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Swati Srivastava wants good content to reach ur table/palm rajanalytica@gmail.com

ईश्वर करे बिहार में कोई उथल पुथल न हो-राज्यपाल

बिहार के राज्यपाल कहते हैं, राज्यपाल की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. वह राष्ट्रपति और सरकार के बीच सेतु का काम करता है.' इसके अलावा राज्यपाल के पास मुख्यमंत्री से कम शक्तियां होने के सवाल पर सत्यपाल मलिक ऐसी बात से इनकार करते हैं. उन्होंने साफ कहा कि फ़ेडरल सिस्टम में पावर की ज़्यादा ज़रूरत नहीं होती है और राज्यपाल के पास वर्तमान समय में पर्याप्त शक्ति प्राप्त है. राज्यपाल सत्यपाल मलिक बिहार के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी हैं.उन्होंने कहा 'चाणक्य ने कहा कि जब तक व्यवस्था पूरी तरह से ठीक न हो जाए, तब तक शासक को संतुष्ट नहीं होना चाहिए. उच्च शिक्षा के स्तर को लेकर मैं भी संतुष्ट नहीं हूं.' मलिक ने आगे कहा, 'शिक्षा की बदहाली के लिए हम सब दोषी हैं. क्लास ठीक से नहीं हो रहा, पढ़ाई समय पर नहीं हो रही. हमने कुलपतियों की बैठक कर सुधारने के लिए सख़्त क़दम उठाने को कहा है और अब कुलपतियों की बैठक भी हो रही है, जो पहले नहीं होती थी.' उन्होंने कहा था कि अगर लड़कियों को कोई दिक़्क़त हो तो वे सीधे राजभवन फ़ोन करें. इसे लेकर पूछे जाने पर राज्यपाल मलिक ने कहा, 'देखिये उस बात को ग़लत तरीक़े से लाया जा रहा था. आज पुलिस के रवैये को देखिए एक एफआईआर करवाने तक में दिक़्क़त होती है. मैंने कहा था कि अगर कोई समस्या होती है तो उसे दूर करने के लिए मैं हूं. इसका परिणाम हुआ कि तीन दिन बाद बेतिया से एक लड़की का फ़ोन आया. सत्यपाल मलिक कहते हैं, 'मैं ऐसे हाथ धरे नहीं बैठ सकता, लेकिन ये काम सरकार का है. मैं एक और सेंटर नहीं बनना चाहता. मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं, लेकिन किसी लड़की को असहाय नहीं छोड़ सकते.'

बिहार के राज्यपाल कहते हैं, राज्यपाल की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. वह राष्ट्रपति और सरकार के बीच सेतु का काम करता है.’ इसके अलावा राज्यपाल के पास मुख्यमंत्री से कम शक्तियां होने के सवाल पर सत्यपाल मलिक ऐसी बात से इनकार करते हैं. उन्होंने साफ कहा कि फ़ेडरल सिस्टम में …

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उत्तराखंड: खाई में गिरी बस 22 लोगों की मौत

उत्तराखंड से एक बड़ी खबर मिल रही है. खबर के अनुसार उत्तराखंड के पौड़ी के घुमावदार क्षेत्र में बस का बैलेंस बिगड़ने के कारण यह बड़ा हादसा हो गया है. बताया जा रहा है कि बस में करीब 40-45 लोगों के बैठे होने का अंदेशा था वहीं अभी मिल रही खबर के अनुसार 22 लोगों की मौत हो गई है. उत्तराखंड से मिल रही इस बड़ी खबर में अभी रेस्क्यू के लिए आपातकालीन सुविधाओं के साथ SDRF का दल रवाना हो गया है. बताया जा रहा है कि जिस जगह पर बस का एक्सीडेंट हो गया है यह काफी पिछड़ा हुआ इलाका है. यहाँ पर मोबाइल फोन के नेटवर्क नहीं मिलते है ऐसे में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. मौके पर पहुंचे कुछ लोगों ने घटना में घायल और मृत लोगों को निकालने की कोशिश की लेकिन बस के गिरने के बाद लोग बुरी तरह से उसके भीतर दबे हुए है. हाल ही में हिमाचल प्रदेश में इस तरह का एक एक्सीडेंट संज्ञान में आया था. उत्तराखंड में पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण जरा सी लापरवाही से इस तरह की घटनाएं आम हो चली है. इस तरफ न प्रशासन का ध्यान जाता है न ही सरकार का.

