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मुंबई में दही हांडी उत्‍सव में 36 गोविंदा घायल

कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी पर मुंबई में दही-हांडी उत्‍सव के दौरान दोपहर दो बजे तक 36 गोविंदा घायल हो गए हैं। लड़कों का ग्रुप मैदान, सड़क या कम्पाउंड में इकट्ठा होता है और एक पिरामिड बनाकर जमीन से 20-30 फुट ऊंचाई पर लटकी मिट्टी की मटकी को तोड़ते हैं। महाराष्‍ट्र, गुजरात और द्वारका में दही हांडी की प्रथा काफी प्रसिद्ध है, जहां मटकी को दही, घी, बादाम और सूखे मेवे से भरकर लटकाया जाता है। लड़के ऊपर लटकी मटकी को फोड़ते हैं और अन्य लोग लोकगीतों और भजनों पर नाचते-गाते हैं। 9 लेयर में नीचे-ऊपर तक एक पिरामिड बनाते हैं और हांडी को तोड़ने के लिए 3 मौके दिए जाते हैं। पुरस्कार के रूप में प्रतिभागियों को रुपए दिये जाते हैं।

कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी पर मुंबई में दही-हांडी उत्‍सव के दौरान दोपहर दो बजे तक 36 गोविंदा घायल हो गए हैं। लड़कों का ग्रुप मैदान, सड़क या कम्पाउंड में इकट्ठा होता है और एक पिरामिड बनाकर जमीन से 20-30 फुट ऊंचाई पर लटकी मिट्टी की मटकी को तोड़ते हैं। महाराष्‍ट्र, गुजरात और …

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आतंकवाद पीडि़त गांवों में जाकर बच्चों को पढ़ाया, सरकार ने उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया

आतंकवाद से पीडि़त रहे राजौरी जिले के एक किसान परिवार में जन्म लेने वाला बच्चा अपनी मेहनत से न सिर्फ 'शिक्षक श्री' बनने में सफल रहा बल्कि उसने उन गांवों में जाकर बच्चों को पढ़ाया जहां शिक्षक जाने से कतराते थे। सरकार ने उनके इस जज्बे को सलाम किया और उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया। सुंदरबनी के रहने वाले गोविंद शर्मा की प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूलों में ही हुई। इसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए जम्मू आ गए। ग्रेजुएशन, गणित विषय में एमएससी और बीएड करने के बाद गोविंद की वर्ष 2002 में शिक्षा विभाग में नियुक्ति हुई। उनकी पहली नियुक्ति ही आतंकवाद ग्रस्त बुद्धल क्षेत्र में हुई। उस समय इस क्षेत्र में बहुत कम शिक्षक जाना पसंद करते थे, लेकिन गोविंद घबराए नहीं और पहले हाई स्कूल तरेडृ़ और फिर मिडिल स्कूल डलेरी में नियुक्त हुए। डलेरी स्कूल को उस समय आतंकियों ने निशाना बनाया था। लोग भी अपने बच्चों को स्कूलों में नहीं भेजते थे। उन्होंने क्षेत्र में जाकर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया और लोगों में नया विश्वास पैदा किया। इससे क्षेत्र में रहने वालों में उम्मीद बंधी और उन्होंने बच्चों को स्कूल भेजना शुरू किया। –– ADVERTISEMENT –– आतंकवाद पीडि़त गांवों में जाकर बच्चों को पढ़ाया, सरकार ने उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया यह भी पढ़ें बुद्धल शिक्षा विभाग की हार्ड जोन में आता है और यहां पर एक शिक्षक को अधिकतम एक से दो साल तक ही नियुक्त किया जाता है, लेकिन गोविंद पूरे सात साल तक इस क्षेत्र में रहे। उन्होंने क्षेत्र में पढ़ने वाले बच्चों के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। इस दौरान हिजबुल मुजाहिदीन ने गोविंद शर्मा को एक धमकी भरा पत्र लिखा। इसके बाद सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट पर उन्हें जम्मू भेज दिया गया। जम्मू में उनकी नियुक्ति हरि सिंह हायर सेकेंडरी स्कूल में हुई। उनका कहना है कि सात साल आतंकवादग्रस्त क्षेत्र में रहना एक चुनौती थी। मगर उनका सपना था कि वह शिक्षक बनें। सपना पूरा हुआ और उस समय ऐसे स्थान पर पहली नियुक्ति हुई, जहां बच्चों को उनकी सख्त जरूरत थी। बस यही जुनून उन्हें वहां ले गया। कश्मीर घाटी में नारको टेररिज्म से आतंकवाद को मिल रहा है बढ़ावा यह भी पढ़ें एनसीसी में अव्वल वर्ष 2009 में गोविंद शर्मा नेशनल कैडेट कोर (एनसीसी) के टीचर बने। अपने समय के ए ग्रेड के साथ सी सर्टिफिकेट लेने वाले गोविंद ने हरि सिंह हायर सेकेंडरी स्कूल में भी अपनी प्रतिभा दिखाई। उन्होंने यहां के एनसीसी कैडेटों के साथ मेहनत की और वर्ष 2012 में प्रधानमंत्री रैली में जम्मू के कैडेटों को राष्ट्रीय स्तर पर दूसरा स्थान दिलाया। यह रैली गणतंत्र दिवस के दो दिन बाद होती है। इसमें प्रधानमंत्री के अलावा थल सेना, वायु सेना और जल सेना तीनों के प्रमुख आते हैं। इस समय एनसीसी में गोविंद थर्ड ऑफिसर के रैंक पर हैं। सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध बना रही कला अकादमी यह भी पढ़ें शिक्षक दिवस पर मिलेगा सम्मान वर्ष 2016 में शिक्षक दिवस पर तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल करने के बाद गोविंद शर्मा को वर्ष 2017 में राष्ट्रीय शिक्षा रत्न अवार्ड मिला। इस साल शिक्षक दिवस पर दिल्ली में आयोजित हो रहे शिक्षक सम्मेलन में उन्हें शिक्षक श्री सम्मान मिलेगा। देशभर से 131 शिक्षकों को यह सम्मान दिया जा रहा है। इस पुरस्कार के लिए देशभर से 10 हजार शिक्षकों के आवेदन आए थे, मगर सिर्फ 131 को ही चुना गया है। गोविंद शर्मा का कहना है कि अभी उन्हें शिक्षक के तौर पर 16 साल का अनुभव है। उनका प्रयास रहता है कि विद्यार्थियों को अधिक से अधिक समय दिया जाए

