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अमेजन के जंगल में 22 साल से अकेले रह रहा शख्स

जारी किए गए वीडियो के साथ कहा गया है कि इससे पहले इस शख्स की सिर्फ एक तस्वीर है जो 1990 के दशक में वृत्तचित्र निर्माता ने ली थी जिसमें उस व्यक्ति का चेहरा पत्तों के पीछे छिपा है. व्यक्ति की निगरानी करने वाले दल के समन्वयक आल्टेयर अल्गायेर ने कहा कि फाउंडेशन यह वीडियो जारी नहीं करना चाहता था क्योंकि वह उस शख्स से इसे जारी करने की अनुमति नहीं ले सका है. उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि ऐसी तस्वीरों से उन लोगों के दर्द की तरफ ध्यान आकर्षित करने में मदद मिलती है जो बाहरी दुनिया से अपनी दूरी बरकरार रखने के लिये संघर्ष कर रहे हैं. यह फुटेज 2011 में रिकॉर्ड की गई थी. अल्गायेर ने कहा कि उसकी उम्र 55 से 60 साल के करीब है और उसकी सेहत अच्छी है. इंडियन फाउंडेशन 1996 से इस व्यक्ति पर नजर रख रहा है जब वह उसे रोंडोनिया राज्य के जंगल में अकेले रहता नजर आया था. माना जाता है कि उसके साथी जनजाति के सभी सदस्य 1995 या 1996 में मर गए. फाउंडेशन के सदस्यों ने उससे संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उसने बाहरी दुनिया से जुड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई.

एक ऐसा वीडियो सामने आया है जिसमें अमेजन के जंगल में संभवत: 22 साल से अकेले रह रहे एक व्यक्ति के बारे में पता चला है. ब्राजील की इंडियन फाउंडेशन द्वारा जारी किए गए वीडियो में व्यक्ति की दुर्लभ तस्वीरें कैद हुई हैं. इसके बारे में किसी को कोई जानकारी …

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जानें किस तरह होते है पाक में चुनाव

भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में आगामी 25 जुलाई को कुल 272 सीटों पर वोटिंग होगी जिसमें 3765 उम्मीदवार शामिल होंगे. यहां सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 137 सीटों का है. आपको बता दें कि पाकिस्तान में कुल रजिस्टर्स वोटर्स की संख्या 10 करोड़ के आसपास है और कुल 107 पार्टियां हैं लेकिन इस चुनाव में 30 पार्टियां ही हिस्सा ले रही हैं. इसके साथ ही पाक में 3765 उम्मीदवार इस चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में कुल 342 सीटें हैं. इनमें से 272 सीटें जेनरल कैटगरी को दी गई है. वहीं बाकी की 70 सीटें रिजर्व हैं. इन 70 सीटों में से 60 सीटें महिलाओं और 10 सीटें अल्पसंख्यों के लिए रिजर्व हैं. वोटिंग की उम्र 18 साल है और मतदाताओं के लिए कुल 85,000 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं. पाकिस्तान नेशनल असेंबली का कार्यकाल भी भारत की तरह 5 साल का होता है. पाक राजधानी क्षेत्र इस्लामाबाद से 3 सीटें है. पाकिस्तान में सबसे बड़ा प्रांत पंजाब है जहां पर कुल 141 सीटें हैं. क्रिकेट से राजनीति में आए इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी देश में काफी लोकप्रिय है. देखने वाली बात होगी की इस चुनाव में इनकी पार्टी कैसा प्रदर्शन करती है.

भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में आगामी 25 जुलाई को कुल 272 सीटों पर वोटिंग होगी जिसमें 3765 उम्मीदवार शामिल होंगे. यहां सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 137 सीटों का है. आपको बता दें कि पाकिस्तान में कुल रजिस्टर्स वोटर्स की संख्या 10 करोड़ के आसपास है और …

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पीएम मोदी ने दिए ऐसे जवाब राहुल हुए हैरान परेशान

-राहुल गाँधी ने अपने भाषण में कहा था कि यह चौकीदार नहीं भागिदार है. जिसके जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'हम चौकीदार भी हैं, भागीदार भी हैं, लेकिन आपकी तरह हम सौदागर नहीं हैं, ठेकेदार नहीं हैं. -नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी के भाषण पर तीखा प्रहार करते हुए कहा, 'आज यहां एक बात और कही गई कि पीएम अपनी आंख में मेरी आंख भी नहीं डाल सकते. माननीय अध्यक्ष महोदय सही है, हम कौन होते हैं, जो आपकी आंख में आंख डाल सकें, कोई गरीब मां का बेटा, पिछड़ी जाति का है. आप नामदार हैं, हम कामगार हैं, आंख में आंख नहीं डाल सकते.' -पीएम मोदी ने कहा, 'सभी जानते हैं कि आंख में आंख डालने वालों को कैसे अपमानित किया जाता है. हम तो कामदार हैं, भला हम नामदार के आंख में आंख कैसे डाल सकते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा और कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक को जुमला स्ट्राइक मत कहिए. -प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा और कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक को जुमला स्ट्राइक मत कहिए. -यहाँ पर सबसे मजेदार किस्सा यह रहा- राहुल गांधी के गले मिलने पर पीएम मोदी बोले- 'कुर्सी पर पहुंचने की जल्‍दबाजी है.'

-राहुल गाँधी ने अपने भाषण में कहा था कि यह चौकीदार नहीं भागिदार है. जिसके जवाब में  प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘हम चौकीदार भी हैं, भागीदार भी हैं, लेकिन आपकी तरह हम सौदागर नहीं हैं, ठेकेदार नहीं हैं. -नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी के भाषण पर तीखा प्रहार करते हुए …

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अविश्वास प्रस्ताव : क्या पीएम मोदी के पास हैं ओवेसी के इन सवालों का जवाब

अक्सर अपने विवादित बयानों को लेकर सुर्ख़ियों में रहने वाले (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी एक बार फिर अपने बयानों को लेकर चर्चा में बने हुए हैं. सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान ओवेसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कई सवाल किये. ख़ास बात तो यह है कि ओवेसी ने अपनी बात लगभग तीन मिनट के अंदर ही खत्म कर दी जिसकी तारीफ सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने जमकर की. तो चलिए जानते हैं कि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान ओवेसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कौन से सवाल किये. 1. ओवेसी का सबसे पहले सवाल यह था कि प्रधानमंत्री अपने विदेश दौरों में 1400 करोड़ रुपये खर्च कर चुके हैं. लेकिन आज तक कुछ नहीं पाया. उन्होंने कहा कि श्रीलंका हो या फिर नेपाल हो सभी चीन की गोद में बैठे हैं. 2. दलितों से मोहब्बत के इतने बड़े-बड़े दावे किए लेकिन जिसने एससी एसटी एक्ट के खिलाफ जजमेंट दिया उसी को आपकी सरकार ने एनजीटी का चेयरमैन बनाया आखिर ऐसा क्यों? 3. ओवेसी ने कहा कि वह जानना चाहते हैं कि ये नियम है कि 15 प्वाइंट एजेंडे के लिए तीन महीने में एक बार कैबिनेट सेकेट्री मीटिंग लेगा. लेकिन पिछले चार साल में एक भी मीटिंग नहीं हुई. 4. अगर प्रधानमंत्री मुसलमानों के हाथ में कुरान और कम्प्यूटर देखना चाहते हैं तो क्या वजह हैं कि प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक के लिए स्कॉलरशिप का आवंटन है. 5. ये किस तरह की पॉलिसी है, जिस पर फिक्स डिपॉजिट पर ब्याज दर छह प्रतिशत है और महंगाई की दर भी छह प्रतिशत है.