उत्तराखंड से एक बड़ी खबर मिल रही है. खबर के अनुसार उत्तराखंड के पौड़ी के घुमावदार क्षेत्र में बस का बैलेंस बिगड़ने के कारण यह बड़ा हादसा हो गया है. बताया जा रहा है कि बस में करीब 40-45 लोगों के बैठे होने का अंदेशा था वहीं अभी मिल रही …

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मंदसौर बलात्कार मामले में अखिलेश का बीजेपी पर निशाना

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंदसौर गैंगरेप में बीजेपी पर निशाना साधा है. अखिलेश यादव ने कहा कि "मंदसौर की घटना काफी अमानवीय और हृदय विदारक है. यह बहुत शर्म एक विषय है कि भाजपा के राज्यों में महिलाओं और बच्चों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ी है और इन घटनाओं पर भाजपा का रवैया हमेशा से शून्य ही रहा है." अखिलेश ने हाल ही में अपना एक बयान जारी करते हुए कहा है कि "बीजेपी की जो भी नीतियां है वो महिला विरोधी है." वहीं अखिलेश यादव ने आगे कहा कि "देश में जहाँ-जहाँ भी बीजेपी की सरकारें है वहां-वहां इस तरह की घटनाएं बढ़ने के साथ ही अपराधियों का हौसला भी बढ़ा है." अखिलेश ने कहा कि "भाजपा नेता बातें तो बड़ी-बड़ी करते हैं लेकिन जमीनी हकीकत में उनके परिणाम शून्य ही रहते हैं. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बलात्कार की घटनाओं पर शासन प्रशासन को अत्यंत कठोर कार्रवाई करनी चाहिए और अपराधियों को कड़ा दंड मिलना चाहिए. जो सरकार महिलाओं और बच्चियों की इज्जत और सुरक्षा नहीं कर सकती है उसे सत्ता में बने रहने का हक नहीं हैं. जनता भाजपा को इन घटनाओं के लिए माफ नहीं करेगी."

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंदसौर गैंगरेप में बीजेपी पर निशाना साधा है. अखिलेश यादव ने कहा कि “मंदसौर की घटना काफी अमानवीय और हृदय विदारक है. यह बहुत शर्म एक विषय है कि भाजपा के राज्यों में महिलाओं और बच्चों के …

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ईश्वर करे बिहार में कोई उथल पुथल न हो-राज्यपाल

बिहार के राज्यपाल कहते हैं, राज्यपाल की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. वह राष्ट्रपति और सरकार के बीच सेतु का काम करता है.' इसके अलावा राज्यपाल के पास मुख्यमंत्री से कम शक्तियां होने के सवाल पर सत्यपाल मलिक ऐसी बात से इनकार करते हैं. उन्होंने साफ कहा कि फ़ेडरल सिस्टम में पावर की ज़्यादा ज़रूरत नहीं होती है और राज्यपाल के पास वर्तमान समय में पर्याप्त शक्ति प्राप्त है. राज्यपाल सत्यपाल मलिक बिहार के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी हैं.उन्होंने कहा 'चाणक्य ने कहा कि जब तक व्यवस्था पूरी तरह से ठीक न हो जाए, तब तक शासक को संतुष्ट नहीं होना चाहिए. उच्च शिक्षा के स्तर को लेकर मैं भी संतुष्ट नहीं हूं.' मलिक ने आगे कहा, 'शिक्षा की बदहाली के लिए हम सब दोषी हैं. क्लास ठीक से नहीं हो रहा, पढ़ाई समय पर नहीं हो रही. हमने कुलपतियों की बैठक कर सुधारने के लिए सख़्त क़दम उठाने को कहा है और अब कुलपतियों की बैठक भी हो रही है, जो पहले नहीं होती थी.' उन्होंने कहा था कि अगर लड़कियों को कोई दिक़्क़त हो तो वे सीधे राजभवन फ़ोन करें. इसे लेकर पूछे जाने पर राज्यपाल मलिक ने कहा, 'देखिये उस बात को ग़लत तरीक़े से लाया जा रहा था. आज पुलिस के रवैये को देखिए एक एफआईआर करवाने तक में दिक़्क़त होती है. मैंने कहा था कि अगर कोई समस्या होती है तो उसे दूर करने के लिए मैं हूं. इसका परिणाम हुआ कि तीन दिन बाद बेतिया से एक लड़की का फ़ोन आया. सत्यपाल मलिक कहते हैं, 'मैं ऐसे हाथ धरे नहीं बैठ सकता, लेकिन ये काम सरकार का है. मैं एक और सेंटर नहीं बनना चाहता. मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं, लेकिन किसी लड़की को असहाय नहीं छोड़ सकते.'

