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पत्थरबाजों की माफी मामले में नहीं होगा पुनर्विचार

भले ही जम्मू -कश्मीर में राज्यपाल का शासन लग गया हो लेकिन महबूबा मुफ्ती सरकार के दौरान पत्थरबाजों को माफी देने के फैसले पर पुनर्विचार नहीं किया जाएगा . यह जानकारी गृहमंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी . बता दें कि गृह मंत्रालय के इस अधिकारी ने बताया कि महबूबा मुफ्ती की सरकार के दौरान आम जनता के बीच सही संदेश देने के लिए कई फैसले लिए गए। इनमें पत्थरबाजों को माफी देने का फैसला भी शामिल है.इन फैसलों को अब वापस लेना न तो सम्भव है और न उचित है . राज्यपाल शासन लगने के बाद भी आम जनता के बीच पहुंच बनाने के प्रयास जारी रहेंगे. उल्लेखनीय है कि केंद्र की ओर से नियुक्त वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा अब भी विभिन्न वर्गो से मुलाकात कर बातचीत से समस्या से समाधान खोज रहे हैं. ऐसे में पत्थरबाजों के खिलाफ वापस लिए मामलों को दोबारा शुरू नहीं किया जाएगा ,लेकिन वैसे फैसले वापस हो सकते हैं सेना के मनोबल को तोड़ते हैं.इनमें मेजर गोगोई के खिलाफ एफआईआर का मामला शामिल हैं.राज्यपाल शासन में सिर्फ आतंकियों से निपटने के तरीके में अंतर आ जाएगा और सुरक्षा बलों को उनके खिलाफ कार्रवाई की पूरी छूट होगी.

भले ही जम्मू -कश्मीर में राज्यपाल का शासन लग गया हो लेकिन महबूबा मुफ्ती सरकार के दौरान पत्थरबाजों को माफी देने के फैसले पर पुनर्विचार नहीं किया जाएगा . यह जानकारी गृहमंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी . बता दें कि गृह मंत्रालय के इस अधिकारी ने बताया कि …

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पीडीपी से समर्थन वापस लेने का फैसला चुनावी नहीं – शाह

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का का कहना है कि जम्मू -कश्मीर में पीडीपी से समर्थन वापसी का फैसला 2019 के लोक सभा चुनाव को लेकर नहीं लिया गया. इसके लिए उन्होंने जम्मू-कश्मीर के दबाव समूहों को राज्य के तीनों क्षेत्रों (जम्मू, कश्मीर घाटी और लद्दाख) के लिए समान विकास से जुड़ी उनकी पार्टी की कोशिशों को बाधित करने का दोषी ठहराया. बता दें कि पीडीपी-भाजपा गठबंधन के टूटने के बाद पहली बार प्रतिक्रिया देते हुए शाह ने एक चैनल के साक्षात्कार में कहा कि पीडीपी से समर्थन वापस लेने का फैसला 2019 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए नहीं लिया गया. यदि ऐसा होता तो यह फैसला छह महीने बाद लिया जाता. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को पर्याप्त धनराशि दिए जाने के बावजूद कश्मीरी पंडितों और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से राज्य में पहुंचे लोगों को राहत एवं पुनर्वास उपलब्ध कराने की कोशिशों एवं अन्य मुद्दों में खास प्रगति नहीं हुई . उल्लेखनीय है कि इस विशेष साक्षात्कार में शाह ने कहा कि उपरोक्त मामलों में ज्यादा इंतजार नहीं किया जा सकता था.महबूबा मुफ्ती का इरादा गलत नहीं था लेकिन कई तरह के दबाव समूह आने से संतुलित विकास का सपना टूट गया. जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के तीनों क्षेत्रों में जो संतुलित विकास होना चाहिए था, वह नहीं हुआ .साथ ही कानून व्यवस्था की स्थिति भी बदतर हुई. इसलिए यह फैसला लिया. 2015 में खंडित जनादेश में पीडीपी के साथ हाथ मिलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का का कहना है कि जम्मू -कश्मीर में पीडीपी से समर्थन वापसी का फैसला 2019 के लोक सभा चुनाव को लेकर नहीं लिया गया. इसके लिए उन्होंने जम्मू-कश्मीर के दबाव समूहों को राज्य के तीनों क्षेत्रों (जम्मू, कश्मीर घाटी और लद्दाख) के लिए समान विकास से …