अक्सर अपने विवादित बयानों को लेकर सुर्ख़ियों में रहने वाले (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी एक बार फिर अपने बयानों को लेकर चर्चा में बने हुए हैं. सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान ओवेसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कई सवाल किये. ख़ास बात तो यह है कि ओवेसी ने …

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यूपी में विपक्ष के गठबंधन से नहीं है खतरा- योगी

पीएम नरेंद्र मोदी आज उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के दौरे पर जा रहे हैं, जहाँ वे गन्ना किसानों से चर्चा करेंगे. उनकी इस यात्रा को उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है. लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इस बात को सिरे से नकारते हुए कहा है कि पीएम मोदी के शाहजहांपुर दौरे का चुनावी कार्यक्रम से कोई लेना देना नहीं है. योगी एक निजी न्यूज़ चैनल में सवालों के जवाब दे रहे थे. सरकारी अफसरों को आवंटित होंगे पूर्व मुख्यमंत्रियों के आवास जब उनसे सदन में राहुल गाँधी और पीएम मोदी के बीच हुई घटना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि राहुल गाँधी का व्यव्हार पुरे देश ने देख लिया है. एक बड़ी पार्टी का अध्यक्ष होने के नाते ये उन्हें शोभा नहीं देता. उन्होंने मोदी सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि आज भारत तेज़ी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है और उसने फ्रांस को भी पछाड़ दिया है, कुछ ही समय में हम ब्रिटैन से भी आगे निकल जाएंगे, ये सब मोदी सरकार के काम का नतीजा है. सीएम योगी की सरकारी कर्मचारियों को बड़ी सौगात उन्होंने मोदी सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने 100 से ज्यादा कल्याणकारी योजनाएं बनाकर जनता का भरोसा जीता है. साथ ही अपनी विदेश नीति के तहत दुनिया में भी भारत को एक अहम् स्थान दिलाया है. आज विश्व के देशों के सामने भारत का दबदबा है. जब उनसे पूछा गया कि यूपी के आगामी चुनावों में विपक्षी दलों के गठबंधन के बारे में उनकी क्या राय है ? तो योगी ने कहा कि विपक्ष अपने एजेंडे पर काम कर रहा है और हम अपने, हमारा अजेंडा पब्लिक का एजेंडा है, कोई चाहे कितने भी गठबंधन बना ले, लेकिन फैसला तो देश की जनता को करना है और हमे पूरा विश्वास है कि हम पिछली बार से भी ज्यादा सीटें हासिल करके सत्ता में आएँगे.

पीएम नरेंद्र मोदी आज उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के दौरे पर जा रहे हैं, जहाँ वे गन्ना किसानों से चर्चा करेंगे. उनकी इस यात्रा को उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है. लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इस बात को सिरे से नकारते हुए …

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उजागर हुआ राहुल का राज संसद में क्यों मारी थी आंख

संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर कल चली बहस में काफी अलग नज़ारे देखने को मिले. TDP की ओर से शुरू हुई अविश्वास प्रस्ताव की बहस को हंसी-ठिठौली में बदलने में ज्यादा समय नहीं लगा. TDP की ओर से जयदेव गल्ला ने अविश्वास प्रस्ताव पर बहस की शुरुआत की. जहां उन्होंने एक के बाद एक मोदी सरकार पर जमकर हमले किए. बता दे कि संसद में अविश्वास प्रस्ताव के पहल TDP ने ही की थी. राहुल की झप्पी के मुरीद हुए रामदेव TDP ने अविश्वास प्रस्ताव पर करीब 15 मिनट तक भाषण दिया. इसके बाद सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के तौर पर कांग्रेस ने मोर्चा संभाला. कांग्रेस की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भाषण की शुरुआत की. उनका भाषण मोदी सरकार पर लगातार भारी पड़ा. राहुल ने हर मोदी सरकार को जमकर घेरा. लेकिन अंत में उन्होंने एक ऐसा कारनाम कर दिया जो उनकी सारी मेहनत पर पानी फेर गया. राहुल-मोदी के मिलन पर सुमित्रा ने कहा- मैं इसके ख़िलाफ़ नही लेकिन... दरअसल, राहुल ने अपने भाषण की समाप्ति के बाद पीएम मोदी की सीट पर जाकर उन्हें गले लगाया. यहां कुछ समय के लिए मोदी थोड़े सख्त नजर आए. लेकिन बाद में उन्होंने राहुल को पुनः बुलाकर उनसे हाथ मिलाया और उनकी पीठ थपथपाई. यहां तक सब ठीक रहा. लेकिन जब राहुल गांधी अपनी सीट पर जाकर बैठे तब उन्होंने अपने दाएं ओर बैठे साथियों को मुस्कराते हुए आंख मार दी. बस फिर क्या था कल से करोड़ों देशवासी इस सवाल का जवाब मांग रहे हैं कि आखिर राहुल ने किसे और क्यों आंख मारी. तो आपको बता दे कि जब राहुल मोदी से गले मिलकर आए तब कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उन्हें थम्स अप किया. इस पर राहुल ने हंसते हुए उनके आंख मार दी.

संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर कल चली बहस में काफी अलग नज़ारे देखने को मिले. TDP की ओर से शुरू हुई अविश्वास प्रस्ताव की बहस को हंसी-ठिठौली में बदलने में ज्यादा समय नहीं लगा. TDP की ओर से जयदेव गल्ला ने अविश्वास प्रस्ताव पर बहस की शुरुआत की. जहां उन्होंने …

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राहुल-मोदी के मिलन पर शिवसेना की चुटकी कहा- भाई तू तो छा गया…

संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर कल चली बहस के बीच राहुल गांधी ने जो कुछ भी किया उस पर उनकी आलोचना और तारीफें बराबर हो रही हैं. कोई उन्हें इस काम के लिए जमकर कोस रहा हैं तो कोई उनका समर्थन भी जमकर कर रहा हैं. बाबा रामदेव ने भी इस पर राहुल की तारीफ की. वहीं अब भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने भी इस पर चुटकी लेते हुए राहुल की तारीफ़ की है. उजागर हुआ राहुल का राज संसद में क्यों मारी थी आंख शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में राहुल की तारीफ़ की है. जहां उन्होंने मुखपत्र के पहले पन्‍ने की हेडलाइन में लिखा है-'भाई, तू तो छा गया...' साथ ही राहुल के भाषण में 'देश के चौकीदार कहनेवाले उद्योगपतियों के भागीदार बन गए हैं...' जुमले को भी हाईलाइट किया गया है. बता दे कि अविश्वास प्रस्ताव में फ़िलहाल मोदी सरकार पास हो गई है. यह भी बता दे कि अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग में शिवसेना ने हिस्सा नही लिया था. राहुल की झप्पी के मुरीद हुए रामदेव गौरतलब है कि राहुल ने कल लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर अपने भाषण की समाप्ति के बाद पीएम मोदी की सीट पर जाकर उन्हें गले लगाया था. यहां कुछ समय के लिए मोदी थोड़े सख्त नजर आए. लेकिन बाद में उन्होंने राहुल को पुनः बुलाकर उनसे हाथ मिलाया और उनकी पीठ थपथपाई. यहां तक सब ठीक रहा. लेकिन जब राहुल गांधी अपनी सीट पर जाकर बैठे तब उन्होंने अपने कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उन्हें थम्स अप किया. इस पर राहुल ने हंसते हुए उनके आंख मार दी.

संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर कल चली बहस के बीच राहुल गांधी ने जो कुछ भी किया उस पर उनकी आलोचना और तारीफें बराबर हो रही हैं. कोई उन्हें इस काम के लिए जमकर कोस रहा हैं तो कोई उनका समर्थन भी जमकर कर रहा हैं. बाबा रामदेव ने भी …

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अविश्वास प्रस्ताव के बहाने राहुल-मोदी ने तैयार की 2019 की पिच, छाए रहेंगे ये मुद्दे

साल 2014 में मोदी सरकार प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई थी. चार सालों के कार्यकाल में मोदी सरकार को पहली बाद अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा. सरकार के खिलाफ विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में गिर गया है. सरकार को 325 वोट मिले और विपक्ष के खाते में सिर्फ 126 वोट आए. विपक्ष ने पहले ही कह दिया था कि हमारा मकसद सरकार को हराना नहीं, बल्कि उसकी पोल खोलना है. हुआ भी वही. राहुल गांधी ने कल जिस अंदाज में मोदी सरकार पर हमला बोला, उससे बीजेपी तिलमिला गई. हालांकि रात होते-होते पीएम मोदी ने अपने भाषण में राहुल के सभी आरोपों का खंडन कर दिया. अविश्वास प्रस्ताव के बहाने मोदी सरकार ने देश के सामने अपनी बात रख दी और चार साल के काम की उपलब्धियां देश को बताने का उसे बड़ा मौका भी मिल गया. मनोवैज्ञानिक तौर पर सरकार ने साबित कर दिया कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के सामने कोई नहीं टिकेगा. इतना ही नहीं अविश्वास प्रस्ताव के बहाने बीजेपी यह भी समझ गई है कि शिवसेना और बीजेडी जैसे बड़े क्षेत्रीय दल 2019 में उसका साथ देंगे, ये भी असंभव लग रहा है. कल लोकसभा में राहुल गांधी के बयान से तय हो गया है कि साल 2019 का चुनाव 2014 के चुनाव की तरह राहुल बनाम मोदी के धर्रे पर ही लड़ा जाएगा. राहुल का ये बयान सदन में दिए गए उनके पिछले बयानों से काफी अलग भी था और आक्रामक भी. अविश्वास प्रस्ताव को 2019 में भुनाएगी मोदी सरकार साल 2019 के लोकसभा चुनाव में अपनी सरकार का प्रचार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अविश्वास प्रस्ताव के रूप में नया हथियार मिल गया है. पीएम मोदी ये बात पहले से जानते कि अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग में उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा लेकिन विपक्ष को घेरने का मौका मिल जाएगा. सरकार आने वाले लोकसभा चुनाव के प्रचार प्रसार में जनता के सामने जोर शोर से अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष की हार का जिक्र करेगी. पीएम मोदी ने यह बात कही भाषण में भी कही, ''मैं समझता हूं कि ये अच्छा मौका है कि हमें तो अपनी बात रखने का मौका मिला. इसके साथ ही देश को ये देखने को भी मिला है कि कैसे नकारात्मक राजनीति ने कुछ लोगों को घेर कर रखा है.’’ 2019 ही नहीं 2024 में भी बनेगी सरकार- मोदी राहुल गांधी के आरोपों पर कल पीएम मोदी ने 2024 लोकसभा चुनाव तक का जिक्र कर दिया. पीएम मोदी ने कहा, ''आजकल शिव भक्ति की बात हो रही हैं, मैं भगवान शिव और देश की जनता से प्रार्थना करता हूं कि आपको इतनी शक्ति दें कि 2024 में फिर से आप अविश्वास प्रस्ताव ले आएं. मेरी आपको शुभकामनाएं हैं.'' पीएम मोदी ने ये बात राहुल के उस बयान पर कही थी जिसमें उन्होंने कहा था कि मोदी, बीजेपी और आरएसएस ने मुझे हिंदू होने का मतलब समझाया है. भाषण खत्म करते करते राहुल ने यह भी कहा था कि साल 2019 के चुनाव में पूरा विपक्ष मिलकर मोदी सरकार को शिकस्त देगा. महागठबंधन पर सवाल खड़े करना मोदी की रणनीति पिछले कई लोकसभा और विधानसभा उपचुनावों में बीजेपी को महागठबंधन से टक्कर मिली है. एक जुट विपक्ष साल 2019 में सरकार के लिए कोई मुसीबत ना खड़ी कर दे इसलिए मोदी ने महागठबंधन पर हमला करते हुए कहा, ''कहा जा रहा है कि 2019 में अगर कांग्रेस सबसे बड़ा दल बनती है तो मैं (राहुल गांधी) प्रधानमंत्री बनूंगा लेकिन, दूसरों की भी ढेर सारी ख्वाहिशें हैं, उनका क्या होगा? इसे लेकर भ्रम की स्थिति है. ये सरकार का फ्लोर टेस्ट नहीं है. कांग्रेस के तथाकथित साथियों का टेस्ट है, मैं ही प्रधानमंत्री बनूंगा, इस सपने का फ्लोर टेस्ट है.’’ राहुल के भाषण से तय हुए साल 2019 के मुद्दे! वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के भाषण से काफी हद तक तय़ हो गया है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष के क्या मुद्दे रहने वाले हैं. राहुल ने कल अपने भाषण में डोकलाम, राफेल डील जैसे मामलों पर मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया. इतना ही नहीं किसान, रोजगार, महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों पर राहुल ने खुलकर अपने तेवर दिखाए और मोदी सरकार को याद दिलाया कि जो वादे आपने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में किए थो वो अभी तक पूरे नहीं हुए हैं. राफेल डील भ्रष्टाचार को लेकर राहुल ने पीएम मोदी को कटघरे में लाने की कोशिश की. उन्होंने कहा, ''हमारी यूपीए की डील में राफेल हवाई जहाज का दाम 520 करोड़ रुपये प्रति हवाई जहाज था. पता नहीं क्या हुआ किससे बात हुई, प्रधानमंत्री जी फ्रांस गए, वहां किसके साथ गए पूरा देश जानता है. इसके बाद जादू से हवाई जहाज का दाम 1600 करोड़ रुपये हो गया. मैं खुद फ्रांस के राष्ट्रपति से मिला और मैंने उनसे ये पूछा कि क्या ऐसा कोई समझौता फ्रांस और भारत की सरकार में है? फ्रांस के राष्ट्रपति ने बताया कि ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ. उन्होंने मुझे कहा कि अगर आप पूरे देश को बताते हैं तो हमें कोई ऐतराज नहीं है. प्रधानमंत्री के दबाव में आकर निर्मला सीतारमण जी ने देश से झूठ बोला है.'' रोजगार साल 2019 के लोकसभा चुनाव में युवाओं को रोजगार का मुद्दा भी छाया रहेगा. राहुल ने कल इसको लेकर कहा था, ''5 लाख रुपए औऱ रोजगार देने का वादा सिर्फ जुमला है. प्रधानमंत्री जहां भी जाते हैं रोज़गार की बात करते हैं. कभी कहते हैं पकौड़े बनाओ कभी कहते हैं दुकान खोलो. रोज़गार कौन लायेगा? हिन्दुस्तान के युवाओं ने प्रधानमंत्री जी पर भरोसा किया था. अपने भाषण में प्रधानमंत्री जी ने कहा था हर साल 2 करोड़ युवाओं को रोज़गार दूंगा.’’ कारोबारी बनाम किसान राहुल गांधी ने संसद में कारोबारियों और किसानों का मुद्दा आक्रामक ढंग से उठाया. . जो दस बीस बिजनेस मैन हैं उनकी ये मदद करते हैं लेकिन जो छोटे दुकानदारों, गरीबों और किसानों के दिल में है उसके लिए इनके दिल में थोड़ी सी भी जगह नहीं है. मोदी सरकार को किसानों का कर्जा माफ करना चाहिए था, लेकिन उन्होंने करोड़पतियों के कर्जे माफ कर दिए. प्रधानमंत्री ने किसानों को नजरंदाज करते हुए अपने कारोबारी मित्रों को फायदा पहुंचाया है. लिंचिंग लिंचिंग का जिक्र करते हुए राहुल ने दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों को लेकर मोदी पर हमला बोला. साफ है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस हर तबके को साधने में जुट गई है. जय शाह के बहाने अमित शाह पर निशाना राहुल गांधी ने अमित शाह के बेटे जय शाह की आमदनी का मुद्दा उठाते हुए कहा, ''प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि मैं देश का चौकीदार हूं मगर जब अमित शाह के पुत्र जय शाह ने 16000 गुना अपनी आमदनी को बढ़ाता है तो प्रधानमंत्री के मुंह से एक शब्द नहीं निकलता.'' जाहिर है राहुल आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में मोदी सराकर को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते. जय शाह मामले का शोर इन चुनावों में भी सुनने को मिलेगा.