बिहार के राज्यपाल कहते हैं, राज्यपाल की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. वह राष्ट्रपति और सरकार के बीच सेतु का काम करता है.’ इसके अलावा राज्यपाल के पास मुख्यमंत्री से कम शक्तियां होने के सवाल पर सत्यपाल मलिक ऐसी बात से इनकार करते हैं. उन्होंने साफ कहा कि फ़ेडरल सिस्टम में …

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अमेरिका हमें न सिखाए तेल कहा से लेना है-ओवैसी

ईरान से भारत को तेल आयात खत्म करने के लिए करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के फरमान पर भारत के एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने अमेरिका को आड़े हाथों लेते हुए जमकर खरी खोटी सुनाई है. ज्ञात हो कि अमेरिका ने पिछले हफ्ते ही भारत समेत अन्य देशों को ईरान से तेल आयात नहीं करने की चेतावनी दी थी क्योंकि ईरान पर 4 नवंबर से अमेरिकी प्रतिबंध लगा हुआ है. असदुद्दीन ओवैसी यहाँ ही नहीं रुके और आगे उन्होंने कहा कि भारत की संप्रभुता में दखल देने वाला अमेरिका कौन होता है. भारत की संप्रभुता पर अमेरिका कैसे हस्तक्षेप कर सकता है. ओवैसी ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में जनसभा को संबोधित करते वक़्त यह बयान दिया. साथ ही उन्होंने कहा, ‘अमेरिका कौन होता है भारत को कहने वाला? आप हमें कैसे कह सकते हो कि हम यहां से तेल खरीदे और यहां से नहीं? क्या अमेरिकी राष्ट्रपति को यह कहना चाहिए कि हम कहां से चीजें खरीदें और कहां से नहीं? क्या यह भारत की संप्रभुता में अमेरिका का दखल नहीं है?’ गौरतलब है कि ईराक और सऊदी अरब के बाद भारत ईरान का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है. 2017 से 2018 तक ईरान ने भारत को 18.4 मिलियन टन का कच्चा तेल दिया है

ईरान से भारत को तेल आयात खत्म करने के लिए करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के फरमान पर भारत के एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने अमेरिका को आड़े हाथों लेते हुए जमकर खरी खोटी सुनाई है. ज्ञात हो कि अमेरिका ने पिछले हफ्ते ही भारत समेत …

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सरकार 1 जुलाई को मनाएगी GST डे, जानिए इसकी प्लानिंग से लागू होने तक का सफर