आतंकवाद से पीडि़त रहे राजौरी जिले के एक किसान परिवार में जन्म लेने वाला बच्चा अपनी मेहनत से न सिर्फ ‘शिक्षक श्री’ बनने में सफल रहा बल्कि उसने उन गांवों में जाकर बच्चों को पढ़ाया जहां शिक्षक जाने से कतराते थे। सरकार ने उनके इस जज्बे को सलाम किया और …

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दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में कासो के दौरान भड़की हिंसा में पांच लोग जख्मी

दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में सुरक्षबलों द्वारा आतंंकियों की धरपकड़ के लिए चलाए गए कासो के दौरान भड़की हिंसा में पांच लोग जख्मी हुए हैं। इनमें से एक गोली लगने से घायल है। सबसे ज्यादा हिंसक झढ़पें गुस्सु पुलवामा में हो रही हैं, जहां हिज्ब कमांडर मन्नान वानी के घेराबंदी में फंसे होने का दावा किया जा रहा है। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में सुरक्षाबलों को कई आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली है। आतंकियों की धरपकड़ के लिए सुरक्षाबलों ने आज सुबह से ही सर्च ऑपरेशन चला रखा है। सेना, पुलिस, सीआरपीएफ के जवान पुलवामा के कई गांवों में तलाशी ले रहे हैं। इससे पहले रविवार को शोपियां में भी सर्च ऑपरेशन चलाया गया था। शोपियां में कई आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली थी। इसके अलावा बांदीपोरा जिले में शनिवार को सुरक्षाबलों ने लश्कर के तीन आतंकियों को मार गिराया। हालांकि इस मुठभेड़ में एक जवान भी शहीद हो गया। इसके साथ ही बांदीपोरा के जंगल में छिपे आतंकियों के खिलाफ चलाया गया तलाशी अभियान लगभग एक सप्ताह बाद समाप्त हो गया। इस अभियान में दो सैन्यकर्मी घायल हुए थे। –– ADVERTISEMENT –– आतंकवाद पीडि़त गांवों में जाकर बच्चों को पढ़ाया, सरकार ने उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया यह भी पढ़ें जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ दिनों में आतंकियों ने पुलिसकर्मियों और उनके परिजनों को निशाना बनाया है। अब भारतीय सुरक्षाबलों ने आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी कर ली है। सोमवार सुबह घाटी में सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस की तरफ से एक बड़ा ऑपरेशन चलाया गया। इस दौरान पुलवामा और शोपियां जिले के कुल 20 गांवों में एक साथ सर्च ऑपरेशन चलाया गया। सुरक्षाबल यहां पर आतंकियों की तलाश में कोना-कोना छान रही है। सर्च ऑपरेशन के दौरान लोगों और सुरक्षाबलों के बीच झड़प हुई। इस दौरान 1 प्रदर्शनकारी फयाज़ अहमद के सिर में गोली लगी है, उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। कश्मीर घाटी में नारको टेररिज्म से आतंकवाद को मिल रहा है बढ़ावा यह भी पढ़ें बता दें कि पिछले सप्ताह ही आतंकियों ने सुरक्षाबलों के परिवार को निशाना बनाया था। इस दौरान आतंकियों ने अलग-अलग पुलिसकर्मियों के कुल 10 परिजनों को बंदी बना लिया था। हालांकि, बाद में उन्हें छोड़ दिया गया था। सेना ने भी आंतकियों पर कार्रवाई करना नहीं छोड़ा और बीते शनिवार को ही बांदीपोरा में तीन आतंकियों को मौत के घाट उतारा गया। सर्च ऑपरेशन के दौरान साफ है कि घाटी में आतंक की कमर तोड़ने के लिए सुरक्षाबलों ने ये बड़ा ऑपरेशन चलाया है।

दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में सुरक्षबलों द्वारा आतंंकियों की धरपकड़ के लिए चलाए गए कासो के दौरान भड़की हिंसा में पांच लोग जख्मी हुए हैं। इनमें से एक गोली लगने से घायल है। सबसे ज्यादा हिंसक झढ़पें गुस्सु पुलवामा में हो रही हैं, जहां हिज्ब कमांडर मन्नान वानी के घेराबंदी …

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बिहार के ADG ने बताया-अापराधिक और नक्सली घटनाओं में आई है कमी

बिहार के एडीजी मुख्यालय, एसके सिंघल ने कहा है कि प्रदेेश में आपराधिक और नक्सली घटनाओं में कमी आई है। उन्होंने कहा कि नक्सली घटनाओं में बिहार पांचवें स्थान पर पहुंच गया है। वहीं, जुलाई-अगस्त माह में आपराधिक घटनाओं में भी कमी आयी है। सोमवार को मीडिया से मुखातिब एडीजी पुलिस मुख्यालय एसके सिंघल ने बताया कि इस दौरान एक ओर जहां पुलिस ने बड़ी संख्या में हथियार बरामद करने के साथ 1.7 लाख आरोपितों की गिरफ्तारी की है, वहीं दूसरी ओर 41 पुलिस कर्मियों को कर्तव्यहीनता के आरोप में बर्खास्त किया गया है। एंटी नक्सल अभियान पर उन्होंने कहा कि नक्सली घटनाओं में बिहार पांचवें स्थान पर पहुंच गया है। वर्ष 2016 से वर्ष 2018 के बीच बिहार में नक्सली घटनाओं में कमी आयी है। इस दौरान पुलिस ने बड़ी संख्या में हथियार बरामद किये हैं। बिहार में विधि-व्यवस्था का रिपोर्टकार्ड पेश करते हुए उन्होंने कहा कि जुलाई-अगस्त माह में लूट, डकैती, दुष्कर्म की घटनाओं में काफी कमी आयी है. वहीं, जनवरी से लेकर जुलाई के बीच करीब 3630 अपराधी दोषी करार दिये गये हैं। तो वहीं जुलाई माह में 11 हजार से ज्यादा लोगों की गवाही हुई है। पहाड़ी क्षेत्रों व उत्तर प्रदेश में बारिश से बिहार में उफनाईं नदियां, डूबने से 11 की मौत यह भी पढ़ें उन्होंने बताया कि अक्तूबर 2017 से लेकर अगस्त 2018 के बीच 1.70 लाख आरोपितों की गिरफ्तारी की गयी है। वहीं, उन्होंने बताया कि इस दौरान 41 पुलिसकर्मियों को बर्खास्त भी किया गया है। मालूम हो कि सूबे में लगातार बढ़ रहे अपराध को लेकर विपक्ष सरकार पर निशाना साधती रही है। एडीजी ने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में चार सितंबर को होने वाली बैठक स्थगित कर दी गई है।

बिहार के एडीजी मुख्यालय, एसके सिंघल ने कहा है कि प्रदेेश में आपराधिक और नक्सली घटनाओं में कमी आई है। उन्होंने कहा कि नक्सली घटनाओं में बिहार पांचवें स्थान पर पहुंच गया है। वहीं, जुलाई-अगस्त माह में आपराधिक घटनाओं में भी कमी आयी है। सोमवार को मीडिया से मुखातिब एडीजी …

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ऑटो चालक की तीन बेटियों ने बनाया मुकाम, एक इंटरनेशनल और दो नेशनल खिलाड़ी