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अखिलेश ने कहा, योगी उद्घाटन का ही उद्घाटन करने वाले सीएम

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि वह चाहते हैं कि देश का अगला प्रधानमंत्री भी उत्तर प्रदेश से हो. उन्होंने कहा कि वह खुद एक बार फिर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनकर विकास कार्यो को आगे बढ़ाना चाहते हैं. अखिलेश ने कहा, "मैं इतना बड़ा सपना नहीं देखता कि देश का प्रधानमंत्री बन जाऊं. मुझे देश का प्रधानमंत्री नहीं बनना है, मुझे तो सिर्फ एक बार फिर उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री ही बनना है और प्रदेश के विकास कार्यो को आगे बढ़ाना है." लखनऊ में आगामी लोकसभा चुनावों पर बात करते हुए उन्होंने कहा, "अभी तक तो यही होता आया है कि यूपी से ही कोई प्रधानमंत्री बनता आया है, हम यही चाहते हैं कि कोई नया प्रधानमंत्री बने और यूपी से ही बने. देश की पसंद हमारी पसंद बन जाएगी और देश को क्या मिला देश इसका आकलन करेगा." राहुल गांधी का जिक्र किए जाने पर अखिलेश ने कहा, "सपना देखना बुरी बात नहीं है, लेकिन कांग्रेस को इसके लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी. हम साथ हैं, लोकसभा चुनाव में भी साथ रहेंगे, कई और भी पार्टियां साथ आएंगी." उन्होंने कहा, "इस समझौते के लिए हमें कोई कुर्बानी देनी पड़ी तो हम पीछे नहीं हटेंगे. हालांकि सीटों के बंटवारे को लेकर मैं इस समय कुछ नहीं बोलूंगा. हम मध्य प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं." अखिलेश ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 'उद्घाटन का ही उद्घाटन करने वाला सीएम' करार दिया जो उनके राज्य में किये गए कार्यो का उद्घाटन कर विकास गिनवा रहे है.

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि वह चाहते हैं कि देश का अगला प्रधानमंत्री भी उत्तर प्रदेश से हो. उन्होंने कहा कि वह खुद एक बार फिर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनकर विकास कार्यो को आगे बढ़ाना चाहते हैं. अखिलेश ने कहा, “मैं इतना बड़ा सपना नहीं देखता …

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मोदी का लालू पर तंज, जो योग नहीं करते इलाज कराने मुंबई जाते है

दुनियाभर में आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है और इस मौके पर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किये गए. इसी क्रम में बिहार की राजधानी पटना में पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉन्प्लेक्स में भी समारोह का आयोजन हुआ जिसमे राज्यपाल सत्यपाल मलिक के साथ भाजपा के मंत्री तो दिखे मगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत जेडीयू के सभी मंत्री नदारद रहे. बीते दिनों बिहार NDA को लेकर हुई बातों से इसे जोड़ा जाना लाजमी भी है. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और रामकृपाल यादव, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे और कृषि मंत्री प्रेम कुमार भी मंच पर मौजूद थे मगर नीतीश एन्ड कंपनी का न होना मामले को सियासी बना गया. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस मौके पर कहा कि योग जोड़ने का काम करता है और इसमें राजनीति ढूंढने की जरूरत नहीं है. मुख्यमंत्री का बचाव करते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि नीतीश कुमार खुद योग के प्रेमी हैं और पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉन्प्लेक्स में जो योग का कार्यक्रम आयोजित किया गया था वह राज्य सरकार द्वारा ही किया गया है. वहीं दूसरी तरफ उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी नीतीश कुमार का बचाओ में कहा कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के कार्यक्रम में भाजपा कोटे के सभी मंत्री मौजूद नहीं थे, लेकिन इसका यह मतलब नहीं निकलता है कि वह सभी योग के विरोधी हैं. नीतीश कुमार का बचाव करते हुए सुशील मोदी ने आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव पर तंज कसते हुए कहा कि नीतीश कुमार तो योग करते हैं मगर जो लोग यह नहीं करते हैं उन्हें अपना इलाज कराने के लिए मुंबई जाना पड़ता है.दुनियाभर में आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है और इस मौके पर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किये गए. इसी क्रम में बिहार की राजधानी पटना में पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉन्प्लेक्स में भी समारोह का आयोजन हुआ जिसमे राज्यपाल सत्यपाल मलिक के साथ भाजपा के मंत्री तो दिखे मगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत जेडीयू के सभी मंत्री नदारद रहे. बीते दिनों बिहार NDA को लेकर हुई बातों से इसे जोड़ा जाना लाजमी भी है. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और रामकृपाल यादव, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे और कृषि मंत्री प्रेम कुमार भी मंच पर मौजूद थे मगर नीतीश एन्ड कंपनी का न होना मामले को सियासी बना गया. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस मौके पर कहा कि योग जोड़ने का काम करता है और इसमें राजनीति ढूंढने की जरूरत नहीं है. मुख्यमंत्री का बचाव करते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि नीतीश कुमार खुद योग के प्रेमी हैं और पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉन्प्लेक्स में जो योग का कार्यक्रम आयोजित किया गया था वह राज्य सरकार द्वारा ही किया गया है. वहीं दूसरी तरफ उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी नीतीश कुमार का बचाओ में कहा कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के कार्यक्रम में भाजपा कोटे के सभी मंत्री मौजूद नहीं थे, लेकिन इसका यह मतलब नहीं निकलता है कि वह सभी योग के विरोधी हैं. नीतीश कुमार का बचाव करते हुए सुशील मोदी ने आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव पर तंज कसते हुए कहा कि नीतीश कुमार तो योग करते हैं मगर जो लोग यह नहीं करते हैं उन्हें अपना इलाज कराने के लिए मुंबई जाना पड़ता है.