पिछले साल केंद्र सरकार ने एक देश एक टैक्स का वादा पूरा करते हुए देशभर में जीएसटी लागू किया था। अप्रत्यक्ष कर के क्षेत्र में एतिहासिक सुधार बताए जा रहे इस जीएसटी को लागू हुए 1 जुलाई यानी रविवार को एक साल पूरा हो रहा है। इस मौके पर सरकार ने इस दिन को जीएसटी डे के रूप में मनाने की तैयारी की है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सरकार इस दिन को देश में अभूतपूर्व टैक्स रिफॉर्म का एक साल पूरा होने पर सरकार ने जीएसटी डे मनाने की तैयारी की है। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल करेंगे वहीं शिव प्रताप शुक्ला मुख्य अतिथि होंगे। बता दें कि 30 जून 2017 की मध्य रात्री संसद के सेंट्रल हॉल में एक बड़े आयोजन के साथ देश में जीएसटी लागू किया गया था। नोटबंदी के बाद जीएसटी केंद्रीय सरकार का दूसरा बड़ा फैसला था। भारत जैसे जटिल संरचना वाले देश में जीएसटी ने टैक्स सिस्टम को एकीकृत करने का काम किया। जीएसटी ने करीब एक दर्जन से अधिक इनडायरेक्ट टैक्स की जगह ली है। हालांकि यह प्रक्रिया बेहद लंबी और जटिल रही। इस एक साल में जहां सरकार ने समीक्षा करते हुए कई चीजों से जीएसटी कम किया वहीं कई पर बढ़ाया है। जहां एक तरफ एक पक्ष ने इसका स्वागत किया है वहीं दूसरे पक्ष ने इसका विरोध भी किया है। विपक्षी दल लगातार जीएसटी को केंद्र सरकार की बड़ी भूल करार देते रहे हैं। करीब दो दशक से अधिक समय की लंबी प्रक्रिया के बाद आखिरकार देश को 1 जुलाई, 2018 को नया टैक्स सिस्टम मिला। आईए डालते हैं नजर जीएसटी के इस दो दशक के सफर पर GST टाइमलाइन - वर्ष 2002 में एनडीए की सरकार में अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री और यशवंत सिन्हा वित्त मंत्री थे। इन्होंने सितंबर 2002 में विजय केलकर के नेतृत्व में दो समिति- केल्कर कमेटी ऑन डायरेक्ट टैक्सेस और केल्कर कमेटी ऑन इनडायरेक्ट टैक्सेस बनाईं। - वर्ष 2000 में एक कमेटी का गठन किया था जिसका नाम एम्पावर्ड कमेटी (ईसी) रखा गया था। इस कमेटी से पूछा गया कि वे बताएं कि इस मसले पर क्या करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि केल्कर कमेटी ने वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) की सिफारिश की थी। - इसके बाद वर्ष 2003 से नए कानून की दिशा में प्रयास शुरू कर दिया गया। अगले साल 2004 में एनडीए की सरकार चली गई। - वर्ष 2006-07 की बजट स्पीच के दौरान तत्कालीन वित्त मंत्री ने जीएसटी पर बात बढ़ाई और बताया कि इसे 1 अप्रैल 2010 से लागू करने का प्रयास किया जाएगा। - वर्ष 2009 में एक प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया गया। - वर्ष 2011 में संविधान संशोधन बिल तैयार कर सरकार ने इसे बिल को लोकसभा में पेश किया। यह 115वां बिल था। - जब इस बिल को वित्त मामले की स्थाई समिति के पास भेजा गया तो ईसी ने इस पर संशोधन की बात कही। यह बिल मार्च 2014 में लोकसभा में आया लेकिन लोकसभा भंग होने के चलते पारित नहीं हो पाया। इसके बाद चुनाव आ गए और ये बिल भी लैप्स हो गया। - वर्ष 2014 की 26 मई को भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आई और नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने। अगले महीने जून 2014 में ही सरकार ने बिल को सदन में पेश करने की अनुमति दी और फिर इसे ईसी के पास भेज दिया गया। - एम्पावर्ड कमेटी (ईसी) ने काम किया और दिसंबर 2014 में लोकसभा में ये संशोधित बिल पेश हो गया। लोकसभा में इस पर विचार विमर्श होने के बाद और मई 2015 में इसे लोकसभा में पारित कर दिया गया। - इसके बाद इसके राज्यसभा में भेजा गया। यहां पर राज्यों ने इसपर अपनी सिफारिशें दीं। - इस बिल पर काफी बहस होने के बाद इसे राज्यसभा ने सेलेक्ट कमेटी के पास भेज दिया। - 3 अगस्त 2016 को बिल राज्यसभा में कुछ संशोधन के साथ पास किया गया। - आर्टिकल 368 (संविधान का संशोधन कैसे हो) के तहत दोनों सदनों के विशेष बहुमत और कुल संख्या के आधे बहुमत के अलावा आधे राज्यों के विधानमंडल की सहमति भी जरूरी होती है। - दिल्ली और पुडुचेरी को राज्य मानने के बाद कुल राज्यों की संख्या 31 हो गई। इस तरह 16 राज्यों के समर्थन की जरूरत हुई। राज्यों से कहा गया कि वे अपने अपने यहां संकल्प पारित करें। इस पर सबसे पहले असम और फिर बिहार ने सहमति दिखाई। - 2 सितंबर, 2016 को 16वें राज्य के रूप में राजस्थान ने इसे विधानसभा में पारित कर दिया। इसके बाद 8 सितंबर, 2016 को राष्ट्रपति ने इस पर हस्ताक्षर किये और यह अधिनियम बन गया। यह 101वां संविधान संशोधन अधिनियम था। - 12 सितंबर 2016 को धारा 12 को लागू किया गया और GST काउंसिल का गठन हुआ। एक्ट में स्पष्ट किया गया था कि कानून के लागू होने से ठीक एक साल बाद सभी कानून जो कि जीएसटी से जुड़े हैं उन्हें खत्म कर दिया जाएगा। - इस तरह इसे 16 सितंबर 2016 को लागू कर दिया गया। यदि 16 सितंबर 2017 तक जीएसटी लागू नहीं होता तो सभी कानून (अप्रत्यक्ष) खत्म हो जाते। - इसके बाद एक जुलाई, 2017 को आखिरकार सरकार ने इसे देशभर में लागू कर दिया।

पिछले साल केंद्र सरकार ने एक देश एक टैक्स का वादा पूरा करते हुए देशभर में जीएसटी लागू किया था। अप्रत्यक्ष कर के क्षेत्र में एतिहासिक सुधार बताए जा रहे इस जीएसटी को लागू हुए 1 जुलाई यानी रविवार को एक साल पूरा हो रहा है। इस मौके पर सरकार …