सरदार सरबंत सिंह कहने को तो ऑटो चालक हैं, लेकिन आज उनकी पहचान एक ऐसे पिता के तौर पर है, जिसने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद तीनों बेटियों को एक मुकाम तक पहुंचाया। आज उनकी तीनों बेटियों में से एक इंटरनेशन हॉकी प्लेयर है तो दो में से एक नेशनल लेवल की हॉकी खिलाड़ी और दूसरी रेसलर है। उन्होंने बेटियों को बोझ नहीं समझा और उन्हें काबिल बनाकर देशवासियों के सामने मिसाल पेश की है। आर्थिक तौर पर उतना सक्षम न होने के बावजूद आज सरबंत सिंह की बड़ी बेटी राजविंदर कौर हॉकी की इंटरनेशनल खिलाड़ी हैं। वहीं मनदीप कौर हॉकी की नेशनल खिलाड़ी हैं और वीरपाल कौर नेशनल स्तर की रेसलर हैं। दो बेटियां अभी इंडिया कैंप में –– ADVERTISEMENT –– तरनतारन के मुगलचक्क पनमां गांव में रहने वाले सरदार सरबंत सिंह की दो बेटियां अभी इंडिया कैंप में कोचिंग ले रही हैं। राजविंदर कौर मौजूदा समय में बेंगलरू में चल रहे हॉकी सीनियर इंडिया कैंप में हैं। 20 वर्षीय राजविंदर कौर इससे पहले बैंकाक और थाईलैंड में आयोजित जूनियर एशिया कप में खेल चुकी हैं और वह अभी टीम इंडिया में आने की तैयारी कर रही हैं। वहीं, वीरपाल कौर लखनऊ में खेलो इंडिया कैंप में रेसलिंग की कोचिंग ले रही हैं। वीरपाल साल 2017 में जूनियर नेशनल में गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं। खेलो इंडिया में भी वीरपाल ने मेडल जीता था। वहीं मनदीप फिलहाल चोटिल हैं और डीएवी बठिंडा कॉलेज में हैं। मिनर्वा पंजाब एफसी ने केहर स्पोर्टिग क्लब को 4-0 से हराया यह भी पढ़ें बेटियों पर पिता को नाज सरदार सरबंत सिंह का कहना है कि उन्होंने सिर्फ बेटियों की जिद के चलते उन्हें खेलने दिया, उन्हें नहीं पता था कि एक दिन उनकी बेटी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने जाएंगी। आज बेटियां इंटरनेशनल और नेशनल स्तर पर खेलती हैं, बड़े-बड़े लोग उनकी प्रशंसा करते हैं और उन्हें सम्मानित करते हैं। यह सब देखकर खुशी होती है कि मेरी बेटियां आज देश के लिए खेलती हैं और मेडल जीतकर तिरंगे की शान बढ़ाती हैं। अच्छे उम्मीदवारों का समर्थन करेगा खैहरा गुट, पार्टी उम्मीदवारों का विरोध नहीं यह भी पढ़ें दिखाया हुनर तो मिली मदद अतिक्रमण करने वालों को दिसंबर तक राहत, उसके बाद कटेंगे चालान यह भी पढ़ें मां बलविंदर कौर ने बताया कि घर के हालात ठीक नहीं थे, लेकिन हमने बेटियों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। बेटियों को घर से 10 किमी. दूर श्री गुरु अर्जन देव हॉकी एकेडमी में रोज ले जाकर हॉकी की कोचिंग दिलाई। कोच शरणजीत सिंह ने उनकी बेटियों को काबिल बनाया, तो पूर्व ओलंपियन दलजीत ढिल्लों ने हर स्तर पर उनके परिवार की मदद की। डीएवी कॉलेज बठिंडा के हॉकी कोच राजवंत सिंह ने भी उनकी बेटियों को प्रोत्साहित किया।

सरदार सरबंत सिंह कहने को तो ऑटो चालक हैं, लेकिन आज उनकी पहचान एक ऐसे पिता के तौर पर है, जिसने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद तीनों बेटियों को एक मुकाम तक पहुंचाया। आज उनकी तीनों बेटियों में से एक इंटरनेशन हॉकी प्लेयर है तो दो में से एक नेशनल लेवल …

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मौसम की तरह जारी होगा पर्यावरण पूर्वानुमान, प्रदूषण का सटीक पता चलेगा