दुनियाभर में आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है और इस मौके पर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किये गए. इसी क्रम में बिहार की राजधानी पटना में पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉन्प्लेक्स में भी समारोह का आयोजन हुआ जिसमे  राज्यपाल सत्यपाल मलिक के साथ भाजपा के मंत्री तो दिखे मगर …

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अमेजन, बर्कशायर और जेपी मॉर्गन ने नए वेंचर की कमान इस भारतवंशी सर्जन को सौंपी

अमेजन डॉट कॉम इंक, बर्कशायर हैथवे इंक और जेपी मॉर्गन एंड कंपनी ने अपने संयुक्त मेडिकल उद्यम के लिए भारतवंशी डॉक्टर अतुल गवांडे को सबसे बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. सर्जन और लेखक अतुल गवांडे को नई कंपनी का सीईओ नियुक्त किया गया है. बोस्टन में शुरू हो रहे इस वेंचर का मकसद अपने कर्मचारियों पर मेडिकल खर्च कम करना है और इसे नॉन प्रॉफिट कंपनी बनाया जाएगा. नया हेल्थकेयर वेंचर किया शुरू इन तीनों कंपनियों में 10 लाख से ज्यादा कर्मचारी हैं और इऩ्होंने एक संयुक्त बयान जारी कर ये जानकारी दी है. अमेजन, बर्कशायर और जेपीमॉर्गन ने जनवरी में इस वेंचर को शुरू करने का ऐलान किया था. अमेजन और इसके पार्टनर ने कहा कि गैर जरूर खर्च को खत्म करने और बेहतर सेवा मुहैया कराने के लिए बड़े डाटा एनालिसिस और हाई टेक टूल्स की मदद लेंगे. अतुल गवांडे का परिचय अतुल गवांडे ब्रिंघम एंड वूमन हॉस्पिटल में जनरल और एंडोक्राइन सर्जन हैं. साथ ही हार्वर्ड टी एच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में पढ़ाते भी हैं. 2014 में उन्होंने अपनी किताब- ‘बीइंग मॉर्टल- मेडिसिन एंड व्हाट मैटर्स इन ए एंड में बुजुर्गों की दयनीय जिंदगी का मुद्दा उठाया था. उन्होंने लिखा था कि जीवन के आखिरी पड़ाव की ओर पहुंचे बुजुर्गों की ओर हेल्थकेयर संस्थाओं का ध्यान नहीं रहता और वे एक मुश्किल जीवन बिताते हैं. वॉरने बफेट ने बताई वजह जेपी मॉर्गन के सीईओ जेमी डिमोन ने कहा कि वह चाहते हैं कि नया वेंचर जीवन के आखिरी समय तक उचित देखभाल पर असाधारण स्तर पर काम करने के लिए तैयार रहे. वहीं, डिमोन और अमेजन के जेफ बेजोस के साथ काम कर रहे बर्कशायर चेयरमैन और सीईओ वॉरेन बफेट ने कहा कि इस पद के लिए आए सभी उम्मीदवारों ने कहा कि वे खर्च को काबू में रखकर बेहतर हेल्थकेयर सेवा दे सकते हैं. जेमी, जेफ और मुझे भरोसा है कि हमें अतुल गवांडे के रूप में वो शख्स मिला है