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50 हजार निवेशकों को फ्लैटों की चाबी सौंपेंगे योगी आदित्यनाथ

नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में फ्लैट खरीदने वालों के लिए बड़ी खुशखबरी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जुलाई के दूसरे सप्ताह में नोएडा व ग्रेटर नोएडा आकर 50 हजार निवेशकों को उनके फ्लैटों की चाबी सौंपेंगे। मुख्यमंत्री का यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोएडा में सैमसंग की नई यूनिट के उद्घाटन से अलग होगा। हालांकि, अभी यह तय नहीं है कि मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री के कार्यक्रम से पहले आएंगे या बाद में। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री योगी, प्रधानमंत्री के कार्यक्रम से पहले आकर निवेशकों को फ्लैटों की चाबी सौंपेंगे, ताकि प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम के लिए शहर में बेहतर माहौल बनाया जा सके। मुख्यमंत्री के कार्यक्रम की तैयारियों को लेकर शनिवार को ग्रेटर नोएडा स्थित गौतमबुद्ध विवि में तीनों प्राधिकरण, जिला प्रशासन व पुलिस के आला अफसरों की बैठक हुई। इसमें बिल्डरों को भी बुलाया गया। उन्हें ऐसे निवेशकों की सूची बनाने के निर्देश दिए गए हैं, जो मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद फ्लैटों की रजिस्ट्री करा चुके हैं। नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के बिल्डरों ने 12 सितंबर 2017 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ लखनऊ में बैठक की थी। बिल्डरों ने वादा किया था कि यदि उन्हें कंप्लीशन प्रक्रिया व बकाया धनराशि जमा करने में कुछ राहत दी जाए तो वे 50 हजार निवेशकों को फ्लैट दे सकते हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री ने पचास हजार निवेशकों को फ्लैट देने की घोषणा की थी। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद प्राधिकरण ने कंप्लीशन प्रक्रिया को सरल कर दिया। पहले सभी फ्लैटों का निर्माण पूरा होने के बाद कंप्लीशन का प्रावधान था। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद नया प्रावधान किया गया। इसके तहत जितने फ्लैटों का निर्माण पूरा हो चुका है, उन्हें पार्ट में कंप्लीशन दिया गया। इससे जितने फ्लैट बनते जाएंगे, उतने फ्लैटों का निवेशकों को कब्जा दिया जाता रहेगा। बकाया भुगतान के लिए भी प्राधिकरण पार्ट में जमा कराने की व्यवस्था की। ग्रेटर नोएडा में 31600 फ्लैटों का कंप्लीशन दिया जा चुका है। मुख्यमंत्री की 12 सितंबर की घोषणा के बाद इन्हीं रजिस्ट्री शुरू हुई है। करीब 19 हजार फ्लैट नोएडा व यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के बिल्डर प्रोजेक्टों में हैं।

नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में फ्लैट खरीदने वालों के लिए बड़ी खुशखबरी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जुलाई के दूसरे सप्ताह में नोएडा व ग्रेटर नोएडा आकर 50 हजार निवेशकों को उनके फ्लैटों की चाबी सौंपेंगे। मुख्यमंत्री का यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोएडा में सैमसंग की …

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एक साल का हुआ GST, आज सरकार मनाएगी जश्न, कारोबारी दुकान बंदकर जताएंगे विरोध