मौसम विभाग अब केवल मौसम का ही नहीं बल्कि वायु गुणवत्ता का भी पूर्वानुमान जारी करेगा। यह पूर्वानुमान तीन से सात दिन के लिए होगा एवं आइआइटी, दिल्ली के तकनीकी सहयोग से जारी किया जाएगा। इसकी शुरुआत एक अक्टूबर से की जाएगी। दरअसल, सर्दियों के दौरान पिछले दो सालों से दिल्ली गैस चैंबर में तब्दील हो जा रही है। हालांकि, 15 अक्टूबर से 15 मार्च तक ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) भी लागू रहता है और केंद्रीय भूविज्ञान, वन एवं पर्यावरण मंत्रलय के अधीन सफर इंडिया भी वायु गुणवत्ता का पूर्वानुमान जारी करता है। हालांकि इसमें बहुत अधिक जानकारी नहीं होती है। ऐसे में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) व पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम एवं नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) काफी समय से मौसम विभाग से सहयोग की मांग कर रहे थे। मौसम विभाग और आइआइटी, दिल्ली के वायुमंडलीय विज्ञान केंद्र के बीच इस आशय का पूर्वानुमान जारी करने के लिए तकनीकी सहयोग पर सहमति बन गई है। आइआइटी, दिल्ली और मौसम विभाग संयुक्त रूप से वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान जारी करेंगे, जो अपेक्षाकृत अधिक प्रामाणिक होगा। जैन मुनि तरुण सागर की अंतिम यात्रा में उमड़ी भारी भीड़, अंतिम संस्कार कराने पहुंचे सौरभ सागर यह भी पढ़ें मौसम विभाग का यह पूर्वानुमान तीन से सात दिन तक का होगा। इसमें पहले तीन दिन का सटीक एवं विस्तृत पूर्वानुमान होगा कि हवा में धूल का स्तर क्या होगा। हवा की गति क्या रहेगी। हवा किस दिशा से चलेगी तथा राजस्थान अथवा कहीं विदेश से तो धूल भरी आंधी आने के आसार नहीं हैं। इसके बाद के चार दिनों का मोटा-मोटा अनुमान रहेगा कि दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा उन दिनों में कैसी रहेगी। यह पूर्वानुमान नियमित तौर पर सीपीसीबी, ईपीसीए, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रलय, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान सरकार को भेजा जाएगा। पूर्वानुमान के साथ ही एडवाइजरी जारी होगी कि इस दौरान स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं। मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक डॉ केजे रमेश ने बताया कि वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान जारी करने के लिए लगभग सारी तैयारी कर ली गई है। फिलहाल इसका ट्रायल करके देखा जा रहा है। हमारी पूरी कोशिश रहेगी कि इसके जरिये दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा बेहतर बनाए रखने में अधिक से अधिक मदद मिल सके।

मौसम विभाग अब केवल मौसम का ही नहीं बल्कि वायु गुणवत्ता का भी पूर्वानुमान जारी करेगा। यह पूर्वानुमान तीन से सात दिन के लिए होगा एवं आइआइटी, दिल्ली के तकनीकी सहयोग से जारी किया जाएगा। इसकी शुरुआत एक अक्टूबर से की जाएगी। दरअसल, सर्दियों के दौरान पिछले दो सालों से …

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नाका बिजली उपकेंद्र में तोड़फोड़

बीती रात नाका बिजली उपकेंद्र पर तोड़फोड़ की गई। इसका आरोप उसरू निवासी एक युवक पर लगा है। उपकेंद्र के अवर अभियंता नरेश जायसवाल ने आरोप के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए तहरीर दी है। अवर अभियंता के मुताबिक आरोपी युवक नशे की हालत में बीती उपकेंद्र पर पहुंचा और जबरन फीडरों को बंद दिया। उपकेंद्र पर मौजूद कर्मियों ने जब इसका विरोध किया तो युवक कर्मियों से भी मारपीट करने लगा। साथ ही उपकेंद्र में लगे मीटरों में तोड़-फोड़ की और फायर सिलेंडर व फर्नीचर आदि को भी नुकसान पहुंचाया। आरोप है कि युवक उपकेंद्र पर रखा टूल बैग भी उठा ले गया। साथ ही कर्मियों को धमकी भी दी। इसके बाद घटना की सूचना पुलिस को दी गई। मौके पर पुलिस भी पहुंची, लेकिन अभी तक न तो किसी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया और न ही गिरफ्तारी हुई है। अवर अभियंता ने बताया कि आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए तहरीर दी गई है।

बीती रात नाका बिजली उपकेंद्र पर तोड़फोड़ की गई। इसका आरोप उसरू निवासी एक युवक पर लगा है। उपकेंद्र के अवर अभियंता नरेश जायसवाल ने आरोप के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए तहरीर दी है। अवर अभियंता के मुताबिक आरोपी युवक नशे की हालत में बीती उपकेंद्र पर पहुंचा …

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किस्मत के मारे, जेल में बंद ये कान्हा बेचारे