जो इस काम को पूरा कर सकता हैअमेजन डॉट कॉम इंक, बर्कशायर हैथवे इंक और जेपी मॉर्गन एंड कंपनी ने अपने संयुक्त मेडिकल उद्यम के लिए भारतवंशी डॉक्टर अतुल गवांडे को सबसे बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. सर्जन और लेखक अतुल गवांडे को नई कंपनी का सीईओ नियुक्त किया गया है. बोस्टन में शुरू हो रहे इस वेंचर का मकसद अपने कर्मचारियों पर मेडिकल खर्च कम करना है और इसे नॉन प्रॉफिट कंपनी बनाया जाएगा. नया हेल्थकेयर वेंचर किया शुरू इन तीनों कंपनियों में 10 लाख से ज्यादा कर्मचारी हैं और इऩ्होंने एक संयुक्त बयान जारी कर ये जानकारी दी है. अमेजन, बर्कशायर और जेपीमॉर्गन ने जनवरी में इस वेंचर को शुरू करने का ऐलान किया था. अमेजन और इसके पार्टनर ने कहा कि गैर जरूर खर्च को खत्म करने और बेहतर सेवा मुहैया कराने के लिए बड़े डाटा एनालिसिस और हाई टेक टूल्स की मदद लेंगे. अतुल गवांडे का परिचय अतुल गवांडे ब्रिंघम एंड वूमन हॉस्पिटल में जनरल और एंडोक्राइन सर्जन हैं. साथ ही हार्वर्ड टी एच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में पढ़ाते भी हैं. 2014 में उन्होंने अपनी किताब- ‘बीइंग मॉर्टल- मेडिसिन एंड व्हाट मैटर्स इन ए एंड में बुजुर्गों की दयनीय जिंदगी का मुद्दा उठाया था. उन्होंने लिखा था कि जीवन के आखिरी पड़ाव की ओर पहुंचे बुजुर्गों की ओर हेल्थकेयर संस्थाओं का ध्यान नहीं रहता और वे एक मुश्किल जीवन बिताते हैं. वॉरने बफेट ने बताई वजह जेपी मॉर्गन के सीईओ जेमी डिमोन ने कहा कि वह चाहते हैं कि नया वेंचर जीवन के आखिरी समय तक उचित देखभाल पर असाधारण स्तर पर काम करने के लिए तैयार रहे. वहीं, डिमोन और अमेजन के जेफ बेजोस के साथ काम कर रहे बर्कशायर चेयरमैन और सीईओ वॉरेन बफेट ने कहा कि इस पद के लिए आए सभी उम्मीदवारों ने कहा कि वे खर्च को काबू में रखकर बेहतर हेल्थकेयर सेवा दे सकते हैं. जेमी, जेफ और मुझे भरोसा है कि हमें अतुल गवांडे के रूप में वो शख्स मिला है जो इस काम को पूरा कर सकता है

अमेजन डॉट कॉम इंक, बर्कशायर हैथवे इंक और जेपी मॉर्गन एंड कंपनी ने अपने संयुक्त मेडिकल उद्यम के लिए भारतवंशी डॉक्टर अतुल गवांडे को सबसे बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. सर्जन और लेखक अतुल गवांडे को नई कंपनी का सीईओ नियुक्त किया गया है. बोस्टन में शुरू हो रहे इस वेंचर …

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आतंक के सुरक्षित ठिकानों को खत्म करने में पाक नाकाम : अमेरिकी अधिकारी