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून के एक साल पूरा होने के अवसर पर रविवार को पूरे देश में 'जीएसटी दिवस' मनाने का ऐलान किया है. वहीं, यूपी के कानपुर और गुजरात के सूरत समेत देश के की हिस्सों में व्यापारियों ने विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी की है. शनिवार को भी व्यपारियों का विरोध देखने को मिला. दरअसल, सत्ता में आने के साथ हमेशा से चर्चा में रहने वाली मोदी सरकार एक जुलाई 2017 को पूरे देश में जीएसटी लागू कर चर्चा का केंद्र बन गई थी. एक साल में इसने भारतीय कराधान क्षेत्र में अप्रत्याशित सुधारों के प्रति करदाताओं के उत्साह और भागीदारी का पूरी दुनिया में एक बेहतर उदाहरण प्रस्तुत किया है. वित्त मंत्रालय ने बताया कि सरकार एक जुलाई 2018 को 'जीएसटी दिवस' मनायेगी. संसद के केन्द्रीय कक्ष में 30 जून और एक जुलाई 2017 की मध्यरात्रि को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की उपस्थिति में जीएसटी को देश में लागू किया गया था. इस मौके पर दिल्ली के जनपथ स्थित डॉक्टर अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में सुबह 11 बजे जीएसटी की सफलता का जश्न मनाया जाएगा. वित्त मंत्रालय के अनुसार, 'केन्द्रीय रेल, कोयला, वित्त एवं कारपोरेट कार्य मंत्री पीयूष गोयल इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे जबकि वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला भी इस अवसर पर उपस्थित होंगे.' केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली इस दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लोगों को संबोधित करेंगे. जीएसटी में करीब एक दर्जन करों को समाहित किया गया है. केन्द्र स्तर पर लगने वाले उत्पाद शुल्क, राज्यों में लगने वाले मूल्य वर्धित कर (वैट) और कई स्थानीय शुल्कों को जीएसटी में समाहित किया गया. जिसके बाद देश में 'एक राष्ट्र, एक कर' की यह नई प्रणाली लागू हुई. मंत्रालय ने इस अवसर पर कहा है, 'जीएसटी का पहला साल भारतीय करदाताओं के इस अप्रत्याशित कर सुधार की व्यवसथा में भागीदार बनने को लेकर तैयार रहने का बेहतर उदाहरण दिखाता है.' इसमें कहा गया है कि इलेक्ट्रानिक वे-बिल इस प्रणाली के तहत पहले के विभागीय नीतिगत मॉडल से आगे बढ़कर एक 'स्व-घोषित मॉडल' की दिशा में अहम बदलाव है. इसमें ई-वे बिल हासिल कर पूरे देश में माल की बिना किसी रोक टोक के बाधामुक्त आवाजाही सुनिश्चित हो सकती है. देश में अंतरराज्यीय ई-वे बिल व्यवस्था एक अप्रैल 2018 से लागू हुई है जबकि राज्यों के भीतर माल परिवहन के लिये ई-वे बिल लेने की व्यवस्था को 15 अप्रैल से चरणों में लागू किया गया. व्यापारियों ने जताया विरोध इस बीच व्यापारियों ने देश में अलग-अलग जगह विरोध जताते नजर आए. कानपुर में व्यापारियों ने अनोखे तरीके से जीएसटी का विरोध किया. ये कारोबारी घंटाघर के पास भारत माता की मूर्ति के पास इकट्ठा हुए और घंटियां बजाकर विरोध जताया. हाथ में ली गई तख्तियां बता रही थीं कि वो जीएसटी की खामियों का विरोध कर रहे हैं. लेकिन घंटी और घड़िया के साथ विरोध के पीछे उन्होंने एक दिलचस्प तर्क दिया. व्यापारियों ने कहा कि साल भर पहले मोदी सरकार ने जीएसटी को लागू करने का ऐलान घंटा बजाकर किया था. अब वो उनके ही तरीके से घंटियां बजाकर कह रहे हैं कि सरकार जीएसटी की मुश्किलों और खामियों को दूर करे. व्यापारियों की शिकायत है कि आज भी व्यापारियों के ऊपर छापेमारी की जा रही है. कहा गया था कि सभी सामानों पर जीएसटी लगाई जाएगी लेकिन पेट्रोल उत्पाद इससे बाहर हैं. एक साल पूरे होने पर सरकार को अपना वादा पूरा करना चाहिए. गुजरात के सूरत में भी जीएसटी की सालगिरह का उत्साह नहीं दिखा. हीरा और कपड़ा दोनों ही व्यापारियों में मायूसी नजर आई. वहीं, कोयंबटूर में भी जीएसटी के पहले जन्मदिन का स्वागत नहीं हुआ. यहां छोटे व्यापारियों के कारोबार पर बुरा असर पड़ा है. जीएसटी से बढ़ेगा राजस्व: विशेषज्ञ एक तरफ जहां व्यापारी जीएसटी का विरोध कर रहे हैं वहीं, उद्योग और कर विशेषज्ञों ने इसकी सराहना की है. उनकी राय है कि इस अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था से आगे चलकर राजस्व में सुधार होगा और अनुपालन बेहतर होगा. उद्योग मंडल एसोचैम के अध्यक्ष संदीप जाजोदिया ने कहा कि ऐसी आशंकाएं कि जीएसटी से महंगाई बढ़ेगी और उद्योग की आपूर्ति श्रृंखला में बाधा आएगी, अब दूर हो चुकी हैं. कीमतों में जो भी बढ़ोतरी हो रही है वह कच्चे तेल और खाद्य मूल्यों के दबाव की वजह से है. विशेषज्ञों का कहना है कि नए कर ढांचे से अगले तीन से चार साल में कर से जीडीपी अनुपात सुधरेगा. हेलो टैक्स के सह संस्थापक हिमांशु कुमार ने कहा कि जीएसटी एक राष्ट्र एक कर की दिशा में बड़ा कदम है. उत्पादों की कम कीमत के रूप में इसका लाभ उपभोक्ताओं को स्थानांतरित होगा. बेहतर कर अनुपालन से अगले तीन से चार साल में कर कर जीडीपी अनुपात में सुधार होगा. हालांकि, कुमार ने कहा कि एमएसएमई क्षेत्र पर नए सिरे से ध्यान देने की जरूरत है ताकि अप्रत्यक्ष कर से संबंधित अनुपालन की लागत को कम किया जा सके.