एक तरफ जहां जगह-जगह नटवर नागर श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाने की धूम है वहीं दूसरी तरफ सात बेगुनाह मासूम जेल की अंधेरी काल कोठरी में वक्त काट रहे हैं। इन बच्चों की माताओं के विरुद्ध किसी न किसी मामले में मुकदमा दर्ज है। पांच साल से कम उम्र होने की वजह से उनके साथ रहना इन बच्चों की मजबूरी है। किस्मत के मारे ये कान्हा बेचारे बेगुनाह होते हुए भी खोलने, दौड़ने और बदमाशियां करने की उम्र में जेल की चहारदीवारी के पीछे पहुंच गए। विशेषज्ञ का कहना है कि जेल के डरावने और दमघोटू माहौल में पल-बढ़ रहे इन बच्चों के सामाजिक और मानसिक विकास पर वहां के माहौल का गहरा असर पड़ना तय है। गोरखपुर से दिल्ली की इंडिगो विमान सेवा, सीएम योगी आदित्यनाथ ने दिखाई झंडी यह भी पढ़ें इस समय जिला कारागार में मां के साथ सात बच्चे हैं। इनमें से पांच लड़कियां शिवानी, उर्वशी, खुशबू, अंशिका हैं। जिनकी उम्र तीन से पांच वर्ष हैं। इनके अलावा सात माह की ज्योति भी मां के साथ जेल की चहारदीवारी के पीछे कैद है। दो लड़के, प्रियांश (4) वर्ष और आदित्य (3) भी मां के साथ इस समय जेल में बंद हैं। बच्चों के साथ जेल में बंद महिलाएं पर दहेज उत्पीड़न और दहेज हत्या के मुकदमें जेल भेजी गई हैं। उनकी जमानत अर्जी पर सुनवाई चल रही है। –– ADVERTISEMENT –– --- बच्चों का खास ख्याल रखता है जेल प्रशासन : जेल प्रशासन की हर संभव कोशिश रहती है कि मां के साथ जेल में बंद बच्चों पर वहां के माहौल का असर न पड़े। इसके लिए जहां जेल के अंदर ही उनके खेलने और पढ़ने की व्यवस्था की गई है वहीं उनके खाने-पीने पर भी जेल प्रशासन विशेष ध्यान देता है। हर बच्चे को पीने के लिए दूध के साथ ही फल और बढ़ते बच्चों के लिए आवश्यक पौष्टिक खाने का भी इंतजाम जेल की तरफ से किया जाता है। इसके अलावा कई स्वयं सेवी संस्थाएं इनके लिए नियमित रूप से चाकलेट, बिस्किट और खिलौने भेजती रहती हैं। किस्मत के मारे, जेल में बंद ये कान्हा बेचारे यह भी पढ़ें --- जेल के अंदर चलती है नर्सरी पाठशाला : बच्चों के लिए जेल प्रशासन ने नर्सरी पाठशाला की व्यवस्था की गई है। इस पाठशाला में महिला बंदी ही बच्चों को स्वेच्छा से पढ़ाती हैं। मादक पदार्थ तस्करी के आरोप में सजा काट रही थाईलैंड की महिला इस पाठशाला की नियमित शिक्षिका हैं। बच्चों को पढ़ाने के साथ ही उनके खेलने और खाने का भी वह पूरा ख्याल रखती हैं। --- बच्चों का रखा जाता है पूरा ख्याल : जेल अधीक्षक जेल अधीक्षक डा. रामधनी बच्चों के जेल में होने को दुर्भाग्यपूर्ण मानते हैं। वह कहते हैं कि जिस उम्र में बच्चों को दादा-दादी की गोद में अठखेलियां करनी चाहिए उस उम्र वे बेचारे जेल में हैं। हमारी हर संभव कोशिश रहती है कि इन बच्चों पर जेल के माहौल का असर न पड़े। उनके खाने, पढ़ने और खेलने की विशेष व्यवस्था की गई है लेकिन जेल तो जेल ही है। इसके माहौल से इन बच्चों को पूरी अछूता रखना आसान नहीं है। --- बच्चों के व्यक्तित्व पर पड़ता है गहरा असर : प्रो. धनंजय दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान के प्रोफेसर धनंजय कुमार बताते हैं कि इन बच्चों के संपूर्ण व्यक्तित्व पर जेल में रहने का गहरा असर पड़ना निश्चित है। मनोविज्ञान की भाषा मे इसे मेंटल ट्रामा (मानसिक आघात) कहा जाता है। इसकी वजह से बच्चे का संपूर्ण व्यक्तित्व और मानसिक तथा सामाजिक विकास गंभीर रूप से प्रभावित होता है। सामान्य परिस्थितियों में पलने वाले बच्चों की तुलना में इन बच्चों को जेल से बाहर आने के बाद समाज के साथ तालमेल बिठाने में भी दिक्कत आती है।

एक तरफ जहां जगह-जगह नटवर नागर श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाने की धूम है वहीं दूसरी तरफ सात बेगुनाह मासूम जेल की अंधेरी काल कोठरी में वक्त काट रहे हैं। इन बच्चों की माताओं के विरुद्ध किसी न किसी मामले में मुकदमा दर्ज है। पांच साल से कम उम्र होने की …

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खतरे के निशान के ऊपर गंगा का प्रवाह, बैराज मार्ग व बिठूर-परियर मार्ग बंद

