ज्येष्ठ महीना खत्म हो चुका है और अब आषाढ़ चल रहा है। इस महीने के व्रत और त्योहारों की सूची भी आ चुकी है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत भी आ गया है। यह आज यानी 17 जून को शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा। इस बार यह व्रत काफी सिद्ध योग में पड़ रहा है जिससे व्रत और पूजा करने वालों को आशीर्वाद मिलेगा। इस व्रत का महत्व भी सिद्ध योग के पड़ने से काफी बढ़ गया है। आइए जानते हैं।

भगवान गणेश को समर्पित है यह दिन
संकष्टी चतुर्थी का व्रत 17 जून को यानी शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा। यह व्रत गणपति को समर्पित है और उनको लोग इस दिन याद करते हैं। 17 जून को आषाढ़ माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पड़ रही है। इस दिन काफी अच्छा योग पड़ने से व्रत करने वालों को भगवान गणेश का आशीर्वाद मिलेगा और उनके कष्ट दूर होंगे। इस दिन पूजा पाठ करने का समय और विधि का भी ध्यान रखना आवश्यक है।
कब करें पूजा
शुक्रवार 17 जून को सुबह छह बजकर 10 मिनट पर चतुर्थी तिथि शुरू होगी और यह शनिवार को सुबह तीन बजे समाप्त हो जाएगी। ऐसे में संकष्टी का व्रत 17 जून को ही सुबह मनाई जाएगी। यह सुबह नौ बजकर 56 मिनट पर शुरू होगा और 18 जून को सुबह पांच बजकर तीन मिनट तक अच्छे योग में मनाई जाएगी। साथ ही अभिजीत मुहूर्त 17 जून को सुबह साढ़े 11 बजे से दोपर 12 बजकर 25 मिनट तक है। इस दिन चंद्र को अर्घ्य दिया जाता है, जिसका समय रात में दस बजकर तीन मिनट है। इस दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें और पूजा घर में भगवान गणेश का अभिषेक चंदन, फल, फूल, वस्त्र, दूर्वा से करें। उनको मोदक चढ़ाएं और गणेश चालीसा पढ़ें। संकष्टी का पाठ कर आरती करें और रात में चंद्र को अर्घ्य देकर व्रत पूरा करें।
GB Singh
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