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून के एक साल पूरा होने के अवसर पर रविवार को पूरे देश में ‘जीएसटी दिवस’ मनाने का ऐलान किया है. वहीं, यूपी के कानपुर और गुजरात के सूरत समेत देश के की हिस्सों में व्यापारियों ने विरोध प्रदर्शन …

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3 दिन बाद फिर अमरनाथ यात्रा शुरू, बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए चौथा जत्था रवाना

भारी बारिश के कारण अमरनाथ यात्रा में आई रुकावट के बाद रविवार को श्रद्धालुओं का चौथा जत्था रवाना हुआ. सुरक्षा के सख्त इंतजाम के बीच जम्मू से बेस कैंप के लिए यात्रियों का चौथा जत्था रवाना हुआ. इस जत्थे में करीब करीब 3 हजार अमरनाथ यात्री बेस कैंप की तरफ निकले. उनके साथ 90 गाड़ियां रवाना हुईं. यात्रा तीन दिन बाद बहाल हुई है. बारिश की वजह से शनिवार को यात्रा को रोक दिया गया था. रविवार को मौसम खुलने के बाद बेस कैंप से यात्रियों को आगे बढ़ने की इजाजत मिली. इस बीच बिना रजिस्ट्रेशन वाले यात्रियों पर कार्रवाई करते हुए उनहें रामबन और बनिहाल में रोक दिया गया है. जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर 500 गाड़ियां रुकीं बता दें कि वर्षा से जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर कल कई स्थानों पर भूस्खलन हुए हैं और पत्थर गिरे हैं. भारी बारिश के बाद भूस्खलन के कारण कई जगह रास्ते बंद हो गए हैं. जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर 500 गाड़ियां रुकी हैं. सरकार ने आदेश जारी किया है कि जवाहर टनल से घाटी की तरफ किसी गाड़ी को एंट्री नहीं दी जाए. अधिकारियों ने समय पर कार्रवाई से यह सुनिश्चित किया कि घाटी को देश के अन्य हिस्से से जोड़ने वाली 260 किलोमीटर लंबी यह सड़क खुली रहे. अमरनाथ यात्रा के तीसरे दिन शनिवार को 587 श्रद्धालुओं ने पवित्र हिम शिवलिंग के दर्शन किए. एक अधिकारी ने बताया कि भूस्खलन, फिसलन भरे मार्ग और पत्थर गिरने के कारण श्रद्वालुओं की सुरक्षा को देखते हुए यात्रा को रोक दिया गया था. उन्होंने कहा कि किसी भी तीर्थयात्री को पैदल गुफा मंदिर की ओर बढ़ने नहीं दिया गया, कुछ यात्रियों ने तीर्थयात्रा के लिए हेलीकाप्टर सेवा का इस्तेमाल किया. पहलगाम में फंसे हजारों तीर्थयात्री गत 27 जून से ही रूक रूककर हो रही मानसूनी वर्षा के चलते दक्षिण और मध्य कश्मीर के साथ ही राज्य के कई अन्य हिस्सों में बाढ़ का अलर्ट जारी कर दिया गया है. इसके चलते अमरनाथ यात्रा के दो आधार शिविरों गंदेरबल जिला स्थित बालटाल और अनंतनाग जिले के पहलगाम में हजारों तीर्थयात्री फंसे हुए हैं. लगातार वर्षा के बावजूद दक्षिण कश्मीर में 3,880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा के लिए यात्रा 28 जून को तय समय से कई घंटे के विलंब से शुरू हुई. यद्यपि लगातार वर्ष के चलते यात्रा में बार-बार व्यवधान आ रही है. 60 दिवसीय यात्रा का समापन 26 अगस्त को रक्षा बंधन के दिन होगा. इस बीच जम्मू कश्मीर के राज्यपाल एन एन वोहरा ने सीईओ उमंग नरूला से श्रद्वालुओं को यात्रा की अनुमति देने से पहले मार्ग की स्थिति और मरम्मत कार्यों की नजदीक से निगरानी करने के निर्देश दिए हैं. जम्मू कश्मीर में बाढ़ जैसे हालात बाढ़ से जम्मू-कश्मीर के हालात काबू से बाहर होते जा रहे हैं. आजतक ने जम्मू-कश्मीर में बाढ़ की ग्राउंड रिपोर्टिंग की है. जहां पिछले चार दिनों से हो रही बरसात ने तबाही मचाई हुई है. जम्मू-कश्मीर के ज्यादातर हिस्सों में 27 जून से रुक-रुककर बारिश हो रही है. इससे झेलम और तवी नदी खतरे के निशान से ऊपर बहने लगी है. यहां की छोटी-छोटी नदियां भी गरज रही हैं. जम्मू में भी तवी नदी फुंफकार रही है. लहरें लगातार किनारों को तोड़ रही है. शनिवार को तवी नदी की बाढ़ में 7 लोग फंस गए. बहाव इतना तेज था कि लहरों में फंसे लोगों के लिए निकल पाना संभव नहीं था. SDRF की टीम ने बचाव ऑपरेशन शुरू किया. ये टीम रस्सी और लाइफ जैकेट लेकर बोट से नदी के उस पार गई. किनारे पर पहुंच कर उसने वहां फंसे लोगों को निकाला. 10 राज्यों में अलर्ट जारी कुदरत के ब्रेक फेल की वजह से लोगों की मुश्किलें कई गुना बढ़ गयी हैं. सूबे में बाढ़ और बारिश से निपटने के इंतजामों को लेकर राज्यपाल एनएन बोहरा ने एक आपात बैठक बुलाई. सिर्फ जम्मू-कश्मीर ही नहीं देश के ज्यादातर हिस्से बारिश के बेहाल हैं. मौसम विभाग ने आज 10 राज्यों के लिए बारिश का अलर्ट जारी किया है. मतलब, आसमानी आफत का खतरा अभी टला नहीं है.