गंगा नदी का प्रवाह खतरे के निशान पार चुका है, तटवर्ती गांवों में बाढ़ के हालात बन गए हैं। कानपुर क्षेत्र के करीब पांच सौ गांव और उन्नाव क्षेत्र के कटरी स्थित 400 गावों तक पानी पहुंच गया है। गंगा नदी में उफान के चलते बैराज मार्ग, बिठूर से परियर जाने वाला मार्ग और शिवराजपुर से उन्नाव की सड़क पर बने पुलों पर खतरा बढ़ने से आवागमन बंद कर दिया गया है। गंगा का पानी पुल की निचली सतह को छूने लगा है और पिलरों को सिर्फ ऊपरी हिस्सा ही दिखाई दे रहा है। शिवराजपुर मार्ग पर उन्नाव की ओर कटान होने से सड़क बह गई है। गंगा की बाढ़ में घिरे कई गांव, पलायन कर रहे परिवार यह भी पढ़ें बीते 28 घटे से खतरे के निशान 113 मीटर पर ठहरा गंगा का जलस्तर सोमवार दोपहर बाद पार करके 113.03 पर पहुंच गया। जलस्तर के खतरे के निशान पर पहुंचने के बाद से तटवर्ती गांवों में दहशत का माहौल बन गया है। अब जलस्तर बढ़ना शुरू होने से बाढ़ और भी विकराल होगी। उन्नाव क्षेत्र में 24 घटे से बाढ़ के पानी से घिरे गावों को खाली कराने में लगे प्रशासन की फिक्र और बढ़ गई है। लोगों को जल्द से जल्द गावों से निकालने की कोशिशों के साथ ही प्रशासन ने पीएसी और जल पुलिस को सतर्क कर दिया है। बाढ़ में कानपुर के शिवराजपुर को उन्नाव से जोड़ने वाली सड़क के बह जाने के बाद बालू भरी बोरिया लगा दी गई हैं। लगातार बढ़ते पानी को देखकर प्रशासन ने सड़क पर आवागमन बंद करा दिया है। –– ADVERTISEMENT –– कानपुर क्षेत्र के बिठूर में परियर मार्ग पर आवागमन रोक दिया गया। बिठूर की ओर बैरीकेडिंग लगाकर पुलिस कर्मी तैनात किए गए हैं। वहीं खतरा देखते हुए गंगा बैराज मार्ग पर भी बैरीकेडिंग लगाकर आवागमन रोक दिया गया है। डीएम ने कहा है कि किसी भी वाहन को पुल से ना गुजरने दें फिर कोई पैदल भी जाना चाहे तो उसे रोक दिया जाए क्योंकि कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। वहीं बिल्हौर और चौबेपुर क्षेत्र में गंगा तटवर्ती गांवों में पानी भरने से लोगों ने गृहस्थी का सामान समेटना शुरू कर दिया है। कई परिवार सुरक्षित ठिकानों पर पलायन कर गए हैं।

गंगा नदी का प्रवाह खतरे के निशान पार चुका है, तटवर्ती गांवों में बाढ़ के हालात बन गए हैं। कानपुर क्षेत्र के करीब पांच सौ गांव और उन्नाव क्षेत्र के कटरी स्थित 400 गावों तक पानी पहुंच गया है। गंगा नदी में उफान के चलते बैराज मार्ग, बिठूर से परियर …

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उत्तर प्रदेश राज्यनामा: समाजवादी पार्टी से निकला सेक्युलर मोर्चा