अमेरिका की एक प्रमुख राजनयिक ने कहा है कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के सुरक्षित पनाहगाहों के खिलाफ ठोस और निर्णायक कार्रवाई नहीं की है जबकि अमेरिका उससे कठोर कार्रवाई की उम्मीद करता है। अमेरिकी अधिकारी ने यह बात अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दक्षिण एशिया के लिए अपनी रणनीति पेश करने के करीब एक वर्ष बाद कही है। दक्षिण एवं पश्चिमी एशिया मामलों के लिए वरिष्ठ ब्यूरो अधिकारी एलिस जी. वेल्स ने कहा कुछ सकारात्मक संकेतकों के बावजूद अमेरिका ने अभी तक पाकिस्तान को निरंतर और निर्णायक कदम उठाते नहीं देखा जो वह दक्षिण एशिया रणनीति घोषित होने के बाद देखना चाहेगा। इसमें बातचीत की मेज पर नहीं आने वाले तालिबान तत्वों की गिरफ्तारी या उन्हें निष्कासित करना शामिल है। वेल्स ने सदन की विदेश मामलों की समिति के समक्ष पेश होने से पहले अपने पहले से तैयार बयान में कहा कि पाकिस्तान नोटिस पर है और हम उस पनाहगाहों को समाप्त करने में उसका स्पष्ट सहयोग चाहते हैं जिसका लाभ तालिबान 2001 में पाकिस्तान जाने के बाद से उठा रहा है।

अमेरिका की एक प्रमुख राजनयिक ने कहा है कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के सुरक्षित पनाहगाहों के खिलाफ ठोस और निर्णायक कार्रवाई नहीं की है जबकि अमेरिका उससे कठोर कार्रवाई की उम्मीद करता है। अमेरिकी अधिकारी ने यह बात अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दक्षिण एशिया के लिए अपनी रणनीति …

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ट्रंप ने विवादित प्रवासी नीति पर बदला फैसला, अब बॉर्डर पर अलग नहीं होंगे परिवार

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीमा पर प्रवासी परिवारों को अलग करने पर रोक लगाने वाले एक शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए. ट्रंप ने हस्ताक्षर करने के बाद कहा कि यह आदेश परिवारों को एक साथ रखने के बारे में है. मुझे परिवारों का बिछड़ना अच्छा नहीं लगता. बता दें कि ट्रंप के प्रवासी परिवारों को अलग करने के विवादित फैसले की दुनियाभर में काफी आलोचना हुई थी, जिसके बाद उन्होंने ये कदम उठाया. ट्रंप की पत्नी और अमेरिका की प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप ने ही उनकी इस नीति आलोचना की थी. ऐसा बहुत कम देखा जाता है जब मेलानिया इस तरह के नीतिगत मुद्दों पर अपनी राय जाहिर करती हों, लेकिन उन्हें यह नीति उन्हें इस कदर खटकी कि अपनी प्रवक्ता के जरिए उन्होंने कहा कि, बच्चों को उनके परिवारों से अलग होते देखने से उन्हें नफरत है. बता दें कि ट्रंप की यह नीति अमेरिकी सीमा पर प्रवासी माताओं-पिताओं और उनके बच्चों को अलग होने के विषय पर है. पूर्व रिपब्लिकन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश की पत्नी लॉरा बुश ने भी ट्रंप की नीति पर निशाना साधते हुए, बच्चों के उनके माता-पिता से अलग होने के कदम को क्रूर और अनैतिक बताया था. साथ ही उन्होंने कहा था कि इससे उनका मन हताश होता है. गृह सुरक्षा विभाग के आंकड़ों की अगर बात की जाए तो 19 अप्रैल से 31 मई के बीच करीब 2,000 बच्चे अपने माता-पिता एवं अभिभावक से अलग हुए हैं, जिन्हें कुछ विशेष केंद्रों में रखा गया है. यह ट्रंप की जरा भी बर्दाश्त नहीं करने की आव्रजन नीति के कारण हुआ. इस मुद्दे पर अमेरिका में बहस उस वक्त तेज हो गई जब माता-पिता से अलगाव झेल रहे बच्चों की तस्वीरें और कहानियां लोगों के सामने आईं, जिसकी उपज ट्रंप की विवादित आव्रजन नीति को बताया गया. बता दें कि ट्रंप प्रशासन ने अवैध प्रवासियों को लेकर सीमा पर जीरो टॉलरेंस की आव्रजन नीति अपनाई, जिसके तहत अवैध तौर पर अमेरिका में घुसने वाले हर वयस्क व्यक्ति पर संघीय अपराधों का केस दर्ज कर उन्हें जेल भेजा जाता था और बच्चों को उनसे अलग कर कस्टडी केंद्र भेज दिया जाता था. हाल ही में कस्टडी केंद्र में बंद एक छोटे बच्चे के रोने का ऑडियो वायरल हुआ जिसमें वो स्पेनी भाषा में पापा- पापा चिल्ला रहा था.

