वैशाख मास में प्रदोष व्रत का काफी महत्व है। इस बार यह गुरुवार को पड़ रहा है। अप्रैल माह में 28 तारीख को प्रदोष का व्रत किया जाएगा। यह व्रत गुरुवार को पड़ने से और खास हो गया है। इसे गुरु प्रदोष कहा जा रहा है। गुरु प्रदोष व्रत कई मायनों में खास है। इससे न केवल आपके गुरु पर प्रभाव दिखेगा बल्कि आपके कई काम भी बनेंगे। आइए जानते हैं प्रदोष व्रत करने की क्या है तिथि और शुभ मुहूर्त।

क्या है शुभ मुहूर्त
प्रदोष व्रत करने के लिए गुरुवार को श्रेष्ठ दिन माना जा रहा है। पंचांग के अनुसार वैशाख मास में कृष्ण त्रयोदशी तिथि 27 अप्रैल को रात में 12 बजकर 23 मिनट पर शुरू होगी और यह 28 अप्रैल को रात में ही 12 बजकर 26 मिनट पर खत्म होगी। लेकिन उदया तिथि का महत्व होने के कारण प्रदोष व्रत गुरुवार को ही रखा जाएगा। त्रयोदशी में प्रदोष काल में महादेव की पूजा विशेष फल देगी। इसलिए 28 अप्रैल को ही प्रदोष की पूजा करना अच्छा होगा।
कब करें और कैसे करें पूजा
ज्योतिषशास्त्रों की मानें तो प्रदोष व्रत के दिन सर्वार्थ सिद्ध योग है। यह शाम को 5 बजकर 40 मिनट पर शुरू होगा और अगले दिन सुबह 5 बजकर 42 मिनट पर खत्म हो जाएगा। इस समय में भगवान शिव की पूजा करना अच्छा होगा। शिव की पूजा करने के लिए शाम को 6 बजकर 54 मिनट से लेकर रात में 9 बजकर 04 मिनट तक अच्छा योग बना रहा है। प्रदोष की पूजा के लिए आपको घर या फिर नजदीक के मंदिर में जा सकते हैं। भगवान शिव को जल से अभिषेक करेन के बाद उनको चंदन लगाएं और सफेद फूल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शहद, अक्षत, धूप, दीप, फल, मिठाई चढ़ाएं। शिव मंत्र का जाप करें और शिव चालीसा व गुरु प्रदोष व्रत का पाठ करें। भगवान से प्रार्थना करें।
GB Singh