होते होते हो ही गया। पार्टी से नाराज शिवपाल सिंह यादव ने अपना अलग दल बना लिया और अगले साल उत्तर प्रदेश की सभी लोकसभा सीटों पर चुनाव लडऩे की घोषणा भी कर दी। दल का नाम भी रोचक है- समाजवादी सेक्युलर मोर्चा। जाहिर है यह सवाल बहुतों के मन में उठा कि समाजवादी क्या सेक्युलर नहीं होते? या फिर जिस समाजवादी पार्टी के शिवपाल प्रदेश अध्यक्ष रहे और जिसके टिकट पर विधायक और मंत्री तक बने, क्या वह धर्मनिरपेक्ष नहीं थी। सपा की तो पूरी राजनीति ही धर्मनिरपेक्षता बनाम सांप्रदायिकता की रही है। बहरहाल, समाजवादी पार्टी के कुनबे में जो कलह 2016 के उत्तरार्ध में शुरू हुई थी, लगभग दो वर्ष में वह अपने औपचारिक निष्कर्ष तक पहुंच गई। इन दो वर्षो में समाजवादी पार्टी परिवार के भीतर जो कुछ हुआ, उसकी पृष्ठभूमि में शिवपाल सिंह यादव का अलग दल बना लेना उतना कौतूहल नहीं पैदा कर पाया जितना यह सवाल कि अब आगे उनका साथ पार्टी के कितने विधायक देने वाले हैं। समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के अनुज और पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव अच्छे दिनों में अपनी बिरादरी के अनेक विधायकों की पसंद रहे हैं। कुछ और असंतुष्ट भी गाहे बगाहे शिवपाल के साथ देखे जाते रहे हैं। हालांकि साथ दिखने और साथ जाने में अंतर होता है। उधर मुलायम सिंह हैं जो जाने कैसे और क्यों अब भी परिवार और पार्टी में सब ठीक बता रहे हैं। –– ADVERTISEMENT –– लखनऊ मेट्रो ने तय की 12 स्टेशनों की लोकेशन, अब राजधानी के सबसे व्यस्त इलाके अमीनाबाद में जाना होगा आसान यह भी पढ़ें यह भी संयोग ही है कि 29 अगस्त को जिस दिन शिवपाल यादव ने अपना मोर्चा बनाने की घोषणा की, उनके पुराने साथी अमर सिंह भी लखनऊ में ही रहकर मुलायम सिंह यादव के साथ अखिलेश यादव और आजम खां को ललकार रहे थे। अमर सिंह ने कहा तो बहुत कुछ लेकिन उन्हें सिर्फ सुना ही गया, गंभीरता से नहीं लिया गया। उन्होंने समाजवादी पार्टी को नमाजवादी कहा तो तत्काल सोशल मीडिया पर उनकी वह फोटो वायरल हो गई जिसमें कभी वह भी मुलायम और अखिलेश यादव के साथ टोपी पहने खड़े थे। वह आजम खां के शहर रामपुर भी गए लेकिन, वहां भी उनकी लाठी पानी पर ही चल सकी। हो सकता है किन्हीं बाहरी शक्तियों के समर्थन से उनकी सपा विरोधी मुहिम आगे कोई और बड़ा रूप ले, फिलहाल तो वह एक रोचक प्रहसन से आगे न पहुंच सकी। आठ माह में ढहा 25 लाख का नाला, मुनाफे के चक्कर में मानकों की अनदेखी यह भी पढ़ें नौकरी की तलाश कर रहे युवाओं के लिए 31 अगस्त का दिन एक खराब खबर लाया। हमेशा ही विवादों में रहने वाली बेसिक शिक्षा चयन भर्ती फिर एक बार एक बार विवाद में आ गई। अधिकारियों की लापरवाही ऐसी थी कि उन्होंने ऐन वक्त पर भर्ती का मानक बदल दिया। लिखित परीक्षा 68,500 पदों के लिए कराई गई थी जिसमें 41,556 बच्चे सफल हुए और इन्हीं में आरक्षण का आकलन कर दिया गया। नियमानुसार आकलन विज्ञापित 68,500 पदों के सापेक्ष होना था। इससे 6,009 चयनित लड़के भर्ती से बाहर हो गए। यह कोई साधारण चूक नहीं। इस सरकारी विफलता के सामाजिक और राजनीतिक निहितार्थ गहरे हैं। यूं बाहर हुए अभ्यर्थियों में अधिकतर सामान्य वर्ग के हैं। राजधानी में आइस फैक्ट्री से अमोनिया गैस का रिसाव, देर रात खाली कराए गए मोहल्ले यह भी पढ़ें एससी एसटी एक्ट को लेकर वे पहले से खिन्न चल रहे थे और अब तो उन्होंने तत्काल इस घटना को षड्यंत्र घोषित किया और राज्य सरकार के विरुद्ध लामबंद हो गए। सरकार भी फौरन हरकत में आई और भूल सुधारते हुए उनकी नियुक्ति का रास्ता भी खोज लिया लेकिन एक सवाल जरूर छोड़ दिया कि आखिर इसके दोषियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं। सरकार इस मसले से उबर भी नहीं पाई थी कि नलकूप चालक परीक्षा में पेपर आउट होने का एक दाग और उसके दामन पर आ लगा। भर्तियों में भ्रष्टाचार ने पिछली सरकार की बड़ी किरकिरी कराई थी और यह अजब है कि डेढ़ साल बाद भी नई सरकार नकल माफियाओं का तंत्र न तोड़ सकी। जाहिर है कि सरकार के लिए यह एक बड़ी चुनौती है। खैर, सरकार अपनी तरफ से अब चुनाव के लिए सन्नद्ध दिखने लगी है। अनुपूरक बजट पर इस बार जिस तरह से मेहनत की गई, वह चुनाव की ओर ही इशारा करती है। सरकार ने किसानों के लिए अपना कोष खोला और विधायकों के क्षेत्र में भी पांच करोड़ रुपये लागत की सड़क बनाने की अनुमति दे दी।

होते होते हो ही गया। पार्टी से नाराज शिवपाल सिंह यादव ने अपना अलग दल बना लिया और अगले साल उत्तर प्रदेश की सभी लोकसभा सीटों पर चुनाव लडऩे की घोषणा भी कर दी। दल का नाम भी रोचक है- समाजवादी सेक्युलर मोर्चा। जाहिर है यह सवाल बहुतों के मन में …

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