भारी बारिश के कारण अमरनाथ यात्रा में आई रुकावट के बाद रविवार को श्रद्धालुओं का चौथा जत्था रवाना हुआ. सुरक्षा के सख्त इंतजाम के बीच जम्मू से बेस कैंप के लिए यात्रियों का चौथा जत्था रवाना हुआ. इस जत्थे में करीब करीब 3 हजार अमरनाथ यात्री बेस कैंप की तरफ …

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तेजस्वी यादव से मिले हार्दिक पटेल

शनिवार को पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने तेजस्वी यादव से मुलाकात की. दोनों नेताओं की मुलाक़ात लगभग सवा घंटे तक चली. इस मुलाकात के बाद तेजस्वी और हार्दिक ने मीडिया से चर्चा की. तेजस्वी यादव ने कहा कि गुजरात और बिहार का संबंध दोस्ताना रहा है. यह राज्य गांधी की कर्मभूमि रही है. हार्दिक भी गांधी के रास्ते पर चलते हुए गुजरात से बिहार आए हैं. हम दोनों मिलकर देश से दक्षिणपंथी अधिनायकवाद को खत्म करने के लिए संघर्ष करेंगे. हमारा उद्देश्य समतामूलक समाज का निर्माण है. किसानों और युवाओं के हित के लिए हमारा संयुक्त संघर्ष होगा. गौरतलब है कि हार्दिक पटेल को गुजरात में पटेल आरक्षण आंदोलन के बाद से पहचान मिली है. इसके बाद से ही हार्दिक पटेल राजनीति में सक्रीय नजर आ रहे है. इसके पहले भी हार्दिक अपने बिहार दौरे पर आ चुके हैं. इस बार हार्दिक ने नीतीश कुमार से मुलाकत नहीं की और वो लगातार नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए नजर आये. वहीं नीतीश कुमार ने भी हार्दिक से मिलने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. हार्दिक और तेजस्वी की मुलाकात से राजनितिक गलियारों में भी चर्चा रही. आने वाले समय में इससे कुछ नए समीकरण भी देखने को मिल सकते हैं.

शनिवार को पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने तेजस्वी यादव से मुलाकात की. दोनों नेताओं की मुलाक़ात लगभग सवा घंटे तक चली. इस मुलाकात के बाद तेजस्वी और हार्दिक ने मीडिया से चर्चा की.  तेजस्वी यादव ने कहा कि गुजरात और बिहार का संबंध दोस्ताना रहा है. यह राज्य गांधी की कर्मभूमि रही …

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