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीमा पर प्रवासी परिवारों को अलग करने पर रोक लगाने वाले एक शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए. ट्रंप ने हस्ताक्षर करने के बाद कहा कि यह आदेश परिवारों को एक साथ रखने के बारे में है. मुझे परिवारों का बिछड़ना अच्छा नहीं लगता. …

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चीनी राजदूत के बयान पर US बोला- भारत-PAK मामले में तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं

भारत और पाकिस्तान के संबंधों पर भारत में चीन के राजदूत लुओ झाओहुई के बयान पर विवाद बढ़ता जा रहा है. लुओ ने भारत और पाकिस्तान के बीच एक समिट का आयोजन करने की बात की थी, लेकिन चीन ने ही इसे नकार दिया था. अब अमेरिका की तरफ से भी एक बार फिर दोनों देशों के बीच कश्मीर मुद्दे पर बयान आया है. ट्रंप प्रशासन कश्मीर विवाद को सुलझाने में किसी तीसरे पक्ष की भूमिका को खारिज करते दिखा और उसने दोहराया कि मुद्दे पर किसी भी चर्चा का निर्धारण भारत एवं पाकिस्तान को करना है. अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा कि कश्मीर पर हमारी नीति नहीं बदली है. हमारा मानना है कि कश्मीर पर किसी भी चर्चा की रफ्तार, गुंजाइश एवं प्रकृति का निर्धारण दोनों देशों को करना है. क्या था चीनी राजदूत का बयान? आपको बता दें कि अभी दो दिन पहले ही एक कार्यक्रम में लुओ ने कहा था कि चीन-भारत-पाकिस्तान की त्रिपक्षीय समिट का आयोजन होना चाहिए. चीनी एंबेसडर ने सोमवार को बयान दिया कि हाल ही में भारत और पाकिस्तान शंघाई कॉरपोर्शन ऑर्गनाइजेशन (SCO) का हिस्सा बने हैं ऐसे में ये मंच भारत और पाकिस्तान को करीब लाने में मदद कर सकता है. चीन ने बनाई थी बयान से दूरी चीन ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के बैनर तले भारत, चीन एवं पाकिस्तान के बीच त्रिपक्षीय सहयोग कायम करने के अपने राजदूत के हालिया बयान से दूरी बनाई थी. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग से जब लुओ के बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि भारत एवं पाकिस्तान चीन के मित्र और पड़ोसी हैं. उन्होंने कहा, ‘हम पाकिस्तान और भारत सहित अपने सभी पड़ोसियों के साथ संबंध बनाए रखना चाहते हैं ताकि इस क्षेत्र के बेहतर विकास एवं स्थिरता के लिए हमारा सहयोग मजबूत हो सके.’ इससे पहले भी लुओ का बयान था चर्चा में आपको बता दें कि इससे पहले भी लुओ का एक बयान चीन के लिए आफत बन गया था. मई 2017 में लुओ ने नई दिल्ली में हुई एक बैठक में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) का नाम बदलने का सुझाव दिया था ताकि भारत की चिंताओं पर ध्यान दिया जा सके. बाद में शायद पाकिस्तान के ऐतराज के बाद उनकी टिप्पणी को वेबसाइट पर डाले गए ट्रांसक्रिप्ट से हटा दिया गया था.

भारत और पाकिस्तान के संबंधों पर भारत में चीन के राजदूत लुओ झाओहुई के बयान पर विवाद बढ़ता जा रहा है. लुओ ने भारत और पाकिस्तान के बीच एक समिट का आयोजन करने की बात की थी, लेकिन चीन ने ही इसे नकार दिया था. अब अमेरिका की तरफ से …

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पत्नी के विरोध के बाद ट्रंप ने बदला अपना फैसला

गृह सुरक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार 19 अप्रैल से 31 मई के बीच करीब 2,000 बच्चे अपने माता-पिता एवं अभिभावक से अलग कर उन्हें विशेष केंद्रों में रखा गया . जब माता-पिता से बिछड़े बच्चों की तस्वीरें और कहानियां अमरीका में चर्चित होने लगी तो इसका विरोध शुरू हुआ और इसकी गूंज वाइट हाउस तक पहुंची. अंत में इसे बदले का निर्णय लिया गया.

