्टिनेंट कर्नल के बराबर थे। 18 अक्तूबर को इस संबंध में एक पत्र जारी किया गया। रक्षा मंत्री द्वारा इसे मंजूर किया गया है। जारी पत्र में रक्षा अधिकारियों और सशस्त्र बलों के मुख्यालय सिविल सेवा अधिकारियों के बीच समानता की जानकारी दी गई है। सूत्रों की मानें तो इस फैसले ने उस विवाद को बढ़ा दिया है, जब सशस्त्र बलों और मंत्रालय की 7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट और वन रैंक वन पेंशन पर सोच अलग है।
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