साल 2014 में मोदी सरकार प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई थी. चार सालों के कार्यकाल में मोदी सरकार को पहली बाद अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा. सरकार के खिलाफ विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में गिर गया है. सरकार को 325 वोट मिले और विपक्ष के खाते …

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कोलेजियम ने सरकार को दोबारा भेजा जस्टिस केएम जोसेफ का नाम

सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने सरकार की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाए जाने की दोबारा सिफारिश कर दी है। इसके साथ ही कोलेजियम ने दो और न्यायाधीशों इंदिरा बनर्जी और विनीत सरन को भी सुप्रीम कोर्ट जज बनाने की सिफारिश भेजी है। जस्टिस बनर्जी मद्रास हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश हैं और जस्टिस सरन उड़ीसा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हैं। जस्टिस केएम जोसेफ का नाम लंबे समय से कोलेजियम और सरकार के बीच टकराव की वजह बना है। सरकार ने जस्टिस जोसेफ की वरिष्ठता पर सवाल उठाते हुए पुनर्विचार के लिए वापस भेज दी थी। लेकिन कोलेजियम की ओर से दोबारा की गई सिफारिश सरकार पर बाध्यकारी है। कोलेजियम ने जस्टिस अनिरुद्ध बोस को दिल्ली हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाए जाने के मुद्दे पर सरकार से टकराव टाल दिया है। पहले कोलेजियम ने जस्टिस अनिरुद्ध बोस को दिल्ली हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की थी लेकिन सरकार ने सिफारिश पुनर्विचार के लिए वापस भेज दी थी। अब उन्हें दिल्ली के बजाए झारखंड हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की गई है। जबकि पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन को दिल्ली हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की है। दिल्ली की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल को जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की गई है। इसके अलावा वीके ताहिलरमानी को मद्रास हाई कोर्ट, ऋषिकेश राय को केरल हाई कोर्ट, केएस झावेरी को उड़ीसा और एमआर शाह को पटना हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की गई है। कोलेजियम ने जस्टिस केएम जोसेफ के नाम की दोबारा सिफारिश करते हुए कहा है कि उसने सरकार की ओर से भेजे गए 26 और 30 अप्रैल के दोनों पत्रों में उठाई गई आपत्तियों पर गहनता से विचार किया है। कोलेजियम सारे पहलुओं पर गौर करने के बाद अपनी सिफारिश दोहराती है। विशेषतौर पर इस बात को देखते हुए कि जोसेफ की उपयुक्तता के बारे में सरकार ने कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की है। कोलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट के लिए दो और नामों की सिफारिश करते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में कुल 31 पद मंजूर हैं जबकि अभी सिर्फ 22 जज ही काम कर रहे हैं और नौ पद खाली हैं। कोलेजियम ने जिन दो जजों की और सिफारिश की है उनमें जस्टिस इंदिरा बनर्जी हाई कोर्ट जजों की आल इंडिया वरिष्ठता में चौथे नंबर पर आती हैं और जस्टिस विनीत सरन वरिष्ठता में पांचवें नंबर पर आते हैं। जस्टिस बनर्जी मूल रूप से कलकत्ता हाई कोर्ट की हैं जबकि सरन मूलतः इलाहाबाद हाई कोर्ट के हैं। उधर सरकार के सूत्र बताते हैं कि सरकार हाई कोर्ट में खाली पड़े जजों के पदों को लेकर गंभीर है और इस वर्ष अभी तक सरकार 93 नामों की सिफारिश कोलेजियम को भेज चुकी है। इसके अलावा अगले सप्ताह तक लगभग 33 नामों की और सिफारिश भेजी जा सकती है इस तरह इस वर्ष भी कुल 126 सिफारिशें हो जाएंगी जो कि पिछले वर्ष की अधिकतम नियुक्ति की संख्या को पार कर सकती हैं।

सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने सरकार की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाए जाने की दोबारा सिफारिश कर दी है। इसके साथ ही कोलेजियम ने दो और न्यायाधीशों इंदिरा बनर्जी और विनीत सरन को भी सुप्रीम कोर्ट जज …

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अविश्वास प्रस्ताव: 328 सांसदों ने दिया था भरोसा, पर आखिरी पलों में ये 3 सांसद मोदी को दे गए दगा

शुक्रवार को दिन भर की मैराथन बहस के बाद जब अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हुई तो जो नतीजा स्क्रीन पर फ्लैश हुआ वो मोदी सरकार की धमक का बखान कर गया. लेकिन इस बीच भाजपा के तीन सांसदों ने वोट नहीं दिया. दरअसल, अविश्वास प्रस्ताव के विरोध में यानी सरकार के पक्ष में 325 वोट गिरे जबकि अविश्वास के समर्थन यानी सरकार के विरोध में सिर्फ 126 वोट गिरे. बता दें कि सदन में सिर्फ 451 सांसद मौजूद थे. यानी जितने सांसद मौजूद थे उसे देखते हुए सरकार ने दो तिहाई का आंकड़ा पार कर लिया. आंकड़ों के लिहाज से ये मोदी सरकार की दमदार जीत मानी जाएगी. बीजेपी समर्थक 3 सांसदों ने नहीं डाला वोट बीजेपी के पास सदन में 328 सांसदों का आकड़ा था और उनके पक्ष में 325 वोट गिरे. ऐसे में सवाल उठता है कि वो तीन सांसद कौन हैं जिन्होंने वोट नहीं दिया. हालांकि, इसका पता अभी नहीं चल पाया है. अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान सदन में एनडीए सरकार के पक्ष में कुल 328 सांसद थे. इनमें बीजेपी के 271 सांसद, एआईएडीएमके के 37 सांसद, एलजेपी के 6 सांसद, अकाली दल के 4 सांसद, जेडीयू के 2 सांसद, आरएलएसपी के 2 सांसद और अपना दल के 2 सांसद मौजूद रहे. वहीं, रिपब्लिकन पार्टी , नागा पीपुल फ्रंट, नेशनल पीपुल पार्टी और सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के 1-1 सांसदों ने भी सरकार के पक्ष में वोट किया. ऐसे में सरकार के पक्ष में डाले गए वोटों का आंकड़ा 328 होना चाहिए था. ऐसे में वो 3 सांसद कौन हैं जिन्होंने वोट नहीं दिया, इसका पता अभी नहीं चल पाया है.

शुक्रवार को दिन भर की मैराथन बहस के बाद जब अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हुई तो जो नतीजा स्क्रीन पर फ्लैश हुआ वो मोदी सरकार की धमक का बखान कर गया. लेकिन इस बीच भाजपा के तीन सांसदों ने वोट नहीं दिया. दरअसल, अविश्वास प्रस्ताव के विरोध में यानी सरकार …

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