तमाम विवादों विरोधो और आलोचनाओं के बाद सीमा पर प्रवासी परिवारों को अलग करने के अपने फैसले को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को बदलना पड़ा और इस हेतु एक आदेश पर हस्ताक्षर करने के बाद उन्होंने कहा कि यह आदेश परिवारों को एक साथ रखने के बारे में है. …

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ट्रंप ने कहा, इवांका कामुक दिखती है, बेटी न होती तो उन्हें डेट करता

'वैनिटी फेयर' की सीनियर रिपोर्टर एमिली जेन फॉक्स ने अपनी किताब 'Born Trump: Inside America's First Family' में एक बड़ा खुलासा करते हुए लिखा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी बेटी इवांका पर ब्रेस्ट इम्प्लांट का दबाव बनाया था. एमिली जेन के मुताबिक, इवांका कॉलेज से ही मॉडल बनना चाहती थीं. इसके लिए वो हर साल फोटो शूट भी कराती थी. इनपर सालाना 44, 000 डॉलर (भारतीय रुपये में करीब 30 लाख) खर्च होते थे. 'New York Post' के मुताबिक, एमिली जेन फॉक्स ने अपनी किताब में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके परिवार के बारे में कई खुलासे किए हैं. एमिली के मुताबिक, ट्रंप इवांका को मॉडलिंग के लिए काफी प्रोत्साहित करते थे. इवांका के आकर्षक दिखने के लिए ट्रंप यह भी चाहते थे कि वो ब्रेस्ट इम्प्लांट कराए. इसके लिए ट्रंप अपनी बेटी पर दबाव भी बना रहे थे. हालांकि, उनकी बहन मेरियान के दखल के चलते ब्रेस्ट इम्प्लांट नहीं हो पाया. लेखिका ने लिखा है कि साल 2006 में इवांका बतौर मॉडल 'The View' में दिखी थीं. तब डोनाल्ड ट्रंप से पूछा गया था कि अगर उनकी बेटी 'प्लेबॉय' के लिए पोज़ दे, तो उनका क्या रिएक्शन होगा? इसके जवाब में ट्रंप ने कहा था कि ये थोड़ा आहत करने वाला होता. लेकिन, ये इस बात पर निर्भर करता है कि मैग्जीन के अंदर क्या है. ट्रंप ने कहा था, 'मुझे नहीं लगता कि इवांका ऐसा करेंगी. हालांकि, उनका बहुत अच्छा फिगर है. मैं कहना चाहूंगा कि अगर इवांका मेरी बेटी न होती, तो शायद मैं उन्हें डेट कर रहा होता.' एमिली का दावा है कि एक बार 'The Howard Stern Show' में एंकर ने डोनाल्ड ट्रंप से उनकी बेटी के बारे में पूछा था, तब ट्रंप का जवाब था, 'इवांका कामुक दिखती हैं. अगर उन्होंने ब्रेस्ट इम्प्लांट करवाया होता, तो और ज्यादा आकर्षक लगतीं.' ट्रंप ने कहा था, 'इवांका हमेशा से कामुक लगती हैं. वो लंबी हैं, करीब 6 फीट तक. वो बहुत खूबसूरत भी हैं. फॉक्स ने किताब में इवांका के स्कूल और कॉलेज के दिनों के कुछ किस्सों का जिक्र भी किया है. उन्होंने लिखा है कि जब इवांका कोएड स्कूल में पढ़ती थीं, तो ट्रंप ने स्कूल से कहा था कि यहां हेलीपैड बनवा लीजिए, ताकि उनकी बेटी वीकएंड्स पर न्यूयॉर्क जा सके.

 ‘वैनिटी फेयर’ की सीनियर रिपोर्टर एमिली जेन फॉक्स ने अपनी किताब ‘Born Trump: Inside America’s First Family’ में एक बड़ा खुलासा करते हुए लिखा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी बेटी इवांका पर ब्रेस्ट इम्प्लांट का दबाव बनाया था. एमिली जेन के मुताबिक, इवांका कॉलेज से ही मॉडल …

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