कॉमनवेल्थ गेम्स में मिली सफलता के बाद भारतीय खिलाड़ियों के सामने आज से शुरू हो रहे 18वें एशियाई खेलों में अपने प्रदर्शन को बेहतर करने की चुनौती है. अप्रैल में ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में आयोजित किए गए कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय खिलाड़ियों ने बेहतरीन सफलता हासिल की थी और कई ऐतिहासिक उपलब्धियां अपने नाम दर्ज कराई थीं.
शनिवार को जकार्ता के जीबीके स्टेडियम में होने वाले उद्घाटन समारोह से खेलों का औपचारिक तौर पर आगाज होगा, जबकि रविवार से इन खेलों से जुड़े इवेंट्स की शुरुआत होगी.
पूरे देश को उम्मीद है कि चार साल में एक बार होने वाले इन एशियाई खेलों में उतरने वाले भारत के 572 खिलाड़ी उस सफलता को दोहराएंगे और इन खेलें में अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देंगे.
इन खेलों की शुरुआत 1951 में नई दिल्ली से हुई थी. जकार्ता इससे पहले 1962 में एशियाई खेलों के चौथे संस्करण की मेजबानी कर चुका है. अब उसके जिम्मे 18वें संस्करण की मेजबानी को सफल बनाने का दारोमदार है. जकार्ता के अलावा पालेमबांग में भी कई खेल आयोजित किए जाएंगे.
1962 में भारत ने जकार्ता में 52 पदक जीते थे जिसमें से 12 स्वर्ण, 13 रजत और 27 कांस्य पदक थे. इस संस्करण में भारत तीसरे स्थान पर रहा था. वहीं अगर पिछले तीन संस्करणों की बात की जाए तो भारत तीनों बार 50 से ज्यादा पदक लेकर आया है.
एशियाई खेलों में भारत की पदक उम्मीदों पर नजर डालते हैं-
कुश्ती
1. बजरंग पूनिया: हरियाणा के इस 24 साल के पहलवान ने इंचियोन में रजत पदक जीता था. शानदार फॉर्म में चल रहा यह पहलवान 65 किलो फ्रीस्टाइल में पदक का दावेदार है और इस साल तीन टूर्नामेंट जीत चुका है. गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण के अलावा उन्होंने जॉर्जिया और इस्तांबुल में दो टूर्नामेंट जीते.
2. सुशील कुमार: भारत के सबसे सफल ओलंपियन में से एक सुशील पर अतिरिक्त दबाव होगा जो जॉर्जिया में फ्लाप रहे थे. जॉर्जिया में नाकामी के बाद लोग सवाल उठाने लगे कि एशियाड ट्रायल से उन्हें छूट क्यों दी गई. दो बार के ओलंपिक पदक विजेता अपना चिर परिचित फॉर्म दिखाने को बेताब होंगे.
3. विनेश फोगाट: रियो ओलंपिक में पैर की चोट की शिकार हुई विनेश वापसी कर रही हैं. उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण और मैड्रिड में स्पेन ग्रां प्री जीती. वह 50 किलो में पदक की प्रबल दावेदार होंगी.
बैडमिंटन
1. पीवी सिंधु: विश्व चैंपियनशिप रजत पदक विजेता पीवी सिंधु से काफी उम्मीदें हैं. उन्हें नांजिंग में कैरोलिना मारिन से मिली हार को भुलाकर खेलना होगा. चार बड़े फाइनल हार चुकी सिंधु पर इस कलंक को धोने का भी दबाव है.
2. साइना नेहवाल: भारत में बैडमिंटन की लोकप्रियता का ग्राफ उठाने वाली साइना लगातार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रही हैं. उन्हें विश्व चैंपियनशिप में जिस तरह से मारिन ने हराया, वह अच्छा संकेत नहीं हैं. लेकिन उनके अनुभव और क्षमता को देखते हुए वह पदक की बड़ी उम्मीद है.
3. के श्रीकांत: राष्ट्रमंडल खेलों के रजत पदक विजेता श्रीकांत पुरुष एकल में भारत की अकेली उम्मीद हैं. अप्रैल में नंबर एक की रैंकिंग हासिल करने वाले श्रीकांत को चीन, इंडोनेशिया और जापान के खिलाड़ियों से कड़ी चुनौती मिलेगी.
निशानेबाजी
1. मनु भाकेर: हरियाणा की 16 साल की यह स्कूली छात्रा शानदार प्रदर्शन कर सुर्खियां बंटोर चुकी हैं. आईएसएसएफ विश्व कप में स्वर्ण पदक जीतने वाली मनु सबसे युवा भारतीय निशानेबाज बनीं. उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में भी पीला तमगा जीता और 10 मीटर एयर पिस्टल में प्रबल दावेदार हैं.
एथलेटिक्स
1. हिमा दास: असम के एक गांव की 20 साल की हिमा दास ने गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में छठा स्थान हासिल किया था. वह आईएएएफ ट्रैक और फील्ड स्पर्धा में 400 मीटर में स्वर्ण जीतने वाली पहली भारतीय बनीं.
2. नीरज चोपड़ा: इस युवा भालाफेंक खिलाड़ी के कद का अहसास इसी से हो जाता है कि यह भारतीय दल के ध्वजवाहक हैं. अंडर 20 विश्व चैंपियनशिप 2016 में स्वर्ण जीतने वाले नीरज ने राष्ट्रमंडल खेलों में इस कामयाबी को दोहराया. उन्होंने दोहा में आईएएएफ डायमंड लीग में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया. पिछले चार टूर्नामेंटों में से तीन में वह स्वर्ण पदक जीत चुके हैं.
टेनिस
1. रोहन बोपन्ना: रोहन बोपन्ना अगर अपनी क्षमता के अनुरूप खेल सके, तो दिविज शरण के साथ युगल में पदक के दावेदार होंगे. भारत की उम्मीदों का दारोमदार रामनाथन पर भी होगा. न्यूपोर्ट एटीपी टूर्नामेंट में फाइनल तक पहुंचे रामनाथन ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया था.
मुक्केबाजी
1. शिवा थापा
पुरुषों के 60 किलो वर्ग में थापा एशियाई खेलों में पहला पदक जीतने की कोशिश में होंगे. एशियाई चैंपियनशिप में लगातार तीन पदक जीतकर उनका आत्मविश्वास बढा है.
2. सोनिया लाठेर: एमसी मेरी कॉम की गैरमौजूदगी में विश्व चैंपियनशिप रजत पदक विजेता सोनिया लाठेर भारतीय महिला टीम की अगुवाई करेंगी. वह 57 किलो वर्ग में प्रबल दावेदार हैं .
जिम्नास्टिक
1. दीपा करमाकर: घुटने की चोट के कारण राष्ट्रमंडल खेलों से बाहर रहीं दीपा ने तुर्की में विश्व चैलेंज कप में स्वर्ण जीतकर वापसी की. रियो ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहीं दीपा पदक की प्रबल दावेदार हैं.
टेबल टेनिस
1. मनिका बत्रा
गोल्ड कोस्ट में स्वर्ण पदक जीतने वाली मनिका राष्ट्रमंडल खेलों की स्टार रहीं. जकार्ता में प्रतिस्पर्धा अधिक कठिन होगी, लेकिन वह भी पूरी तैयारी के साथ गई है.